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Bholaa Review: भोला रिव्यू, त्रिशूल पर टिका भयंकर एक्शन, लेकिन अजय देवगन के आभामंडल में कहानी के निखार में कमी

Bholaa Review: भोला फिल्म के कलाकारों की लिस्ट काफी लम्बी है। लेकिन क्या इतने सारे कलाकारों के काम करने के बाद उनका असल रस निकल कर बाहर आ पाया है। या फिर अजय देवगन की आभामंडल से सब कुछ छुप सा गया है। खुद भोला के निर्देशन में बनी फिल्म में अजय का निर्देशन कैसा है? और दक्षिण भाषा की फिल्म कैथी का रिमेक क्या दर्शकों पर उतना असर छोड़ पाई है ? क्या फिल्म की पटकथा और संवाद आकर्षित करते हैं इन सभी बातों को इस रिव्यू के माध्यम से जानने का प्रयास किया जाएगा।

नई दिल्ली। अजय देवगन की फिल्म भोला सिनेमाघरों में रिलीज़ हो गई है। काफी दिनों से भोला का प्रमोशन चल रहा है। अजय देवगन द्वारा निर्देशित फिल्म भोला में बतौर एक्टर खुद अजय देवगन ने तो काम किया ही है। साथ ही कई अन्य बड़े कलाकार जैसे तब्बू, दीपक डोबरियाल, संजय मिश्रा, गजराज राव, विनीत कुमार, मकरंद देश पांडेय जैसे कई अन्य कलाकारों ने काम किया है। भोला फिल्म के कलाकारों की लिस्ट काफी लम्बी है। लेकिन क्या इतने सारे कलाकारों के काम करने के बाद उनका असल रस निकल कर बाहर आ पाया है। या फिर अजय देवगन की आभामंडल से सब कुछ छुप सा गया है। खुद भोला के निर्देशन में बनी फिल्म में अजय का निर्देशन कैसा है? और दक्षिण भाषा की फिल्म कैथी का रिमेक क्या दर्शकों पर उतना असर छोड़ पाई है ? क्या फिल्म की पटकथा और संवाद आकर्षित करते हैं इन सभी बातों को इस रिव्यू के माध्यम से जानने का प्रयास किया जाएगा।

कैसी है फिल्म

अगर आप फुल ऑन एक्शन फिल्म देखना चाहते हैं और आपको कहानी से कुछ खास मतलब नहीं है और सिर्फ मनोरंजन के लिए फिल्म देखना है तो तुरंत फिल्म देख सकते हैं। क्योंकि आने वाले हफ्ते में कोई बड़ी फिल्म आने के लिए तैयार नहीं है ऐसे में भोला आपके एंटरटेनमेंट का अच्छा साधन बन सकता है। अजय देवगन के एक्शन काफी अच्छे हैं। वीएफएक्स की बात करें तो वो भी ठीक-ठाक हैं। हालांकि भारत में अभी वीएफ़एक्स का प्रयोग और उनकी गुणवत्ता में काफी सुधार होना बाकी है। अजय देवगन की स्टाइल, लुक, मार-धाड़ सब देखने लायक है। कुल मिलाकर एक बार के लिए फिल्म देख सकते हैं।

समीक्षा –

सिर्फ एक्शन Or एक्शन

अब अगर कुछ गहराई में जाकर बात करें तो इस फिल्म में सिर्फ एक्शन ही एक्शन है। एक्शन में खूब गाड़ियां उड़ रही हैं। मारपीट हो रही है और बड़े से बड़े विलेन आ रहे हैं। शुरुआत में ही बता दें, एक 5 से 10 मिनट का लम्बा त्रिशूल वाला सीन है जो कि काफी बेहतरीन है, अगर आप उसे देखेंगे तो वो आपको जरूर पसंद आएगा। दीपक डोबरियाल और संजय मिश्रा का काम भी सही है लेकिन कहानी में इन सभी कलाकरों को बेहद कम समय स्क्रीन पर मिला है। विलेन का पूरा पोटेंशियल निकल कर सामने नहीं आया है। चाहे वो विलेन के रूप में दीपक डोबरियाल हों और चाहे विनीत कुमार।

शैतान ने शैतानी कम की

अजय देवगन की फिल्म देखकर ऐसा लगता है अजय देवगन ने जिन शैतानों का वादा किया था वो शैतान तो फिल्म में हैं लेकिन उन शैतानों ने उतनी शैतानी की नहीं है, जितनी उनसे करवाई जा सकती थी, विलेन की वेशभूषा और उनको स्टाइल तो डरावनी दी है लेकिन वो डरा नहीं पाए उन्होंने उतना कोहराम नहीं मचाया, हां हल्ला खूब किया है। संजय मिश्रा एक सीन में अपने काम से तालियां बजाने पर मजबूर कर देते हैं। अजय देवगन के एक्शन अच्छे हैं और फिर से कहूंगा वो त्रिशूल वाला पूरा 5 से 10 मिनट का सीन कमाल का है। इसके अलावा अजय देवगन ने जितनी जगह पर लुक्स दिए हैं वो भी बेहतरीन हैं तो आप अगर सिंघम एक्टर के फैन हैं तो भी जाकर फिल्म जरूर देख सकते हैं।

कहानी और पटकथा में कितनी ताकत

कहानी उतनी ख़ास नहीं है। पूरी कहानी सिर्फ एक्शन पर टिकी हुई है। कहानी का प्लॉट उतना मजबूत नहीं है, कुछ जगह को छोड़कर कहानी में इमोशन नहीं हैं। कोई आउटस्टैंडिंग कहानी नहीं है। लव स्टोरी रोमांस नहीं है। गाने अच्छे हैं लेकिन वो भी आउटस्टैंडिंग की श्रेणी में खड़े नहीं होते हैं। । इसके अलावा क्लाइमैक्स में जाकर अजय देवगन भी सलमान खान की तरह टाइगर क्लब में शामिल होने की कोशिश करते हैं। जिसमें दमदार एक्शन से सबकुछ तहस-नहस कर दिया गया है। लेकिन वो सारा आतंक बस 5 मिनट में खत्म हो जाता है और 5 मिनट में पूरी शांति छा जाती है, इतना सबकुछ हो जाता है लेकिन फिल्म सैटिस्फाई नहीं कर पाती है। साथ ही पटकथा की बात करें तो वो भी कुछ हटकर नहीं है। सामान्य सी कहानी और सामान्य सी उसकी पटकथा है। जिसमें एक भोला नाम का कैदी है जो जेल से अपनी बेटी को बचाने के लिए छूटता है लेकिन फिर वो पुलिस के सिपाहियों की जान को बचाने के लिए ऐसे चक्कर में पड़ जाता है, जहां उसके लिए अपनी बेटी से मिलने से ज्यादा देश के सिपाहियों की जान बचाना महत्वपूर्ण बन जाता है। पटकथा के संवादों की बात करें तो संवाद भी बहुत सामान्य हैं उसमें दर्शन और विशिष्टपन की काफी कमी है। कुल मिलाकर कहानी, संवाद और पटकथा के आधार पर भोला आपको एक बार देखे जाने वाला अनुभव बन सकती है। हाल ही में बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों का सिलसिला थोड़ा सा थमा हुआ है ऐसे में भोला के साथ वक़्त बिताना एक ठीक-ठाक समय का व्यय हो सकता है।

सिंघम का निर्देशन 

अजय के निर्देशन में कुछ अलगपन देखने को मिलता है और उसमें त्रुटियां सीधे तौर पर उतनी नहीं दिखती हैं। ये एक ठीक-ठाक मनोरंजक फिल्म है लेकिन अगर कहानी दृश्यम जैसी खास होती है और उस पर जबरदस्त एक्शन और टॉप लेवल वीएफएक्स होते, तो ये एक जानदार-शानदार फिल्म बन जाती। फिल्म का कैनवास इतना बड़ा है कि उम्मीद की जाती है कि कहीं ये आरआरआर फिल्म के ऊपर न निकल जाए, या उसके बराबर में आकर न खड़ी हो जाए,  लेकिन फिल्म देखने के बाद ये समझ आता है कि राजामौली बनना सबके बस की बात नहीं है। फिर भी एक बार जाकर फिल्म देख सकते हैं। हमारी तरफ से फिल्म को 3 स्टार।