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RBI Monetary Policy: RBI का ऐलान पॉलिसी दरों में नहीं कोई बदलाव, रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट भी बरकरार

RBI Monetary Policy: आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट को लेकर बड़ा ऐलान किया है। ऐलान करते हुए शक्तिकांत दास जी की ओर से कहा गया है कि इन दरों में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

नई दिल्ली। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट को लेकर बड़ा ऐलान किया है। ऐलान करते हुए शक्तिकांत दास जी की ओर से कहा गया है कि इन दरों में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा के नतीजे भी जारी किए हैं, जिसके लिए शक्तिकांत दास जी का कहना है कि रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में बदलाव नहीं हुआ है। इस दौरान शक्तिकांत दास जी की ओर से यह बयान जारी करते हुए एक नोटिस भी जारी किया गया है।

RBI

RBI ने जारी किया नोटिस  

आरबीआई की ओर से नोटिस जारी करते हुए कहा गया है कि नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं होगा है, तो वहीं रेपो रेट भी 4 फीसदी पर ही बरकरार रहेगा। इसके साथ ही रिवर्स रेपो रेट दर में भी किसी तहर का कोई बदलाव किए बिना 3.35 फीसदी पर बरकरार रखने की बात कही गई है। गौरतलब है कि पिछले साल मार्च के महीने में RBI ने भी अपने रेपो रेट में 0.75 फीसदी तक का कटौती की थी। तो वहीं मई के महीनें में इसमें 0.40 फीसदी की कटौती आई थी। इन कटौतियों के बाद रेपो रेट में 4 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया था। इसके बाद से ही 9 बार हुई की बैठकों में इन ब्याज दरों में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आया है।

शक्तिकांत दास का ऐलान

इस दौरान शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि एमपीसी के 6 सदस्यों में से 5 ने accomodative रुख बनाए रखने के पक्ष में वोट दिया। साथ ही मार्जिनल स्टेंडिंग फैसिलिटी को भी 4.25 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। रियल जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 9.5 फीसदी बनाए रखा गया है। लेकिन वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही के लिए इसे घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया गया है। पहले यह 6.8 फीसदी थी। साथ हि चौथी तिमाही के लिए इसे 6.1 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया है।

ब्याज दरों में बदलाव नहीं

बता दें कि ब्याज दरों में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है। तो आपकी जेब पर भी इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। यदि रिजर्व बैंक ब्याज दर बढ़ाता तो लोन महंगे हो जाते। वहीं इसके उलट यदि रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की होती तो इससे लोन सस्ता हो जाता और ईएमआई में गिरावट देखी जा सकती थी।