नई दिल्ली। सिनेमा जगत के ”थलाइवा” कहे जाने वाले रजनीकांत (Rajnikanth) की अपकमिंग फिल्म ”लाल सलाम” रिलीज से पहले ही चर्चा का विषय बन गई है। दरअसल, फिल्म ”लाल सलाम” का एक गाना Thimiri Yezhuda इन दिनों टॉक ऑफ़ द टाउन बना हुआ है। हालांकि, इस गाने की वजह से इस गाने के म्यूजिक कंपोजर और भारत के सबसे मशहूर और सेलीब्रेटेड म्यूजिशियन एआर. रहमान (AR. Rahman) को क्रिटिसिज्म और ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, इस गाने में जो आवाज यूज़ की गई है, उसके लिए एआर. रहमान (AR. Rahman) पर ”कॉपी” करने के आरोप लग रहे हैं। तो चलिए बताते हैं क्या है पूरा माजरा!!
The mesmerizing voices of Bamba Bakya & Shahul Hameed in #ThimiriYezhuda from #LalSalaam made possible by @timelessvoicesx AI voice models. 🎼
This marks the first time in the industry that a late legend’s voice has been brought back to life.
➡️ https://t.co/UUeICCg5m4… pic.twitter.com/P57EynInkL
— Sony Music South (@SonyMusicSouth) January 29, 2024
रजनीकांत (Rajnikanth) की फिल्म ”लाल सलाम” के गाने Thimiri Yezhuda में तमिल इंडस्ट्री के दो मशहूर दिवंगत सिंगर्स बांबा बाक्या और शाहुल हमीद की आवाज भी शामिल है, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर कौतुहल का दौर शुरू हो गया। दरअसल, इन दिवंगत सिंगर्स की आवाज को आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस की मदद से क्रिएट किया गया है, जिसे लेकर पहले इस गाने के कंपोजर एआर. रहमान (AR. Rahman) पर आरोप लगें कि उन्होंने बिना किसी परमिशन के इसे कॉपी किया है, या फिर AI टूल का इस्तेमाल किया है।
We took permission from their families and sent deserving remuneration for using their voice algorithms ..technology is not a threat and a nuisance if we use it right…#respect #nostalgia 🙏 https://t.co/X2TpRoGT3l
— A.R.Rahman (@arrahman) January 29, 2024
लेकिन मामले को तूल पकड़ता देख एआर. रहमान (AR. Rahman) ने चुप्पी तोड़ी और अपने एक्स अकाउंट के जरिये जानकारी दी कि उन्होंने इन सिंगर्स के परिवारवालों से बाकायदा स्वीकृति ली और उनके इसके एवज में वाजिब रकम भी दी है।
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रहमान का तरीका सही या गलत?
लेकिन सवाल अब भी यही है कि क्या टेक्नोलॉजी का इस हद तक उपयोग सही है? आजकल हम देखते हैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से हर चीज़ पॉसिबल हो रही है लेकिन जब बात कला और सिंगिंग की आती है तो यहां टेक्नोलॉजी से ज्यादा इमोशंस काम करते हैं। आज अगर एआर. रहमान (AR. Rahman) जैसे बड़े म्यूजिक डायरेक्टर्स जो खुद अपने ओरिजिनल म्यूजिक के लिए जाने जाते हैं, वो किसी दिवंगत सिंगर की आवाज टेक्नोलॉजी से क्रिएट करने का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में कल को ऐसे हीं कई और उदाहरण देखने को मिल सकते हैं जहां स्वर कोकिला लता मंगेशकर, किशोर कुमार या फिर रफ़ी साहब की आवाज को भी क्रिएट किया जाये। लेकिन अगर ऐसा होता रहा तो क्या ये म्यूजिक लवर्स की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं होगा? क्या ये उन सेलीब्रेटेड दिवंगत सिंगर्स की ऑथेंटिसिटी की तौहीन नहीं होगी? क्या फिर नए सिंगर्स के टैलेंट को मिलने वाले मौके कम नहीं हो जाएंगे?
सवाल कई हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग लगातार इसी तरह के सवाल कमेंट में करते नजर आ रहे हैं। लेकिन इन तमाम सवालों का जवाब फ़िलहाल एक ही नजर आ रहा है कि AI के इस ज़माने में इमोशन, ऑथेंटिसिटी और क्रेडिब्लिटी जैसे शब्द महज नाम मात्र के रह गए हैं।