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Adipurush Controversy: आदिपुरुष के डायलॉग्स की उड़ी खिल्लियां, सोशल मीडिया पर आई मीम्स की बहार, लोगों ने कहा- ‘मेकर्स के पेट में…’

Adipurush Controversy: सोशल मीडिया पर हर जगह इस फिल्म के ड्रेस, लुक्स, वीएफएक्स और डायलॉग्स हर चीज़ की खिल्लियां उड़ाई जा रही है। ट्विटर पर आदिपुरुष के नेगेटिव कमेंट्स और मीम की बाढ़ आ गई है। किस तरह के डायलॉग लिखे हैं शुक्ला साहब ने अब ये तो वही जानें। लेकिन रावण, मेघनाद, हनुमान जैसे पात्रों के मुंह से इस तरह की भाषा में ऐसे संवाद सुनना बेहद अजीब है।

नई दिल्ली। मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘आदिपुरुष’ रिलीज के बाद से ही लगातार विवादों में फंसती जा रही है। लोग मेकर्स पर संस्कृति से छेड़छाड़ और हिंदू भावनाएं आहत करने का आरोप लगा रहे हैं। आलम तो ये है कि फिल्म को बैन करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिक भी दायर की जा चुकी है। लोग फिल्म के डायरेक्टर ओम राउत और डायलॉग राईटर मनोज मुंतशिर शुक्ला की भगवान राम का मजाक बनाने और फिल्म में फुहर भाषा का इस्तेमाल कर हिन्दू मान्यताओं के भगवान के मुंह से ऐसी भाषा में डायलॉग्स बुलवाने के लिए कड़ी आलोचना कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर हर जगह इस फिल्म के ड्रेस, लुक्स, वीएफएक्स और डायलॉग्स हर चीज़ की खिल्लियां उड़ाई जा रही है। ट्विटर पर आदिपुरुष के नेगेटिव कमेंट्स और मीम की बाढ़ आ गई है। ऐसे में मीम्स के पिटारे से हम आपके लिए कुछ चुनिंदा मीम छांटकर लाए हैं, जिसे पढ़कर आप भी बोल पड़ेंगे ‘मेकर्स के पेट में बाण मारिए प्रभु!’

इन मीम्स को देखकर आपको ये तो जरूर समझ आ गया होगा कि हम क्यों कह रहे थे ‘मेकर्स के पेट में बाण मारिए प्रभु!’ अब चलिए आपको बताते हैं फिल्म में मनोज मुंतशिर के द्वारा लिखे कुछ खतरनाक डायलॉग्स के बारे में जिन्हें पढ़ कर आपकी आंखो से खून आ जाएगा।

फिल्म के एक सीन में हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने के बाद मेघनाद कहते हैं- ‘जली ना? अब और जलेगी। बेचारा जिसकी जलती है वही जानता है।’ इसके जवाब में हनुमान जी कहते हैं- ‘कपड़ा तेरे बाप का। तेल तेरे बाप का। आग भी तेरे बाप की, और जलेगी भी तेरे बाप की।’ वहीं एक सीन में रावण का एक सैनिक अशोक वाटिका में हनुमान जी को सीता जी से बात करते हुए देख लेता है और कहता है- ‘ए! तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया। मरेगा बेटे आज तू अपनी जान से हाथ धोएगा।’ ऐसे ही एक सीन में रावण का भाई विभीषण उससे कहता है- ‘भैया आप काल के लिए कालीन बिछा रहे हैं।’ ये किस तरह के डायलॉग लिखे हैं शुक्ला साहब ने अब ये तो वही जानें। लेकिन रावण, मेघनाद, हनुमान जैसे पात्रों के मुंह से इस तरह की भाषा में ऐसे संवाद सुनना बेहद अजीब है।