नई दिल्ली : बतौर निर्माता करण जौहर के बैनर तले बनी फिल्म “जुग जुग जियो” रिलीज़ हो गयी है जिसमें अनिल कपूर, नीतू कपूर, वरुण धवन, किआरा आडवाणी मुख्य भूमिका में हैं इसके अलावा फिल्म में मनीष पॉल, प्रजाक्ता कोली और टिस्का चोपड़ा भी सह कलाकार के रूप में काम कर रहे हैं। फिल्म में कुकू (वरुण धवन), भीम(अनिल कपूर) और गीता(नीतू कपूर) के बेटे का किरदार निभा रहे हैं इसके अलावा नैना (किआरा आडवाणी) कुकू की पत्नी का किरदार निभा रही हैं । यह फैमिली ड्रामा फिल्म है, जिसमें करण जौहर की फिल्म स्टाइल की झलक देखने को मिलती है, जिस तरह से वो बड़े बड़े सेट बनाते हैं, बाप- बेटे एक साथ बैठे शराब पी रहे होते हैं, फैमिली में कोई भी फंक्शन बड़े लेवल का होता है, परिवार में आर्थिक समस्याएं तो नहीं होती हैं पर परिवार, आपस में बंटा हुआ जरूर होता है और रिश्तों को सम्हालने में असमर्थ होता है । फिल्म की मार्केटिंग खूब हुई है पर फिल्म सफल कितनी होगी ये देखना बाकी है।
कहानी क्या है
कुकू और नैना एक दूसरे को पहले से जानते हैं और अब वो शादीशुदा है उनकी शादी को हुए पांच साल हो गये हैं लेकिन उनकी शादी में अब टेंशन आना स्टार्ट हो गयी है। जिसको देखते हुए दोनों एक दूसरे से अलग होने का फैसला करते हैं। वो कनाडा में रहते हैं और कनाडा से भारत वापस आते हैं क्योंकि कुकू की बहन गिन्नी (प्राजक्ता कोली ) की शादी है। दोनों घर पहुँचते हैं, वो भीम और गीता को यह बतायें की उन्होंने अलग होने का फैसला किया है उससे पहले ही भीम , कुकू को शराब के नशे में बताते हैं कि वो भी गीता को तलाक देना चाहते हैं। इसके अलावा गिन्नी भी अपने रिश्ते से खुश नहीं होती है और इन्ही रिश्तों की कमजोर डोर को पकड़कर कहानी आगे बढ़कर क्लाइमेक्स तक पहुँचती है।
कहानी हिट है और फ्लॉप
कहानी को अनुराग सिंह, ऋषभ शर्मा, सुमित भटेजा और नीरज उधवानी ने लिखा है। पहली बात तो साफ़ है, कि कहानी नई है और यूनीक है और अंत तक आपका इंट्रेस्ट फिल्म में बनाये रखती है। लेकिन अगर स्क्रीनप्ले की बात करें तो वो सधा हुआ नहीं लगता है। फिल्म में रिश्तों को बिखरते हुए तो दिखाया गया है पर रिश्तों के बिखरने के कारण को उचित ढंग से नहीं दिखाया है। स्क्रीनप्ले के कुछ सीन को देखकर लगता है कि लेखक ने समाज में फैली तलाक जैसी समस्या को दिखाने का प्रयास किया है। पर रिश्ते बिखरे क्यों हैं रिश्ते तलाक तक पहुँचते क्यों हैं, उसके मूल कारण को लिखने से लेखक भटक गये है। इसके अलावा फिल्म में कुछ अच्छे सीन के जरिए लोगों के दिल को बहलाने का प्रयास किया है, उन्हें एंटरटेन करने का प्रयास किया है, और वो काफी अच्छे हैं। फिल्म में इमोशनल सीन लगभग गायब हैं जो दिल को रुलाने का काम करते हैं और जिसके बारे में लोग बाहर आकर बात करते हैं। अगर एक्टिंग की बात करें तो भीम के रूप में अनिल कपूर ने पूरी फिल्म को अपने कंधे पर ले लिया है, नीतू कपूर की एक्टिंग और अच्छी हो सकती थी। इसके अलावा वरुण धवन ने भी काम अच्छा किया है और किआरा को देखकर आपका दिल खुश हो जाएगा। मनीष पॉल जो टेलीविज़न शोज़ में हंसाते हैं उन्होंने फिल्म में भी भरपूर हंसाया है। बाकी टिस्का चोपड़ा और प्राजक्ता का रोल सामान्य है। डायरेक्शन लेवल पर फिल्म इमोशनल लेवल को कैप्चर नहीं कर पाती है। इसके अलावा गाने खूबसूरत हैं और वो दर्शको को बांधे रखते हैं। फिल्म जिस हिसाब से मार्केटिंग की गयी है, उस लेवल की नहीं है पर अब दर्शको का मूड क्या करवट लेता है आने वाले समय में पता चल जायेगा ।
फिलहाल फिल्म रिलीज़ हो गयी है अब देखिये बॉक्स ऑफिस पर कितना कलेक्शन करती है।