SBI का करोड़ों ग्राहकों को तोहफा! अब कम होगी आपकी EMI, 14वीं बार घटाई ब्याज दरें

एमसीएलआर वह दर होती है जिससे नीचे पर बैंक लोन नहीं दे सकता। जाहिर है इसके कम हो जाने से अब कम दर पर बैंक लोन देने में सक्षम हो जाएगा जिससे हाउस लोन से लेकर वीकल लोन तक आपके लिए सब के सब सस्ते हो सकते हैं।

Avatar Written by: July 8, 2020 1:48 pm

नई दिल्ली। कोरोना संकट में भारतीय स्टेट बैंक(SBI) ने लगातार अपने ग्राहकों का ख्याल रखा है। कोरोना की वजह से लागू हुए लॉकडाउन में SBI ने खाताधारकों को काफी राहत दी। एक बार फिर से SBI ने अपने ग्राहकों को राहत देते हुए ब्याज दरें घटाने का ऐलान किया है। बता दें कि बैंक ने छोटी अवधि की एमसीएलआर दरें 0.05 फीसदी से 0.10 फीसदी तक घटाने का ऐलान किया है।

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इस कदम के बाद से एसबीआई की दर घटकर 6.65 फीसदी पर आ गई है। SBI का दावा है कि मौजूदा समय में उनकी एमसीएलआर दरें देश में सबसे कम हैं। नई दरें 10 जुलाई से लागू होंगी। आपको बता दें कि जून में भी एसबीआई ने ब्याज दरें घटाने का फैसला किया था। 10 जून को एसबीआई की एमसीएलआर दरें 0.25 फीसदी घटकर 7 फीसदी पर आ गई थी।

आपको बता दें कि आरबीआई ने 22 मई को रेपो रेट को 0.40 फीसदी घटकर 4 फीसदी कर दिया थ। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक ने रेपो और एमसीएलआर से जुड़ी अपनी लोन दरें पहले ही घटा दी हैं। इसके अलावा एसबीआई एक्सटर्नल बेंचमार्क लिंक्ड लेंडिंग रेट (ईबीआर) और रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (आरएलएलआर) की दरें भी घटा चुका है।

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इन दोनों दरों में पहली जुलाई से 0.40 फीसदी की कटौती लागू हुई है। इस कटौती के बाद सालाना ईबीआर 7.05 फीसदी से घटकर 6.65 फीसदी पर आ गई है। इसी तरह आरएलएलआर 6.65 फीसदी से घटकर 6.25 फीसदी पर आ गई है। 30 साल के लिए लिए गए 25 लाख रुपए के लोन पर एमसीएलआर के तहत मासिक किस्त करीब 421 रुपए घट जाएगी। इसी तरह ईबीआर व आरएलएलआर के तहत मासिक किस्त 660 रुपए घट जाएगी।

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आपको बता दें कि एमसीएलआर वह दर होती है जिससे नीचे पर बैंक लोन नहीं दे सकता। जाहिर है इसके कम हो जाने से अब कम दर पर बैंक लोन देने में सक्षम हो जाएगा जिससे हाउस लोन से लेकर वीकल लोन तक आपके लिए सब के सब सस्ते हो सकते हैं। लेकिन यह फायदा नए ग्राहकों के साथ साथ सिर्फ उन्हीं ग्राहकों को मिलेगा जिन्होंने अप्रैल 2016 के बाद लोन लिया है, क्योंकि उसके पहले लोन देने के लिए तय मिनिमम रेट बेस रेट कहलाती थी। यानी इससे कम दर पर बैंक वोन नहीं दे सकते थे।