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Sita Ramam Movie Review: कार्तिकेय 2 के बाद अब सीता राम की कहानी पर बनी ये फ़िल्म छा गई, जीत लिया लोगों का दिल

Sita Ramam Movie Review: कार्तिकेय 2 के बाद अब सीता राम की कहानी पर बनी ये फ़िल्म छा गई, जीत लिया लोगों का दिल इसमें भारतीय संस्कृति, भगवान का गुणगान, और हिन्दुओं के कद को ऊंचा उठाया गया है। फिल्म अच्छे दृश्यों का मिश्रण भी है। यहां हम इस फिल्म का विस्तार में रिव्यू करेंगे।

नई दिल्ली। एक बार फिर से तेलुगु भाषा में बनी एक फिल्म ने दर्शकों का दिल जीत लिया है। जिसका नाम है सीतारामम (Sita Ramam)। इस फिल्म को पहले दक्षिण भाषा में रिलीज़ किया जा चुका था। जहां पर इस फिल्म की अच्छी खासी प्रशंसा हुई। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छा धमाल किया। उस वक़्त लोग ये सोच रहे थे की आखिर इस फिल्म को हिंदी भाषा में रिलीज़ क्यों नहीं किया गया। लेकिन अब काफी समय इंतजार करने के बाद फिल्म को हिंदी भाषा में भी रिलीज़ कर दिया गया है। फिल्म में दुलकर सलमान (Dulquer Salmaan), मृणाल ठाकुर (Mrunal Thakur), रश्मिका मंदना (Rashmika Mandanna), तरुण भास्कर (Tarun Bhascker), सुमंत (Sumanth), गौतम वासुदेव मेनन (Gautham Vasudev Menon), मुरली शर्मा (Murali Sharma), टीनू आनंद (Tinnu Anand) व प्रकाश राज (Prakash Raj) जैसे अन्य कलाकार हैं। जिन्होंने अपने कलाकारी के दम पूरी फिल्म को एक काबिल-ए- तारीफ फिल्म आया है। वैसे तो ये फिल्म एक पीरियड-रोमांटिक ड्रामा फिल्म है। लेकिन फिर भी इसमें भारतीय संस्कृति, भगवान का गुणगान, और हिन्दुओं के कद को ऊंचा उठाया गया है। फिल्म अच्छे दृश्यों का मिश्रण भी है। यहां हम इस फिल्म का विस्तार में रिव्यू करेंगे।

कहानी क्या है

कहानी पाकिस्तान में रहने वाली एक लड़की के साथ शुरू होती है। पाकिस्तान में रहने वाली लड़की का नाम आफरीन है और इस किरदार को रश्मिका मंदाना ने निभाया है। इसके अलावा राम का किरदार दुलकर सलमान निभाया है और सीता का किरदार मृणाल ठाकुर ने निभाया है। चलिए जल्दी से कहानी आपको सुना देते हैं।

“एक पाकिस्तानी लड़की है। जिसके दादा जी पाकिस्तान आर्मी में अफसर थे। लेकिन अब वो दुनिया में नहीं है। वो एक चिट्ठी और तमाम जायदाद अपनी इस बच्ची के नाम छोड़ गए हैं और साथ छोड़ गए हैं एक चिट्ठी। ये पाकिस्तानी लड़की, अपने दादा जी की जायदाद से कुछ रूपये चाहती है। लेकिन ये रूपये उसे तभी मिलेंगे, जब वो चिट्ठी को भारत में बैठी सीता को देकर आएगी। लड़की चाहे जो भी कर ले उसे जायदाद तब तक नहीं मिलेगी जब तक चिट्ठी सीता तक न पहुंच जाये। लड़की भारत आती है जहां उसकी मदद करते हैं बालाजी। बालाजी का किरदार तरुण भास्कर ने निभाया है। बालाजी और आफरीन इस चिट्ठी को पहुंचाने के लिए हर तरह से प्रयास करते हैं और उस प्रयास के दौरान वो ऐसी कहानी और रहस्यों से रूबरू होते हैं जिससे सिर्फ आफरीन ही नहीं दर्शक भी अपने आंशू रोक नहीं पाते हैं। अब आफरीन और बालाजी दोनों मिलकर चिट्ठी को उसकी मंजिल तक पहुंचा पाते हैं या नहीं और इस प्रक्रिया के दौरान ऐसा क्या होता है की दर्शकों की आंखो से आंशू बहने लगते हैं इसे देखने के लिए आपको सिनेमाघर की ओर जाना पड़ेगा।”

कैसी है कहानी

कहते हैं अगर कोई कहानी रुलाकर चली जाए तो वो सबसे बेहतरीन कहानी मानी जाती है। ये कहानी वैसी है| अंत में संतुष्टि भरा अनुभव  तो देकर जाती ही है, साथ में फिल्म देखने के बाद आंख भी भर जाती है। फिल्म में देशभक्ति तो दिखाया ही है। इसके अलावा आर्मी सिपाही की वीरता को भी दिखाया है। इस फिल्म की सबसे अच्छी बात ये लगी की इस फिल्म में भारतीय संस्कृति और हिन्दू संस्कृति का समावेश है। फिल्म में भगवान का नाम, भगवान के मंदिर, पुजारी के पैर छूना, हरे कृष्ण हरे राम मंत्र का उच्चारण देखने को मिलता है। आम तौर हम कोई भी रोमांटिक फिल्म देखते हैं तो उसमें कई ऐसे भद्दे सीन होते हैं जो भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म का नाम नीचे गिराते हैं। बॉलीवुड की कई फिल्मों में हम देखते हैं लड़कियों को आकर्षक दिखाने के लिए छोटे कपड़े पहना दिए जाते हैं|

ये फिल्म ऐसा कुछ नहीं दिखाती है। बल्कि लगभग पूरी फिल्म में इस फिल्म की लीड एक्टर सीता ने साड़ी ही पहना है। जो हिन्दू संस्कृति को प्रदर्शित करती है। साड़ी पहने हुए सीता बहुत खूबसूरत लगती हैं। फिल्म में किरदारों के ज्यादातर नाम भगवान के नाम पर हैं जैसे राम, सीता, बालाजी, सीतारमैया, विष्णु, विजयलक्ष्मी और वैदेही। फिल्म में भी मंदिरों और भगवान के मन्त्र के उच्चारण को दिखाया गया है। इसके अलावा फिल्म में हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचार को भी दिखाया है। एक दृश्य है जिसमें दिखाया है कैसे पाकिस्तान के किसी मौलवी की जेहादी सोच के कारण, कश्मीरी मुस्लिम वहां रहने वाले हिन्दुओं पर हमला कर देते हैं। वहीं पर राम उन मुस्लिम को बचाता भी है और समझाता भी है। फिल्म में दिखाया है कैसे मुसलमान कुछ मौलवी लोगों के भड़काने पर कैसे दंगा करने लग जाते हैं। वहीं हिन्दू इतने सहिष्णु है की जिनका मुस्लिमों ने घर जलाया उन्हें भी वो गले से लगाते हैं।

फिल्म में स्त्री के प्रेम को दिखाया है कैसे वो हमेशा एक व्यक्ति का इंतजार करती है और उसके लिए नूरजहां से सीता बन जाती है। राम और सीता जो किरदारों के नाम हैं उसी तरह से फिल्म में भी पवित्रता भी किरदारों ने बनाई है। फिल्म का स्क्रीनप्ले इतना अच्छा है की आपके दिल को सीधे छूता है। फिल्म में देशप्रेम तो है इसके अलावा इंसानियत भी है। इंसानियत में पनपता प्रेम भी है। फिल्म में दिखाया है कैसे एक भारतीय सहिंष्णु होकर पाकिस्तान की भी मदद करता है भले वही पाकिस्तान उसके पीठ पर छूरा मार दे। फिल्म पूरी तरह से हिन्दू संस्कृति को दिखाती हुई प्रेम की कहानी है। जिसे देखने के बाद सिनेमाघर में बैठे लोगों के आंखो में आंशू थे।

दुलकर सलमान और रश्मिका मंदाना दोनों ही बहुत खूबसूरत और प्यारे लग रहे थे। कुछ-कुछ जगह पर तो सीता के किरदार में रश्मिका ने ऐसे चेहरे के भाव बिखेरे हैं जिन्हे देखकर आपको उनसे प्यार हो जाएगा। इस फिल्म के गीत भी नए हैं और म्यूसिक भी सुकून देने वाला है। जो आपके साथ सिनेमाघर से निकलने के बाद भी रहता है। फिल्म का निर्देशन और छायांकन भी काफी खूबसूरत है। जिसमें हर एक दृश्य दिल को लुभाता है। ये फिल्म एक कविता की तरह है जो चलती जाती है और आप सुकून के साथ सुनते जाते हैं। जिसमें रोमांटिक प्रेम तो है पर भारतीय संस्कृति के साथ। जिसमें हिन्दुओं की संस्कृति भी है और हिन्दू के सहिष्णु का भी परिचय कराया गया है।
नीचे फिल्म के कुछ संवाद छोड़कर जा रहे हैं जिससे आपको फिल्म का अंदाजा हो जाएगा।

“तुम्हें पैसो की जरूरत है और इस चिट्ठी को अपनी मंजिल की”
“आमदनी न हो तो अट्ठनी खर्च करना भी महंगा पड़ता है”
“हमें किसी देश को तबाह नहीं करना, बल्कि अपने देश को तबाही से बचाना है”