Crash Course Review: क्या क्रैश कोर्स सीरीज विद्यार्थियों का दर्द और सच्चाई बताने में सफल हुई है ?

Crash Course Review: क्या क्रैश कोर्स सीरीज विद्यार्थियों का दर्द और सच्चाई बताने में सफल हुई है क्या इसकी कहानी आपको असल सच्चाई बताती है ? क्या इससे विद्यार्थियों का दर्द बयां हो पाता है ? इन सभी सवालों का जवाब हम यहां देने का प्रयास करेंगे।

Avatar Written by: August 5, 2022 1:32 pm

नई दिल्ली। अमेज़ॉन प्राइम पर 10 एपिसोड में क्रैश कोर्स (Crash Course) नाम की सीरीज रिलीज़ हो गई है। सीरीज में मुख्य भूमिका अन्नू कपूर (Annu Kapoor) निभा रहे हैं। इसके अलावा भानु उदय (Bhanu Uday) और उदित अरोड़ा (Udit Aroda) भी सीरीज में कलाकार की भूमिका में हैं। सीरीज को मनीष हरिप्रसाद और रैना रॉय ने लिखा है। क्रैश कोर्स का डायरेक्शन विजय मौर्या (Vijay Maurya) ने किया है। सीरीज की कहनी कोटा में पढ़ रहे बच्चों और कोटा में चल रहे कोचिंग इंस्टीट्यूट के इर्द-गिर्द घूमती है। इससे पहले कोटा फैक्ट्री (Kota Factory) नाम की एक और सीरीज रिलीज़ हुई थी जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया था। क्या यह सीरीज उससे कहीं ज्यादा बेहतर है ? क्या इसकी कहानी आपको असल सच्चाई बताती है ? क्या इससे विद्यार्थियों का दर्द बयां हो पाता है ? इन सभी सवालों का जवाब हम यहां देने का प्रयास करेंगे।

क्या है कहानी

फिल्म की कहानी राजस्थान के कोटा से शुरू होती है। जहां पर दो कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं और दोनों के बीच में आगे बढ़ने की होड़ मची हुई है। आगे रहने की ये होड़ लड़ाई में तब्दील हो जाती है। जिस कारण कोचिंग में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ता है। अब इन हालातों में रहकर बच्चे किस तरह से पढाई करते हैं, अपने दोस्तों की बीच उस माहौल में रहते हुए वो कैसे अपनी जिंदगी को ढालते हैं, उनकी पढ़ाई पर इन सभी चीज़ों का क्या प्रभाव पड़ता है। सीरीज पूर्णतः इन्हीं विषयों पर केंद्रित है।

सीरीज में दिखाया गया है कैसे बच्चे कोचिंग में पढ़ते हैं और उन्हें शुरूआती दौर से लेकर अंत तक कितनी और किस किस तरह की मुसीबत का सामना करना पड़ता है। कोचिंग के नाम पर चल रहे धंधे को, सीरीज में मुख्य जगह दी गयी है। बच्चों की पढाई की चिंता न करके कैसे अपनी जेब भरी रहे, इंस्टीट्यूट कैसे अन्य इंस्टीट्यूट की अपेक्षा उंचाई पर रहें, सीरीज इन्हीं विषयों पर केंद्रित है।

कैसी है कहानी

सीरीज में 10 एपिसोड हैं और सभी एपिसोड लगभग 45 मिनट के हैं लेकिन ये आपको उतने उबाऊ नहीं लगते हैं। सीरीज को जिस तरह से थ्रिल टच देने की कोशिश करी गई है वह दिलचस्प है। इसके अलावा किरदारों का चरित्र निर्माण ऐसा है, जो सीरीज में बांधकर रखता है। किरदारों को सिर्फ कोचिंग तक सीमित नहीं रखा गया है उनकी दोस्ती और बॉन्डिंग को भी दिखाने का प्रयास किया गया है। इसके अलावा छात्रों के इमोशनल पक्ष को भी बेहतरीन ढंग से दिखाया गया है की कैसे कोचिंग के बिजनेस के चक्कर में वहां पढ़ने वाले, मेहनती और भोले-भाले बच्चे पिस रहे हैं।

अन्नू कपूर मुख्य भूमिका ने सीरीज में जान डाल दिया है। सीरीज को लंबा भी खींचा गया है, जो कहीं-कहीं पर गैरजरूरी लगता है। इसके अलावा फिल्म के प्रोडक्शन में दम देखने को नहीं मिलता है जिसके कारण सीरीज के कुछ पक्ष कमजोर नज़र आते हैं। ओवरऑल सीरीज को आप देख सकते हैं लेकिन ये आपका अधिक समय मांगती है और उस हिसाब से आपके समय के साथ न्याय भी नही करती है।