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Oppenheimer Film Story: बीते साल छाई रहीं 5 गोल्डन ग्लोब अवार्ड जीतने वाली ओपेनहाइमर, भगवत गीता से रहा फिल्म का कनेक्शन

Oppenheimer Film Story: गीता को पढ़ने के लिए जे रॉबर्ट ने खास तौर पर संस्कृत भाषा सीखी थी और गीता को बिना अनुवाद के पढ़ा था। परमाणु परीक्षण के बाद उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने तबाही को जन्म दिया है

नई दिल्ली। गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड 2024 में ओपेनहाइमर का जलवा देखने को मिला है। फिल्म ने 8 कैटेगरी में नॉमिनेट होकर 5 अवॉर्ड हासिल किए हैं। फिल्म ने बेस्ट मोशन पिक्चर-ड्रामा की कैटेगरी में पहला अवार्ड जीता। जबकि दूसरा अवॉर्ड क्रिस्टोफर नोलन को फिल्म के लिए बेस्ट निर्देशक के तौर पर मिला है। तीसरा अवॉर्ड सिलियन मर्फी को ‘ड्रामा’ मोशन पिक्चर कैटेगरी बेस्ट एक्टर के तौर पर मिला है। चौथा अवॉर्ड रॉबर्ट डाउनी जूनियर को मिला है, जिन्होंने फिल्म में  लुइस स्ट्रॉस की भूमिका निभाई है। एक्टर को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड मिला है। इसके अलावा फिल्म को बेस्ट ओरिजिनल स्कोर कैटेगरी में भी अवार्ड मिला है। जिसमें लुडविग गोरानसन को चुना गया है। फिल्म का कनेक्शन भगवत गीता से भी है..वो कैसे हम आपको बताते हैं।

गीता से था जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर का कनेक्शन

ओपेनहाइमर जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर नाम के वैज्ञानिक की कहानी है, जिसने जर्मनी को तबाह करने की कसम खाई थी। वैज्ञानिक ने अमेरिका के लिए ऐसे बम बनाकर तैयार किए, जो पूरी पृथ्वी को तबाह करने की क्षमता रखते थे। जे रॉबर्ट ने पहली बार अपने परमाणु बम का परीक्षण 1945 में किया था, जिसके बाद उन्हें महसूस किया कि उन्होंने जो चीज उन्होंने बनाई है, वो तबाही लगा सकती है। जिसके बाद  जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर को गीता का श्लोक याद आया, जिसमें भगवान कृष्ण ने कहा कि वहीं मृत्यु हैं। फिल्म में डायलॉग भी है..अब मैं मौत बन गया हूं।

गीता पढ़ने के लिए सीखी संस्कृत

बता दें कि गीता को पढ़ने के लिए जे रॉबर्ट ने खास तौर पर संस्कृत भाषा सीखी थी और गीता को बिना अनुवाद के पढ़ा था। परमाणु परीक्षण के बाद उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने तबाही को जन्म दिया है और खुद को मृत्यु बताया।जे रॉबर्ट के द्वारा बनाए गए बमों का इस्तेमाल हिरोशिमा और नागासाकी पर हुआ, जिसकी तबाही का अंदाजा सभी को है। आज भी वहां कुछ बच्चे विकलांग पैदा होते हैं।