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Oppenheimer Review: आविष्कार से अभिशाप की कहानी है ‘ओपेनहाइमर’, क्रिस्टोफर नोलन ने बनाया मास्टरपीस, पढ़ें पूरा रिव्यू

Oppenheimer Review: ये फिल्म अमेरिकी सेना के लिए ओपेनहाइमर की अगुवाई में ‘ट्रिनिटी’ कोड नाम से दुनिया के पहले परमाणु की कहानी को दर्शाता है। इस फिल्म में परिक्षण के पहले और बाद में हुई घटनाओं को दिलचस्प तरीके से दिखाया गया है। तो चलिए एक नजर डालते हैं फिल्म की कहानी पर…

नई दिल्ली। हॉलीवुड फिल्म ‘ओपेनहाइमर’ रिलीज हो गई है। ये फिल्म एक बायोग्राफी है जो अमेरिकी भौतिक वैज्ञानिक जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर की जिंदगी पर आधारित है। ओपेनहाइमर को ‘परमाणु बम’ के जनक के रूप में जाना जाता है। ये फिल्म अमेरिकी सेना के लिए ओपेनहाइमर की अगुवाई में ‘ट्रिनिटी’ कोड नाम से दुनिया के पहले परमाणु की कहानी को दर्शाता है। इस फिल्म में परिक्षण के पहले और बाद में हुई घटनाओं को दिलचस्प तरीके से दिखाया गया है। तो चलिए एक नजर डालते हैं फिल्म की कहानी पर…

क्या है कहानी

क्रिस्टोफर नोलन की फ़िल्में चाहे कितनी भी घुमावदार क्यों न हो लेकिन कहानी के मूल में ‘प्यार’ और ‘पछतावा’ की भावना को अपने अंदाज में दिखाने के लिए मशहूर है। अपने इसी स्टाइल को थोड़ा और इम्प्रोवाइज करते हुए उन्होंने ओपेनहाइमर को एक मास्टरपीस की तरह बनाया है। ओपेनहाइमर एक इंसान के मोहभंग पर बनी ऐसी फिल्म है जो हमेशा याद रखी जाएगी। इस फिल्म में दिखाया गया है कि एक इंसान की सबसे बड़ी खोज कैसे उसके विनाश का सबसे बड़ा कारण बन जाता है। ओपेनहाइमर बहुत बड़े वैज्ञानिक थे, लेकिन वो दुनिया के तौर-तरीकों से बेहद अनभिज्ञ थे। ओपेनहाइमर ने अपने मन की बात हमेशा सामने रखी। सब पर भरोसा किया, जिसकी उन्हें कीमत चुकानी पड़ी।

एक इंसान जिसे अपने अविष्कार पर बहुत गर्व था, अब वो कभी दुनिया से आंख नहीं मिला पाएगा। इस फिल्म में परमाणु बम बनाना और उसका परीक्षण सिर्फ इस फिल्म का एक हिस्‍सा है, जबकि ये फिल्म बड़े पैमाने पर इस बम को बनाने वाले की मानसिकता का अध्ययन है। फिल्म की कहानी इस बात पर जोर देती है कि कैसे ओपेनहाइमर की महत्वाकांक्षा और भौतिक विज्ञान के प्रति उनके प्रेम ने उन्हें विनाश और नैतिक संकोच की भावना से भर दिया। क्रिस्‍टोफर नोलन ने बेहतरीन ढंग से ओपेनहाइमर के दिल को उनके दिमाग के विरुद्ध खड़ा किया है। दिल और दिमाग के बीच इस युद्ध को दिखाने में डायरेक्‍टर ने बड़ी कुशलता से सफलता हासिल की है।

इस फिल्म में ये दिखाया गया है कि फासीवाद से लड़ने और लोगों की जान बचाने की एक इंसान की इच्छा, कैसे मानव जीवन के विनाश का सबसे बड़ा कारण बन गई। क‍िल‍ियन मर्फी से बेहतर शायद ही कोई ओपेनहाइमर का किरदार निभा सकता था।

‘ओपेनहाइमर’ एक ऐसी फिल्‍म है, जो आपको भीतर तक झकझोर देती है। यह फिल्म अपराधबोध और मन के अंदर के उथल-पुथल से पीड़‍ित एक व्यक्ति की कहानी है। एक इंसान जो ‘मौत’ बन गया और दुनिया का विनाशक कहलाया।

क्‍यों देखें-

‘ओपेनहाइमर’ क्रिस्‍टोफर नोलन की मास्‍टरपीस है। यह एक ऐसी फिल्‍म है जो लंबे समय तक आपके जेहन में बसी रहेगी।