नई दिल्ली। हाल ही में रानी मुखर्जी की फिल्म मिसेज चटर्जी वर्सेज नार्वे रिलीज़ हुई। इस फिल्म को मिले-जुले रेस्पोंस मिले। कुछ ने फिल्म को अच्छा बताया वहीं कुछ ने फिल्म को कुछ ख़ास अच्छा नहीं बताया। इस फिल्म में एक भारतीय परिवार की कहानी को दिखाया गया है जो नॉर्वे में जाकर बस जाता है और वहां पर चाइल्ड केयर वाले उनके बच्चे को लेकर चले जाते हैं। रानी मुखर्जी ने इस फिल्म में एक ऐसी मां का किरदार निभाया है जो अपने बच्चे को हासिल करने के लिए हर तरफ, हर सम्भव लड़ाई लड़ती है। उस फ़िल्म को करीब 500 स्क्रीन के आसपास रिलीज़ किया गया और फिल्म उस तरह से जलवा दिखाने में कामयाब नहीं रही। इस फिल्म में नॉर्वे की चाइल्ड केयर पॉलिसी पर सवाल उठाया गया है। जिसके बाद नॉर्वे के राजदूत ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। यहां हम इस बारे में बात करने वाले हैं।
My Op-Ed in @IndianExpress today about the film #MrsChatterjeeVsNorway. It incorrectly depicts Norway’s belief in family life and our respect for different cultures. Child welfare is a matter of great responsibility, never motivated by payments or profit. #Norwaycares pic.twitter.com/FpVWmdLv5h
— Ambassador Hans Jacob Frydenlund (@NorwayAmbIndia) March 17, 2023
नार्वे देश के राजदूत ने फिल्म मिसेज़ चटर्जी वर्सेज नॉर्वे फिल्म को लेकर कहा “इसमें नार्डिक देश के पारिवारिक जीवन को गलत तरीके से दिखाया गया है। इसके अलावा नॉर्डिक देश की मान्यताओं को भी गलत तरीके से फिल्म में प्रस्तुत किया गया है। आपको बता दें नार्वे के राजदूत हंस याकोब फ्रीडलुंड ने ट्वीट करके बताया, “इस फिल्म में नॉर्वे के लोगों की पारिवारिक जिंदगी, उनकी मान्यताओं और हमारी विभिन्न संस्कृतियों को गलत तरीके से दिखाया है। इसके अलावा हमारे सम्मान को गलत तरीके से पेश किया गया है। चाइल्ड केयर बेहद जिम्मेदारी का विषय है। जो कभी भी लाभ के प्रति प्रेरित होने के उद्देश्य से नहीं हो सकता।”
आपको बता दें रानी मुखर्जी की फिल्म मिसेज़ चटर्जी वर्सेज़ नार्वे में रानी मुखर्जी एक ऐसी महिला का किरदार निभाती हैं जो कि नॉर्वे में रहती है। लेकिन एक बिजनेस के तहत उनके बच्चे को उठा लिया जाता है। और चाइल्ड केयर पॉलिसी के तहत ये तय होता है कि रानी मुखर्जी के बच्चे उन्हें अब 18 वर्ष की उम्र पार करने के बाद ही मिलेंगे। फिल्म में इस तरह से दिखाने की कोशिश की गई है कि नार्वे में प्रवासियों के बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है। और एक बिजनेस के तहत परिवार और बच्चों को परेशान किया जाता है। जिसके बाद नार्वे के राजदूत का ये बयान आया है। आपको बता दें मिसेज़ चटर्जी वर्सेज़ नार्वे फिल्म ने करीब 1 करोड़ रूपये के आसपास का बिजनेस अपनी रिलीज़ के पहले दिन में किया है।