नई दिल्ली। बॉलीवुड में जब भी दिग्गज कलाकारों का लिया जाएगा, उसमें अभिनेता अन्नू कपूर का नाम जरूर आएगा। अन्नू कपूर सिनेमा और टीवी जगत के वो नाम हैं, जिनके पास जानकारी का खजाना है, ये बात उनके द्वारा होस्ट किए गए शोज से पता चलता है। बॉलीवुड का शायद ही कोई ऐसा कलाकार होगा, जिसके किस्से अन्नू कपूर को नहीं पता होंगे। 20 फरवरी, 1956 को भोपाल में जन्मे अन्नू कपूर ने अपने अभिनय और प्रजेंटेशन से लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई है। आज वो अपना 66वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर भी कमाल का है, जिसका इस्तेमाल करके उन्होंने लोगों का जबरदस्त मनोरंजन किया। 90 के दशक में अन्नू कपूर ने घर-घर में लोगों को अंताक्षरी का खेल खेलना सिखाया। अन्नू कपूर ने ‘शौकीन’, ‘धर्म संकट’, ‘ड्रीम गर्ल’, ‘जॉली एलएलबी’ और ‘विकी डोनर’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया और अपनी अदाकारी से लोगों का दिल जीता। अन्नू कपूर को हमेशा से ही पढ़ने-लिखने का शौक था। पढ़-लिखकर वो एक आईएएस बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही स्वीकार था। अन्नू ने अपने जीवन में काफी उतार- चढ़ाव देखें। कुछ साल पहले फेसबुक पर उन्होंने एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था, कि ‘भारतीय सिनेमा में मेरे 38 साल के संघर्ष का जश्न मना रहा हूं। 29 जून 1982 में मात्र 419 रुपए 25 पैसे लेकर सपनों की इस नगरी में पहुंचा था।’
बचपन में ही बड़ा अफसर बनने का सपना देखने वाले अन्नू की पढ़ाई आर्थिक तंगी के चलते बचपन में ही छूट गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अन्नू कपूर के पिता मदनलाल कपूर पंजाबी थे और उनकी मां कमला बंगाली थी। मदनलाल कपूर एक थिएटर चलाते थे, उसी थियेटर में उनकी मां शिक्षिका थीं, इसके अलावा वो एक कवियत्री और क्लासिकल नृत्य में पारंगत भी थीं। मां की आय महीने में सिर्फ 40 रुपए थी और इसी कमाई से घर का खर्च चलता था। इतनी कम आय में घर चलाना काफी मुश्किल था जिसके चलते अन्नू को छोटी-मोटी चीजें बेचने का काम शुरु करना पड़ा। उन्होंने घर खर्च में सहायता करने के लिए चाय से लेकर चूरन तक की सामान बेचा। अन्नू के दादाजी डा.कृपा राम कपूर ब्रिटिश आर्मी में डॉक्टर के पद पर कार्यरत थे। उनकी दादी ‘गंगा राम कपूर’ एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं।
अन्नू ने घर के बिगड़े हालातों को देखते हुए पढ़ाई को बीच में ही छोड़ कर ‘नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा’ में एडमिशन ले लिया, जिसके बाद एक नाटक में उन्होंने 70 साल के बुजुर्ग का किरदार निभाया। इस रोल ने उनकी तकदीर बदल दी। इस नाटक को देखने वाले दर्शकों में फिल्मकार श्याम बेनेगल भी मौजूद थे। श्याम बेनेगल की उन पर नजर पड़ी और उन्होंने अन्नू को फिल्म ‘मंडी’ के लिए साइन कर लिया। हालांकि ‘मंडी’ में छोटा सा रोल मिला, लेकिन उनके काम की काफी तारीफें हुईं। इस फिल्म से वो कई फिल्म निर्माताओं की नजर में आए और उन्हें कई बड़ी फिल्मों में काम करने का मौका मिला।