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Good Luck Jerry Movie Review: क्या Janhvi Kapoor की इस फिल्म में कॉमेडी और ड्रामा है या फिर जान्हवी हुई हैं एक्टिंग में फेल

Good Luck Jerry Movie Review: क्या Janhvi Kapoor की इस फिल्म में कॉमेडी और ड्रामा है या फिर जान्हवी हुई हैं एक्टिंग में फेल यह एक थिएटर आधारित मटेरियल नही है यह एक बेहद औसत दर्ज़े की फिल्म है जिसे ओटीटी पर ही देखा जा सकता है।

नई दिल्ली। जान्हवी कपूर (Janhvi Kapoor) की फिल्म गुड लक जेरी (Good Luck Jerry) डिज़्नी प्लस हॉटस्टार (Disney Plus Hotstar) पर रिलीज़ हो गई है और जान्हवी अपने नये अवतार से सभी के होश भी उड़ा रही हैं| जान्हवी कपूर जो हमेशा से ही एक आरामदायक और शहरी वातावरण में पली-बढीं हैं वो अब गांव की एक सामान्य लड़की का किरदार निभा रही हैं| जान्हवी कपूर के इस रोल में, जिन्दगी जीने की समझ होगी, और मुश्किलों से लड़ने की सीख भी होगी| पहली बार जान्हवी किसी फिल्म में गाली देती नज़र आ रही हैं और वो भी ठेठ बिहारी अंदाज़ में, इस वजह से इस बार उनके चरित्र के साथ उनकी भाषा में भी परिवर्तन देखने को मिलने वाला है| फिल्म को पूर्ण रूप से कॉमेडी जामा पहनाने की कोशिश तो की गयी है, लेकिन यह उसमें कितना कारगर है चलिए रिव्यू के जरिए जानते हैं।

क्या है फिल्म की कहानी

यह एक लड़की जेरी यानी जान्हवी कपूर की कहानी है जो अपनी मां और एक छोटी बहन के साथ बिहार के किसी छोटे से गांव में रहती है। परिवार का पालन-पोषण का भार सिर्फ जान्हवी के कन्धों पर है और परिवार की समस्याओं से वो परेशान रहती है। परिवार के लिए उसे एक मसाज पार्लर में काम करना पड़ता है जहां उसे कुछ ऐसे ग्राहक मिलते हैं जो जान्हवी की जिंदगी को उबाऊ बना देते हैं। जिंदगी से हताश जान्हवी एक नया रास्ता तलाशने की कोशिश कर रही है पर गांव के सारे रास्ते कच्चे हैं। जेरी की जिंदगी में नया मोड़ तब आता है जब उसे पता चलता है कि उसकी मां को कैंसर है और इस दुःख को वो सह नही पाती है। इसके बाद वो पंजाब के एक गांव में जाती है जहां कुछ ऐसे लोगों के चक्कर में पड़ जाती है जो उसे क्राइम की दुनिया में ले जाते हैं। अब जेरी के लिए मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। इन्हीं सब मुश्किलो से लड़ते हुए जेरी की जिंदगी चलती है और वो कैसे इस क्राइम से निकलेगी और उसमें रहकर उसके साथ क्या क्या होगा इन्हीं बीच में कहानी चलती है।

कैसी है फिल्म

सबसे पहली बात तो यह एक थिएटर आधारित मटेरियल नही है यह एक बेहद औसत दर्ज़े की फिल्म है जिसे ओटीटी पर ही देखा जा सकता है। फिल्म शुरुआत में ही कहानी से जोड़ने में असफल रहती है लेकिन जैसे ही कहानी में, जान्हवी का सामना गुंडों से होता है फिल्म से आपका जुड़ाव बन जाता है। फिल्म मनोरंजन के हिसाब से ठीक है लेकिन भावनात्मक नज़रिए से असफल हो जाती है। फिल्म की कहानी अपने विषय पर जोर देकर खड़ी नही हो पाती है। कुछ जगह पर फिल्म में हास्यात्मक दृश्य हैं लेकिन उसके संवाद उतने ठोस नहीं हैं कि आप जोर-जोर से हंसने लगें। फिल्म देखने के दौरान मुस्कान जरूर चेहरे पर बनी रहती है पर स्क्रीनप्ले से आपको नया कुछ जानने को नहीं मिलता है और इसलिए यह फिल्म एक औसत दर्जे की फिल्म लगती है। अगर एक्टिंग की बात करें तो जान्हवी का काम ठीक- ठाक है पर वहीं दीपक डोबरियाल ने बेहतरीन काम किया है। भले ही उन्हें कम दृश्य मिले हों लेकिन जब जब उन्हें दृश्य मिले हैं उन्होंने बेहतरीन काम किया है। इसके अलावा जितने भी कलाकार हैं सभी ने भी अच्छा काम किया है। फिल्म का डायरेक्शन ठीक है लेकिन क्योंकि पटकथा इतनी कमजोर है इसलिए निर्देशन भी वो छाप नहीं छोड़ पाता है। कुल मिलाकर यह बहुत औसत दर्ज़े की फिल्म है जिसे अगर आपको देखने का शौक है तभी आप देख सकते हैं फिल्म में ज्यादा कुछ देखने लायक नहीं है।