newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Mukesh Death Anniversary: रिकॉर्डिंग के दिन उपवास से लेकर भागकर शादी करने तक दिलचस्प है मुकेश की कहानी, आखिरी वक्त में भी नहीं छोड़ा था म्यूजिक का साथ

Mukesh Death Anniversary: ‘मेरा जूता है जापानी’, ‘किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार’, ‘एक प्यार का नगमा है… ‘ और ऐसे न जाने कितने ही एवरग्रीन गाने हैं जिन्हें मुकेश ने अपने सुरों से सजाया था, जो आजतक सुने जाते हैं और पसंद किए जाते हैं। हिंदी सिनेमा को ऐसे ही खूबसूरत गीतों की सौगात देने वाले लेजेंड्री सिंगर मुकेश की आज पुण्यतिथि है। तो चलिए आज उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर आपको बताते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ किस्से।

नई दिल्ली। ‘इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल…’ राज कपूर की आवाज कहे जाने वाले सदाबहार सिंगर मुकेश आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज करते हैं। ‘कहता है जोकर सारा जमाना’, ‘दोस्त-दोस्त न रहा’, ‘जीना यहां मरना यहां’,’आवारा हूं’, ‘मेरा जूता है जापानी’, ‘किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार’, ‘एक प्यार का नगमा है… ‘ और ऐसे न जाने कितने ही एवरग्रीन गाने हैं जिन्हें मुकेश ने अपने सुरों से सजाया था, जो आजतक सुने जाते हैं और पसंद किए जाते हैं। हिंदी सिनेमा को ऐसे ही खूबसूरत गीतों की सौगात देने वाले लेजेंड्री सिंगर मुकेश की आज पुण्यतिथि है। तो चलिए आज उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर आपको बताते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ किस्से।

अपने दर्द भरे गानों से दिल के ताड़ छेड़ देने वाले सिंगर मुकेश का जन्म 22 जुलाई 1923 में दिल्ली में हुआ था। मुकेश का पूरा नाम मुकेश चंद्र माथुर था। उनके पिता जोरावर चंद्र माथुर पेशे से इंजीनियर थे। मुकेश के 10 भाई-बहन थे और वह छठे नंबर के थे। मुकेश को बचपन से ही गाने का शौक था। दसवीं तक पढ़ने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ कर पीडब्ल्यूडी में नौकरी कर ली और काम से बीच-बीच में वक़्त निकाल कर वो अपने गाने का शौक भी पूरा कर लेते थे।

मुकेश के किस्मत का दरवाजा तब खुला जब उनकी बहन की शादी में एक्टर मोतीलाल आए और उन्होंने मुकेश को गाते हुए सुना। फिर क्या था। वह मुकेश को मुंबई ले गए। इसके बाद मुकेश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मुकेश के नैन-नक्श कमाल के थे। जिस कारण साल 1941 में फिल्म ‘निर्दोष’ में उन्हें सिंगर बनने के साथ-साथ एक्टर बनने का भी मौका मिला। हालांकि, मुकेश का एक्टिंग करियर तो नहीं चला लेकिन संगीत की दुनिया में मुकेश ने अपना बड़ा मक़ाम बनाया। उनका पहला गाना था- ‘दिल जलता है तो जलने दो’

मुकेश अपनी गायिकी के प्रति इस कदर समर्पित थे कि जिस दिन भी उनके किसी गाने की रिकॉर्डिंग होती थी उस दिन वो खाना नहीं खाते थे। उपवास करते थे। मुकेश ऐसा अपने सुरों को परफेक्ट बनाने के लिए करते थे। रिकॉर्डिंग के दिन मुकेश सिर्फ गरम दूध और गरम पानी ही पीते थे। हालांकि, मुकेश खाने-पीने के बड़े ही शौकीन थे।

मुकेश की गायिकी ही नहीं उनकी प्रेम कहानी भी बड़ी दिलचस्प थी। 23 साल की छोटी उम्र में मुकेश ने सरला त्रिवेदी से भागकर शादी की। क्योंकि, सरला के पेरेंट्स मुकेश संग शादी के खिलाफ थे। इसलिए मुकेश ने सरला के साथ भागकर मंदिर में शादी रचाई थी। मुकेश के नाती नील नितिन मुकेश हैं, जो आज बॉलीवुड में एक जाना-माना नाम बन चुके हैं। नील के पिता सिंगर नितिन मुकेश हैं।

गुलज़ार साहब का एक शेर है कि- ‘ऐसे मरना है मुझे जैसे लिखते-लिखते स्याही खत्म हो जाए…’ सिंगर मुकेश के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उन्होंने अपने आखिरी वक़्त में भी सिंगिंग का साथ नहीं छोड़ा। मुकेश का निधन 27 अगस्त 1976 को अमेरिका में एक स्टेज शो के दौरान हुआ था। कॉन्सर्ट के बीच में ही उन्हें हार्ट अटैक आया था। कहा जाता है कि जब मुकेश को हार्ट अटैक आया था, उस समय वो ‘इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल’ गाना गा रहे थे।