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Ram Setu Movie Review: Akshay Kumar की फिल्म “रामसेतु” असल में श्रीराम के पक्ष में बात करती है या फिर बॉलीवुड का एक और छलावा है, देखिए रामसेतु रिव्यू

Ram Setu Movie Review: Akshay Kumar की फिल्म “रामसेतु” असल में श्रीराम के पक्ष में बात करती है या फिर बॉलीवुड का एक और छलावा है, देखिए रामसेतु रिव्यू यहां हम रामसेतु फिल्म की समीक्षा (Ram Setu Movie Review) करेंगे और फिल्म के अच्छे बुरे और पहलुओं पर व्यक्तिगत रूप से अपनी राय बताएंगे।

नई दिल्ली। दीपावली के खास अवसर पर रामसेतु (Ram Setu) फिल्म रिलीज़ हो चुकी है। जिसमें काम कर रहे हैं अक्षय कुमार (Akshay Kumar)। अक्षय कुमार के साथ फिल्म में हैं जैकलीन फर्नांडीस (Jacqueline Fernandez), नुसरत भरुचा (Nushrratt Bharuccha) और सत्य देव (Satya Dev)। सत्य देव दक्षिण भाषा में काम करने वाले एक्टर हैं। जिन्होंने हाल ही में आई फिल्म गॉडफादर (God Father) में भी काम किया है इसके अलावा मैंने प्यार किया फिल्म में भी इन्होने अपनी भूमिका निभाई है। फिल्म को लिखा और डायरेक्ट किया है अभिषेक शर्मा ने जिन्होंने इससे पहले परमाणु जैसी फिल्म भी बनाई है। फिल्म का छायांकन (Cinematograhy) असीम मिश्रा ने किया है जिन्होंने बजरंगी भाईजान, एक था टाइगर और ड्रीम गर्ल जैसी फिल्म के लिए काम किया है। रामसेतु दो घंटे 23 मिनट की एक्शन-एडवेंचर फिल्म है। लेकिन इसमें कितना एक्शन और कितना एडवेंचर है ये ही हम यहां बताने वाले हैं। यहां हम रामसेतु फिल्म की समीक्षा (Ram Setu Movie Review) करेंगे और फिल्म के अच्छे बुरे और पहलुओं पर व्यक्तिगत रूप से अपनी राय बताएंगे।

किरदारों की भूमिका

अक्षय कुमार फिल्म में डॉक्टर आर्यन कुलश्रेष्ठ की मुख्य भूमिका में हैं। जो की पुरातत्वविद हैं। अब आप तो जानते हैं की वैज्ञानिक या डॉक्टर  ज्यादातर तथ्यों पर भरोसा करते हैं। भाव और भावना में खोते नहीं हैं| डॉक्टर आर्यन भी ऐसे ही पुरातत्वविद हैं जो खुद को नास्तिक बताते हैं। नुसरत भरुचा का नाम गायत्री कुलश्रेष्ठ है जिन्होंने आर्यन की पत्नी की भूमिका निभाई है। इसके अलावा जैकलीन का नाम सैंड्रा है जिन्होंने भी वैज्ञानिक की भूमिका निभाई है और अक्षय के साथ रामसेतु के रहस्यों की खोजबीन का हिस्सा हैं। सत्यदेव एक टूरिस्ट गाइड बने हैं जिनका नाम एपी है ये भी अक्षय के साथ रामसेतु के रहस्यों की खोजबीन का हिस्सा हैं। । नस्सर ने इन्द्रकांत की भूमिका निभाई है जो की एक बहुत बड़ी शिपिंग कम्पनी के मालिक हैं। अन्य कलाकारों के रूप में फिल्म में अंगद राज, शुभम जयकार और प्रवेश राणा दिखने वाले हैं।

कहानी क्या है

आर्यन कुलश्रेष्ठ जो बहुत बड़ा पुरातत्वविद है लेकिन एक नास्तिक भी है। सरकार, श्रीराम और उनके सेवकों द्वारा 7000 वर्ष पूर्व के रामसेतु को तोड़ना चाहती है। जिसकी वजह है व्यापार। एक शिपिंग व्यापारी है जिसका सरकार पर दबाव है। वो अपने व्यापार को उन्नत करने के लिए राम सेतु को तोड़ने का कदम लेता है जिसे सरकार “देश की प्रगति” का नाम लेकर भुनाती है। सरकार का कहना है की ये एक प्रकृति द्वारा निर्मित पुल है। लेकिन एक संगठन और कुछ स्थानीय निवासी इस फैसले पर आवाज़ उठाते हैं और मामला अदालत में चला जाता है। आर्यन कुलश्रेष्ठ और उनकी टीम को ये साबित करने के लिए चुना जाता है की रामसेतु प्रकृति द्वारा निर्मित है न की मनुष्य द्वारा निर्मित। ऐसे में जब आर्यन अपने साथियों के साथ समुद्र में रामसेतु के रहस्यों का पता लगाने उतरते हैं तो बहुत सी कठिनाइयों के बाद उन्हें असल सच का पता लग पाता है। क्या रामसेतु मानव निर्मित है और नहीं ? क्या सरकार अदालत में फैसले को जीतकर रामसेतु को तुड़वा देगी ? क्या करोड़ों लोगों की भावनाओं और आस्था का मजाक बनेगा ? क्या नास्तिक आर्यन, रामसेतु को सच साबित कर आस्तिक बनेगा ? इन सवालों के जवाब के लिए आपको इस फिल्म को देखना पड़ेगा।

कैसी है कहानी

संक्षेप में कहें तो अगर आप श्री राम को मानते हैं। श्री राम में आस्था रखते हैं। अगर आपके मन में रामसेतु के लिए कोई प्रश्न है तो आप इसे बिना सोचे देख सकते सकते हैं। इसके अलावा अगर आप रोमांच से भरी कोई ऐसी फिल्म देखना चाहते हैं जिसमें सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जानकारी तथ्यों के साथ मिले तो आप देख सकते हैं। आज के दौर में बनाई गई ये एक अच्छी फिल्म है जिसे देखना चाहिए। यहां मैं बिंदुवार इस फिल्म से जुड़ी कुछ बातें बताऊंगा जिससे आप तय कर सकेंगे की आपको ये फिल्म देखना है या नहीं।

  • फिल्म शुरुआत से ही सस्पेंस बनाने में कामयाब होती है। अगर आप रोमांच के दीवाने हैं और रहस्यों को जानने और उसकी खोज पड़ताल करने में/देखने में मजा आता है तो आपके लिए फिल्म भी मजेदार होने वाली है।
  • फिल्म सीधे अपने मुद्दे पर आती है आपको ज्यादा घुमाती नहीं है और ज्यादा फंसाती भी नहीं है। अपनी बात को सीधे और सटीक रखती है।
  • फिल्म में वैसे कई जगह पर संवाद अच्छे तो हैं पर नुसरत भरुचा और अक्षय जब भी एक दूसरे के साथ स्क्रीन साझा करते हैं उनके संवाद और एक्टिंग दिल जीत लेती है।
  • फिल्म अपनी संस्कृति और इतिहास को केंद्र में लेकर चलती है।
  • फिल्म में एक जगह बताया गया है कैसे सरकार और व्यापारी, देश की प्रगति के नाम पर देश की धरोहर और सांस्कृतिक विरासतों का मजाक बनाती है।
  • फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर काफी अच्छा है। जिसमें ॐ नमः शिवाय और तमसो मा ज्योतिर्गमय आपको अपनी ओर खींच लेती है।
  • समुद्र के अंदर के सारे दृश्य ध्यान खींचते हैं जिन्हें आप एकटक होकर देखते रहते हो।
  • एक जगह अक्षय कुमार समुद्र के नीचे 50 फिट,100 फिट और 300 फिट तक जाते हैं। जैसे जैसे अक्षय कुमार नीचे जाते हैं दर्शकों की धड़कने बढ़ना तय है।
  • एक जगह अक्षय कुमार और उनके साथी समुद्र में डूबने लेते हैं ये डूबते वक़्त का दृश्य, वैसे ही आपकी सांस रोक लेता है जैसे कोई मनुष्य असल में पानी डूब रहा होता है।
  • जब अक्षय कुमार रहस्यों का पता लगाते हैं उस समय उन्हें एक मैनुस्क्रिप्ट मिलती है जिसमें रावण का पैलेस, अशोक वाटिका, मायासुर इन सबके बारे में पता चलता है और ये सब नया और विशिष्ट लगता है।
  • फिल्म में बेहतरीन छायांकन भी किया गया है। इसके अलावा कुछ जगहों पर रूपक का अच्छा प्रयोग है।
  • फिल्म में उन जगह का भी जिक्र है जहां रावण ने सीता मां को कैद किया जहां रावण  ने वीणा बजाई।
  • फिल्म रामसेतु को और श्री राम को एक तरह से इतिहास का हिस्सा मानती है और अपनी पटकथा के माध्यम से ये बताने का प्रयास करती है की अगर हम इतिहास को जानना चाहें तो हम जान सकते हैं बशर्ते हमें समुद्र से 300 फ़ीट नीचे जाना होगा। खुद की, खुद परिवार की और साथियों की जिंदगी दांव पर लगानी पड़ेगी।
  • अपनी रिसर्च के अंतिम पड़ाव में श्रीलंका की एक जगह में एक टनल तक अक्षय कुमार अपने साथियों के साथ बड़ी मुश्किल से पहुंचते हैं और श्रीलंका की टनल में जो लिपी लिखी गई है, जो साक्ष्य हैं, एक समय के लिए वो हर भारतीय के लिए गर्व का विषय हो जाती हैं।
  • फिल्म में आपको संजीवनी बूटी के एक छोटे से पौधे के बारे में भी जानकारी मिलती है।
  • फिल्म का क्लाइमैक्स और कोर्ट आर्ग्युमेंट फिल्म को और बेहतरीन बना देता है।
  • श्री राम, श्री राम के आदर्श, बुद्ध और तालिबान ये सब जिस एंगल से फिल्म में जोड़े गए वो भी देखकर अच्छा लगता है।
  • अक्षय कुमार के साथ टूरिस्ट गाइड के रूप में अंजनी पुत्र उर्फ़ एपी क्लाइमैक्स में सबका दिल जीत लेते हैं और आपके मुख से निकलता है “जय श्री राम”
  • लेकिन पिछली कई फिल्म की तरह इस फिल्म में भी हीरो की हीरोइक एंट्री देखने को नहीं मिलती है। अक्षय कुमार की एंट्री बहुत फीकी होती है।
  • शुरआत में अक्षय कुमार जो कॉमेडी करने की कोशिश करते हैं वो उनकी पुरानी फिल्मों की याद दिलाती है।
  • फिल्म के पहले भाग से उत्साह, इमोशन, ऊर्जा गायब रहता है लेकिन दूसरे भाग में ये दोगुना रूप में आपको मिलता है। दूसरे भाग से आप शुरुआत से लेकर अंत तक जुड़े रहते हैं।

जाते जाते फिल्म के कुछ संवाद आपके हवाले करके जाते हैं

“जो देश श्रीराम के विश्वास से चलता है उस विश्वास को चुनौती कैसे दोगे”

“तुम्हारा काम है गड़े मुर्दे उखाड़ना, लोगों की आस्था का मजाक बनाना नहीं”

“इस देश में जो श्रीराम को नहीं मानता उसका मुंह काला होना ही है”

“श्रीराम सिर्फ व्यक्ति नहीं भारत की संस्कृति हैं”

“अंग्रेज़ों द्वारा भारत के इतिहास को युरोपसेन्ट्रिक बनाने की साजिश है”

“श्री राम सिर्फ कल्पना हैं ये बताने की जिम्मेदारी श्रीराम को मानने वालों की नहीं, श्रीराम को न मानने वालों की है”

“जय श्री राम”