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72 Hoorain: ’70 सालों से अपना नेरेटिव चला रहे लॉबी में खलबली मच गई’, अशोक पंडित का आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब

72 Hoorain: आतंकवाद और इस्लाम के बीच अंर्तसंबंधों पर अशोक पंडित ने स्पष्ट कर दिया कि इस्लाम का आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग आतंकवाद को मजहब से जोड़ते हैं, वो ऐसा करके गलत करते हैं। सच्चाई यह है कि आतंकवाद का मजहब से कोई लेना-देना नहीं है। आज की तारीख में आतंकवाद से हर शख्स पीड़ित है।

नई दिल्ली। क्या बीजेपी का प्रचारतंत्र बन रही है फिल्म इंडस्ट्री? क्या अब फिल्म निर्माताओं ने मुसलमानों के खिलाफ फिल्में बनाना शुरू कर दिया है? क्या बॉलीवुड अब फिल्मों के जरिए हिंदुओं के मन में मुसलमानों को लेकर नफरत भर रहा है? पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से फिल्मों को लेकर विवाद की बयार बही है, उसके बाद से इस तरह के सवाल लगातार लोगों के जेहन में उठ रहे हैं। बीते दिनों जब ‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म रिलीज हुई, जिसमें कश्मीरी पंडितों की व्यथा को प्रदर्शित किया गया, तो समाज के एक तबके ने इस फिल्म को मुस्लिमों के विरोध में बताने की कोशिश की। इसके बाद फिल्म ‘पठान’ में एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण द्वारा पहने गए भगवा बिकिनी को लेकर हिंदू संगठनों द्वारा विरोध किया गया।

इसके बाद जिस तरह से फिल्म आदिपुरुष में हिंदुओं की पौराणिक कथाओं के साथ छेड़छाड़ की गई, उसे लेकर भी खूब बवाल हुआ। वहीं, अब इन सबके बीच एक और फिल्म इन दिनों सुर्खियों में है, जिसका नाम है 72 हुर्रे। इस फिल्म को लेकर विवाद की बयार तेज होती जा रही है। दरअसल, इस फिल्म को मुस्लिम विरोधी बताने की कोशिश की जा रही है। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से विशेष समुदाय के लोगों द्वारा मजहब के नाम पर आतंकवाद का रास्ता चुना जाता है और इसके बाद उसके द्वारा चुना गया यह रास्ता पूरे राष्ट्र को तबाह कर देता है।

फिलहाल फिल्म का ट्रेलर सामने आया है, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे मजहब के नाम लोग इंसानियत के दुश्मन बन रहे हैं। किस तरह से मजहब के नाम पर युवाओं को दिग्भ्रमित किया जा रहा है। उन्हें इंसान का दुश्मन बनाया जा रहा है। यह समाज की वह कटु सच्चाई है, जिसे फिल्म के जरिए पेश करने की कोशिश की गई है। जिसके बाद से यह फिल्म खासा सुर्खियों में है। जहां कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं, तो वहीं कुछ समर्थन भी कर रहे हैं। इसी बीच फिल्म के सह-निर्माता अशोक पंडित ने फिल्म के संदर्भ में न्यूज रूम पोस्ट के पत्रकार प्रशांत भारद्वाज से विस्तृत बातचीत की। जिसमें उन्होंने फिल्म को लेकर उठ रहे सवालों पर तफसील से अपनी राय साझा की। आइए, आगे आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

अशोक पंडित से सबसे पहले यही सवाल किया गया था कि क्या यह फिल्म किसी विशेष धर्म को टारगेट कर रही है?, जिस पर अशोक पंडित ने दो टूक कह दिया कि यह फिल्म किसी विशेष धर्म को टारगेट नहीं करती है। भला हम किसी धर्म को टारगेट क्यों करेंगे, बल्कि इस फिल्म में हमने यह सच्चाई दिखाने की कोशिश की है कि कैसे युवाओं को धर्म के नाम पर बरगलाने की कोशिश की जा रही है। युवाओं को झूठे सपने दिखाकर बरगलाया जा रहा है। वहीं, जब उनसे फिल्म के विरोध करने के असल वजह के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि हमारी फिल्म का विरोध इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि हम मोदी समर्थक हैं। हम मोदी को सपोर्ट करते हैं। इसलिए मोदी विरोधी गैंग अब इस फिल्म के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाने की जिम्मेदारी अपने कांधों पर ले चुकी है।

कोई दो मत नहीं यह कहने में सिनेमा समाज में अभिव्यक्ति की आजादी का माध्यम है। सिनेमा के माध्यम से हर किसी को अपनी राय रखने का है। इसी तरह से हमने भी फिल्म 72 हुर्रे के जरिए समाज की कुछ कटु सच्चाइयों को पेश करने की कोशिश की गई। पिछले 70 सालों से देश में जो नेरेटिव चल रहा था। उसे इस फिल्म ने ध्वस्त कर दिया है। इस फिल्म ने समाज को सच्चाई से परिचय कराया है। जिसकी वजह से कुछ लोगों को यह फिल्म रास नहीं आ रही है।

वहीं, आतंकवाद और इस्लाम के बीच अंर्तसंबंधों पर अशोक पंडित ने स्पष्ट कर दिया कि इस्लाम का आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग आतंकवाद को मजहब से जोड़ते हैं, वो ऐसा करके गलत करते हैं। सच्चाई यह है कि आतंकवाद का मजहब से कोई लेना-देना नहीं है। आज की तारीख में आतंकवाद से हर शख्स पीड़ित है। जिसका उपचार अनिवार्य है, लेकिन अफसोस जब भी आतंकवाद के खिलाफ कोई फिल्म आती है, तो कुछ लोगों को मिर्ची लग जाती है।

इसके अलावा जेएनयू में फिल्म की स्क्रीनिंग को लेकर भी उनसे सवाल किया गया, तो उन्होंने दो टूक कहा कि वहां कमाल के युवा पढ़कर निकलते हैं। प्रतिभावान युवाओं का खजाना उस यूनिवर्सिटी में पाया जाता है, जिसे ध्यान में रखते हमने वहां फिल्म की स्क्रीनिंग कराने का फैसला किया। वहीं, जब यूनिवर्सिटी की मौजूदा छवि के बारे में उनसे सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि कुछ चंद लोगों ने अपनी राजनीतिक स्वार्थ को ध्यान में रखते हुए यूनिवर्सिटी की नाम को खराब कर दिया है, लेकिन आज भी इस यूनिवर्सिटी में प्रतिभा का का खजाना मौजूद है।

वहीं, उनसे जब धमकियों को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि मैं किसी की भी धमकियों से नहीं डरता हूं। मैं एक फिल्म निर्माता हूं और देश का संविधान मुझे अभिव्यक्ति की आजादी के तहत किसी भी प्रकार की फिल्में बनाने का इजाजत देता है। वहीं, जब उनसे यह सवाल किया गया कि क्या आपको लगता है कि फिल्म देखने वालों में मुस्लिम भी शामिल होंगे, तो उन्होंने कहा कि फिल्म है, तो कोई भी देख सकता है। अब अगर किसी को फिल्म का विरोध करना है, तो वो कर सकता है, मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। तो इस तरह से न्यूज रूम पोस्ट के पत्रकार प्रशांत भारद्वाज से विशेष बातचीत के दौरान फिल्म के सह निर्माता अशोक पंडित ने खुलकर सभी सवालों के जवाब दिए हैं।