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17 की उम्र में बन गई थीं दो बेटियों की मां, पति को नहीं था पसंद पत्नी करें फिल्मों में काम, जानें फिर कैसे बन गई ‘लीला मिश्रा’ शोले की ‘बसंती की मौसी’

तो बसंती मौसी का मूल नाम लीला मिश्रा था। अभिनेत्री का जन्म 1 जनवरी 1908 में उत्तर प्रदेश में हुआ था। अभिनेत्री के ताल्लुकात जमीदार खानदान से थे। अभिनेत्री के परिवारवाले काफी रूढिवादी थे। उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं था कि उनके घर की लड़कियां किसी फिल्म में काम करे और वैसे भी उन दिनों फिल्मों में महिला अभिनेत्रियों का कोई अस्तित्व ही नहीं था।

नई दिल्ली। साल था 1975….डायरेक्टर थे रमेश सिप्पी साहब…अब अगर आपका फिल्म ज्ञान तनिक भी दुरूस्त हो तो आप समझ ही गए होंगे कि हम किस फिल्म की बात करने जा रहे हैं। जी बिल्कुल…सही समझ रहे हैं आप…हम फिल्म शोले की बात कर रहे हैं…जिस फिल्म ने सभी पुराने कीर्तिमानों को ध्वस्त कर नया कीर्तिमान स्थापित किया था…जिस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस में धमाल मचाकर रख दिया था…वैसे तो इस फिल्म में बेशुमार किरदार थे, जिन्हें सदैव याद रखा जाएगा। मसलन, सूरमा भौपाली, बसंती, जय-वीरू, साम्भा और गब्बर। इन किरदारों ने इस फिल्म को जो पहचान दिलाई है, उसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है, लेकिन इन सबके बीच इस फिल्म में एक ऐसा किरदार भी था, जिसे अगर हम भूल जाए, तो शायद फिल्म शोले फीकी साबित होगी और उस किरदार का नाम था ‘बसंती मौसी’। जी हां… बखूबी पहचाना आपने…बसंती मौसी और जय वीरू के बीच का संवाद तो आपको पता ही होगा, जो कि आज भी काफी मशहूर है। आज इस आर्टिकल में हम बसंती मौसी के बारे में ही आपको बताने जा रहे हैं।

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तो बसंती मौसी का मूल नाम लीला मिश्रा था। अभिनेत्री का जन्म 1 जनवरी 1908 में उत्तर प्रदेश में हुआ था। अभिनेत्री के ताल्लुकात जमीदार खानदान से थे। अभिनेत्री के परिवारवाले काफी रूढिवादी थे। उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं था कि उनके घर की लड़कियां किसी फिल्म में काम करे और वैसे भी उन दिनों फिल्मों में महिला अभिनेत्रियों का कोई अस्तित्व ही नहीं था। यही नहीं, उन दिनों फिल्मों में स्त्रियों के किरादर भी पुरूष अभिनेता ही निभाया करते थे। तो यह कहना सहज रहेगा कि अभिनेत्री के परिजन बेहद रूढिवादी थे। लिहाजा, उन्होंने लीला मिश्रा की शादी महज 12 वर्ष की आयु में बनारस के रहने वाले राम प्रसाद मिश्रा से कर दी थी। लेकिन, इसे अभिनेत्री की खुशकिस्मती कहना ही अधिक उचित रहेगा कि उनके पति रामप्रसाद मिश्रा दकियानूसी सोच के नहीं थे। वे आधुनिक किस्म के व्यक्ति थे। वे महिलाओं को पूरी आजादी देते थे। वे उस दौर में भी महिला सशक्तिकरण की वकालत किया करते थे। लीला मिश्रा 17 वर्ष की आयु में दो बेटियों की मां बन गईं थीं।

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अमूमन, रामप्रसाद का मुंबई आना जाना होता था। वे वहां कश्मीरी नाटक कंपनियों में काम करते थे। तो एक दिन ऐसा हुआ कि उनका कोई मित्र उनके घर आया, तो उन्होंने लीला मिश्रा को देखने के बाद रामप्रसाद को उन्हें फिल्मों में काम करने का सुझाव दिया, लेकिन रामप्रसाद को अपने मित्र का यह सुझाव कतई रास नहीं आया और उन्होंने साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा था कि उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं है कि उनकी पत्नी फिल्मों में काम करें, लेकिन बाद में वे मान गए और उन्होंने अपनी पत्नी लीला मिश्रा को फिल्मों में काम करने की इजाजत दे दी। उधर, जैसे ही लीला को पता लगा कि उनके पति ने उन्हें फिल्मों में काम करने की इजाजत दे दी है, तो वो खुशी से फूले नहीं समाई। उन्होंने इसके लिए अपने पति का शुक्रिया भी अदा किया।

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इसके बाद रामप्रसाद अपनी पत्नी लीला मिश्रा को लेकर मुंबई रवाना हो गए और वहां उन्हें फिल्मों काम मांगने में काफी मशक्कत करने पड़ी थी। हालांकि, शुरुआती दौर में काम मिलना उनके लिए मुश्किल था, लेकिन बाद में उन्हें जैसे तैसे 1936 में सती सुलौचना में काम करने का मौका मिला। यह इन दोनों की पहली फिल्म थी। जिसमें दर्शकों ने लीला मिश्रा की अदाकारी को खूब सराहा। इस फिल्म में काम करने के एवज में जहां रामप्रसाद को 150 रूपए का मेहनताना मिला था, तो वहीं लीला मिश्रा को 500 रूपए मिले।

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कोई दूसरा मर्द करे स्पर्श नहीं था उन्हें पसंद

लीला को कतई नहीं भाता था कि कोई दूसरा पुरूष उन्हें स्पर्श करे। लिहाजा, वे फिल्म में काम करने से पहले ही साफ कर देती थी कि वह फिल्म में किसी भी प्रकार का रूमानी सीन्स नहीं करेंगी। वे हमेशा ही फिल्मों में सिर पर पल्लू रख कर ही अदाकारी करना पसंद किया करती थीं। हालांकि, उन्हें फिल्म निर्देशकों की ओर से इंटीमेंट सीन्स करने के लिए कई फिल्मों के ऑफर आते थे, लेकिन उन्होंने इन फिल्मों को सिर्फ और सिर्फ इंटीमेंट सीन्स की वजह से ठुकरा दिया था।

Leela Mishra

कई फिल्मों में मनवाया अपने अभिनय का लोहा

लीला मिश्रा ने कई फिल्मों में काम कर अपने अभिनय का लोहा मनवाया था। उन्होंने अपने पांच दशक के करियर के दौरान 60 से भी फिल्मों में काम किया था। उन दिनों जब तकनीक से रहित होकर फिल्में बनाई जाती थीं, तो ऐसे में 60 से भी ज्यादा फिल्मों में काम करना किसी भी कलाकार के लिए एक बड़ी बात होती थी। उन्होंने कई फिल्मों में काम किया जिसमें ‘अनमोल घड़ी’, ‘आवारा’, ‘प्यासा’, ‘लाजवंती’, ‘शोले’, ‘पहेली’, ‘चश्मे बद्दूर’ और ‘प्रेम रोग और न जाने कितनी ही फिल्में शामिल हैं। लेकिन, अपने शानदार अभिनय के दम पर सभी के दिलों पर राज करने वाली अभिनेत्री 17 जनवरी 1988 को हम सभी को छोड़कर हमेशा-हमेशा के लिए चलीं गईं, लेकिन आज भी फिल्मों में उनके द्वारा बोले गए संवाद हमारे कानों में गूंजते हैं। फिल्मों में उनकी शानदार अदाकारी के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा, लेकिन बतौर पाठक आपका अभिनेत्री लीला मिश्रा के संदर्भ में क्या कुछ कहना है। आप हमें कमेंट कर बताना बिल्कुल भी मत भूलिएगा।