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Pathaan Review: पठान रिव्यू में पढ़िए कैसी है फिल्म, जिसमें शाहरुख खान के सामने, सलमान खान ने लूट ली महफ़िल

Pathaan Review: सिद्धार्थ आनंद ने, वॉर जैसी फिल्म ऋतिक रोशन और टाइगर श्रॉफ के साथ बनाई थी, जिसका कलेवर पठान में भी देखने को मिलता है। ज्यादा समय न बिताते हुए पठान की समीक्षा करते हैं और आपको बताते है कि आखिर बॉलीवुड के किंग खान, की वापसी हिट हुई है या फिर फ्लॉप।

नई दिल्ली। भारी बवाल के बाद और भारी बवाल के बीच पठान फिल्म रिलीज़ हो गई। कुछ थिएटर में हंगामा भी देखने को मिला लेकिन ज्यादातर जगह पर फिल्म आराम से रिलीज़ हो गई और दर्शकों ने फिल्म का आनंद उठाया। इस साल की सबसे बड़ी फिल्म जिसमें काम करने वाले कलाकार हैं शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, जॉन अब्राहम, आशुतोष राणा और डिम्पल कपाड़िया। बाकी सलमान खान का कैमियो रोल या कह लें अच्छा ख़ासा रोल भी फिल्म में देखने को मिला है। एक्शन-थ्रिलर फिल्म है| जिसे सिद्धार्थ आनंद ने डायरेक्ट किया है और YRF ने प्रोड्यूस किया है। इससे पहले निर्देशक सिद्धार्थ आनंद ने, वॉर जैसी फिल्म ऋतिक रोशन और टाइगर श्रॉफ के साथ बनाई थी, जिसका कलेवर पठान में भी देखने को मिलता है। ज्यादा समय न बिताते हुए पठान की समीक्षा करते हैं और आपको बताते है कि आखिर बॉलीवुड के किंग खान, की वापसी हिट हुई है या फिर फ्लॉप।

देखिए वैसे तो इस फिल्म की मार्केटिंग खूब की गई है और फिल्म और शाहरुख खान की जमकर तारीफ भी करी गई है। लगातार मार्केटिंग कैम्पेन चलाए गए हैं और ये साबित करने की कोशिश की गई है कि रिलीज़ से पहले ही ये फिल्म सुपरहिट और ब्लॉकबस्टर होने वाली है। शाहरुख खान के फैंस ने थिएटर बुक कर लिए हैं। बॉयकॉट गैंग की कमर तोड़ने की तैयारी शुरू हो गई है। शाहरुख खान की वापसी और बॉलीवुड की वापसी कराने के लिए फिल्म पत्रकार और फिल्म बाजार के लोगों ने कुर्सी की पेटी बांध ली है। लेकिन क्या ये फिल्म उतनी खास है, जिस हिसाब से इसे परोसा जा रहा है ? इसका जवाब है – “नहीं” |

जी हां फिल्म में ऐसा कुछ ख़ास नहीं है। ख़ास है, तो सिर्फ शाहरुख खान का “आभामंडल (Aura)”। बीते कुछ महीने में शाहरुख खान के इंटरव्यू, और इतने वीडियो वायरल हुए हैं कि,  फिल्म रिलीज़ से पहले ही, वो लोगों के दिल से जुड़ गए हैं। शाहरुख खान जिस तरह से महिलाओं को सम्मान देते हैं, जिस तरह से ह्यूमर अंदाज़ में ट्विटर पर रिप्लाई देते हैं, जिस तरह से सकारात्मकता की बातें करते हैं और अपने फैंस पर विश्वास कायम रखते हैं। पठान फ़िल्म को एक हिट, सुपरहिट और ब्लॉकबस्टर फिल्म बनाने में इन गतिविधियों का अहम योगदान है।

अगर हम बात पठान फिल्म की करें तो ये देशभक्ति की झलकियां दिखाती हुई, एक एक्शन फिल्म है। फिल्म की कहानी YRF यूनिवर्स से है | कहानी में  कुछ लोग देश को बर्बाद करना चाहते हैं, वहीं कुछ लोग देश को आबाद रखने के लिए लड़ते जाते हैं | कहानी में इस बार पाकिस्तान और 370 के एंगल को जरूर जोड़ा गया है लेकिन वो बेमेल लगता है। उसका कोई ख़ास मतलब नहीं दिखता है, जैसे दीपिका के किरदार का कोई ख़ास मूल्य नहीं दिखता है जबकि उन्होंने शाहरुख खान के बराबर उपस्थिति स्क्रीन पर दर्ज़ कराई है।

क्योंकि जब लड़ाई शाहरुख खान और जॉन अब्राहम के बीच हो, जब पटकथा में कभी भी कुछ भी हो सकता हो, जब लॉजिक की कोई जगह ही न हो। तब फिर तो निर्देशक कुछ भी कर सकते थे आखिर कैसे भी करके जीताना तो पठान, उर्फ़ शाहरुख खान को ही था। देश को और देश के लोगों को बचाने का काम अंत में तो शाहरुख खान ने ही किया है। अगर हम फिल्म देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि दीपिका, पाकिस्तान और 370 के एंगल की कोई जरूरत नहीं थी।

एक बात गौर करने वाली है कि, जब फिल्म में देशभक्ति की बात हो और फिल्म इमोशनल न कर पाए तो फिर काहे की “पैट्रिओटिक-फिल्म”। कहने को ये एक पेट्रियोटिक फिल्म हो सकती है लेकिन इसमें देशभक्ति से जुड़ा एक भी गाना नहीं है। जो गाना है वो रोमांस और बोल्डनेस से भरा हुआ है। लेकिन जो रोमांस शाहरुख खान करते हैं, जिसके कारण शाहरुख खान, शाहरुख खान और “किंग खान” बनते हैं वो भी फिल्म में देखने को नहीं मिलता है।

फिल्म की कहानी और पटकथा की बात करें तो दोनों ही कमजोर है। वहीं अगर पठान फिल्म के एक्शन की बात करें तो एक्शन ने दर्शकों को कुछ हद तक बांधने और कुछ हद तक दर्शकों के दिल में थ्रिल बढ़ाने का काम किया है। लेकिन ध्यान रखिए “सिर्फ कुछ हद तक”। फिल्म की कहानी में ट्वीस्ट एंड टर्न भी अनुमानति हैं। सलमान खान की उपस्थिति फिल्म में जान डालती है तो वहीं एक्शन के मामले में शाहरुख खान, सलमान खान के सामने फीके नज़र आते हैं।

फिल्म की पटकथा और संवाद की बात करें, तो दोनों ही सामान्य से भी औसत हैं। सीन के बीच में लॉजिक के बारे में बिल्कुल भी मत पूछिएगा। क्योंकि पूरी फिल्म में ज्यादातर जगहों पर फिल्म लॉजिक से परे है। इसके अलावा एक या दो संवाद को छोड़ दें तो कोई भी संवाद ताली पीटने वाला और यादगार नहीं है। शाहरुख खान और जॉन अब्राहम की एंट्री से ज्यादा, दर्शक सलमान खान की एंट्री पर तालियां और सीटियां बजाते हैं। ज्यादातर सीन में, कभी-भी – कुछ-भी और कैसे-भी हो रहा है, जिसके पीछे का लॉजिक पूर्णतः गायब है।

शाहरुख खान जहां भी एक्शन के लिए उतरे हैं चाहे वो हवा में उड़कर दीपिका को बचाते हों, चाहे वो ट्रेन के ऊपर एक्शन करते हों। जब भी कैमरा ने शाहरुख खान का फर्स्ट एक्शन अपीरियंस लिया है, दर्शकों ने तारीफ़ की है, लेकिन जैसे-जैसे वो एक्शन करते जाते हैं शाहरुख खान दर्शकों दे दिल में वो छाप नहीं छोड़ पाते हैं। माने फाइट करते हुए शाहरुख खान नहीं जंचे हैं लेकिन हां जब फाइट करने के लिए तैयार होते हैं, खड़े होते हैं शाहरुख खान के उस लुक ने दर्शकों का दिल जीता है। वहीं सलमान खान ने अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराने के साथ ही साथ एक्शन में भी दर्शकों का दिल जीत लिया है। जितनी भी देर सलमान खान स्क्रीन पर रहे हैं दर्शकों को मजा आया है।

ओवरआल अगर फिल्म की बात करें तो पटकथा कमजोर है। एक्शन सामान्य है। एक्टिंग भी सामान्य है, इमोशन गायब है जबकि देशभक्ति की फिल्म में जमकर इमोशन होना चाहिए। टेक्निकल डिपार्टमेंट में फिल्म अच्छी है। टेक्निकल डिपार्टमेंट में फिल्म अच्छी है। मसाला और एंटरटेनमेंट से भरी हुई है, एक बार देखने जायेंगे, तो बोर नहीं होंगे| आराम से बैठकर, मोबाइल चलाते हुए देख सकते हैं। लेकिन जरूर देखी जानी चाहिए ऐसी फिल्म नहीं है। शाहरुख खान का जो ऑरा बनाया गया उसके कारण इस फिल्म को दर्शकों का प्यार मिलना तय है। ऐसा भी नहीं है कि फिल्म को खारिज किया जा सकता है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि ये एक जरूर देखी जाने वाली फिल्म है। फिल्म इमोशनल लेवल पर बुरी तरह असफल होती है जबकि जो फिल्म देशभक्ति से जुड़ी हुई हो उसे तो सिनेमाघर में दर्शकों के आंखो में आंशू और दर्शकों के दिल में, देश के लिए कुछ कर सकने का जज्बा भरना चाहिए, लेकिन फिल्म ऐसा कुछ भी करने में असफल हो जाती है।

बाकी शाहरुख खान और सलमान खान ने खुद ही बोला है कि अब इस एक्शन की रेस में बच्चों का काम नहीं है, बड़े ही मिलकर कुछ करेंगे। जिसका इशारा साफ़ है कि बॉलीवुड की नाइयां को पार कराने का जिम्मा दोनों ने खुद, खुद पर लिया है। पठान फिल्म को हमारी तरफ से मिलते हैं, मात्र 3 स्टार।