
नई दिल्ली। एनएसई के एमडी और सीईओ आशीष कुमार चौहान ने हाल ही में सिंगापुर में आयोजित एक पैनल चर्चा में वित्तीय स्थिरता, प्रौद्योगिकी-संचालित पूंजीवाद के उदय, वैश्विक बाजारों की बढ़ती जटिलताओं, वित्तीय बाजारों में साइबर क्राइम से उत्पन्न हो रहे खतरों समेत कई मुद्दों पर अपने विचार रखे। इस दौरान चौहान ने वैश्विक मुद्राओं के भविष्य के बारे में बात करते हुए कहा कि, अमेरिकी डॉलर का प्रभुत्व अभी आगे भी जारी रहेगा। ‘पूंजी के बिना पूंजीवाद का उदय’ विषय पर अपनी बात रखते हुए एनएसई सीईओ बोले, परंपरागत रूप से, धन सृजन बड़े वित्तीय निवेशों पर निर्भर करता था, लेकिन तकनीकी के क्षेत्र में हो रही प्रगति इन नियमों को फिर से नया रूप दे रही है। एआई, ब्लॉकचेन और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म व्यवसायों को न्यूनतम पूंजी के साथ स्केल करने की अनुमति देते हैं। आज आर्थिक मॉडल पारंपरिक पूंजी-गहन संरचनाओं से दूर जा रहा है। उन्होंने भारत के तेजी से बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम और माइक्रो-आईपीओ के उदय को इस बात का प्रमाण बताया कि धन सृजन अब बड़े वित्तीय संस्थानों तक सीमित नहीं है।
एनएसई सीईओ ने जोर देकर कहा कि वित्तीय अस्थिरता कोई कमजोरी नहीं बल्कि आर्थिक प्रगति की एक अंतर्निहित विशेषता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे अंतरराष्ट्रीय शक्ति संघर्ष अप्रत्याशित तरीकों से वित्तीय बाजारों को नया रूप दे रहे हैं। चौहान ने इस धारणा को खारिज कर दिया कि भारत का शेयर बाजार मुख्य रूप से सट्टा व्यापार द्वारा संचालित होता है। उन्होंने कहा, 110 मिलियन बाजार प्रतिभागियों में से केवल 2 प्रतिशत सक्रिय रूप से डेरिवेटिव में व्यापार करते हैं। अधिकांश दीर्घकालिक निवेश के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने भारत में अनुशासित, टिकाऊ निवेश की बढ़ती संस्कृति की पुष्टि की।
वित्तीय बाजारों में साइबर खतरों से चेताया
चौहान ने वित्तीय बाजारों में साइबर क्राइम से उत्पन्न बढ़ते खतरों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने खुलासा किया कि स्टॉक एक्सचेंज साइबर अपराधियों के लगातार हमले के अधीन हैं, जो वित्तीय क्षेत्र में डिजिटल सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करता है। डीपफेक तकनीक ने इस परिदृश्य को और जटिल बना दिया है, जिसमें धोखाधड़ी वाले वीडियो निवेशकों की वित्तीय अखंडता को खतरे में डालते हैं। उन्होंने पूंजी बाजारों में विश्वास बनाए रखने के लिए नियामकों और संस्थानों को इन उभरते खतरों से आगे रहने की आवश्यकता पर बल दिया।
अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन…
एमडी आशीष कुमार चौहान ने कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका ने डॉलर को विश्व की आरक्षित मुद्रा के रूप में सावधानीपूर्वक स्थापित किया, और वर्तमान में कोई भी अन्य देश उस भूमिका को निभाने के लिए तैयार नहीं है। डॉलर का समर्थन करने वाला मूलभूत ढांचा बरकरार है, जिससे यह वैश्विक व्यापार और निवेश के लिए डिफ़ॉल्ट विकल्प बन गया है। चौहान के संबोधन ने तेजी से बदलती वित्तीय दुनिया की तस्वीर पेश की, जहां प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा और भू-राजनीतिक पैंतरेबाजी बाजार की गतिशीलता को फिर से परिभाषित कर रही है। अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जो लोग इन परिवर्तनों का अनुमान लगाते हैं और उनके अनुकूल ढलते हैं, वे ही वैश्विक वित्त के भविष्य को आकार देंगे।