
नई दिल्ली। ये रिश्ता क्या कहलाता है में डॉक्टर अभिमन्यु, अभिनव और अक्षु से कहते है कि आपको एक बात का खास ध्यान रखना होगा कि बहुत तेज फीवर था फिर से बुखार आया तो तबियत और बिगड़ जाएगी इसलिए अभी थोड़े दिन आप आराम कीजिए और कोई भी ट्रैवलिंग मत कीजिए वरना इसकी सेहत पर दिक्कत कर सकता है। जिसको सुनते ही अक्षु कहती है कि डॉक्टर ऐसा कुछ हो सकता है कि हम दवाई लेकर ट्रैवलिंग करें जिसको सुनते ही अभिनव मना कर देता है और वो लोग रुकने का फैसला करते है। और अभिनव डॉक्टर को बोलता है कि हम कुछ दिन यही रुकेंगे, जब तक ये ठीक नहीं हो जाता हम कहीं नहीं जाएंगे। यह सब सुनने के बाद अभीर कहता है कि डॉक मैन अब तो मैं होली भी यही खेलूंगा और आपकी और मासी की सगाई में रॉक कर दूंगा।
अभीर फिर पहुंचा सिंघानिया हाउस
वहीं दूसरी तरफ अक्षु, अभिनव और अभीर घर पहुंचते है और सब लोग इन तीनों को देख हैरान हो जाते है। जिसके बाद सब कोई पूछता है कि सब ठीक है ना तब अभीर कहता है कि हमने जो नाटक किया था वो असली में हो गया मैं कार में बेहोश हो गया था फिर मम्मा-पापा मुझे हॉस्पिटल में ले गए। वहां नर्स आंटी भी थी और डॉक मैन भी थे मुझे बहुत सारी कड़वी-कड़वी दवाई भी दी गई। फिर अभिनव सबसे कहता है कि हम उदयरपुर में ही रहेंगे जब तक निक्की जी ठीक नहीं हो जाते लेकिन यहां नहीं एक रुम लेकर कहीं। जिसको सुनने के बाद अक्षु के बड़े पापा कहते है कि वाह आप आए थे तो आपने कहा कि मैं आपका बेटा बन कर रहूंगा और एक पल में दामाद बन कर फैसला सुना दिया। फिर मनीष कहता है कि अगर तुम दोनों की कोई बात होती तो मैं मानता लेकिन यहां बात मेरे बडी की है और ये यहां से कही नहीं जाएगा।
अभि ने लिया अक्षरा का नाम
वहीं दूसरी तरफ मंजिरी कहती है कि मैंने उन्हें अभि के कमरे की मरम्मत के लिए बुलाया है। वह अभि और आरोही से कमरे का रंग तय करने के लिए कहती है। रूही कहती है मुझे डिजाइन दिखाओ। आरोही पूछती है कि जल्दी क्यों करनी है। मंजिरी कहती है कि यह जल्द ही होना चाहिए, आप इस रिश्ते का ईमानदारी से स्वागत करें, हर पुरानी चीज को फेंक दें। रूही उत्साहित है। अभि अपने कमरे में जाता है और मंजरी की बातें याद करता है। वह अक्षु को याद करते हैं और कहते हैं कि मैं इन यादों का क्या करूं या उन्हें अनदेखा करूं। वहीं दूसरी तरफ अभि- अभीर के लिए भगवान शिव के पास जाता है और कहता है कि मैं अपने लिए कुछ भी नहीं मांगने आया हूं मैं तो अपने जूनियर के लिए आया हूं उसे सलामत रखना ये देख के मंजिरी खुश होती है कि अभि भगवान को मानने लगा। वहीं पूजा के दौरान दिखाया जाता है कि कैसे अभि अपनी पत्नी के नाम के जगह पर अक्षरा का नाम ले लेता है ये देख सब हैरान रह जाते है वहीं दूसरी तरफ अक्षु को कलश लिए देख मंजिरी काफी गुस्सा होती है और उसे भला-बुरा कहने लगती है।