
नई दिल्ली। मॉडल और एक्ट्रेस पूनम पांडे कल से लगातार चर्चा में बनी हुई हैं। पहले अभिनेत्री के मौत की खबर उनके खुद के इंस्टा हैंडल से दी गई, फिर मौत की खबर के 24 घंटे बीत जाने के बाद पूनम पांडे पुनः अवतार लेती हैं और बताती हैं कि- अरे मैं तो जिन्दा हूं, मैंने तो ये सारा ड्रामा सर्वाइकल कैंसर अवेयरनेस फ़ैलाने के लिए किया है। अब इस खबर के बाद एक बार फिर पूनम टॉक ऑफ़ द टाउन बन गई हैं। हर कोई उनके इस घटिया पीआर स्टंट की आलोचना करता नजर आ रहा है। अब खबर ये भी आ रही है कि पूनम पांडे पर FIR दर्ज हो सकती है। जी हां, खुद के मौत की झूठी कहानी फ़ैलाने के चक्कर में अब लॉक अप गर्ल पूनम को असली लॉक अप में जाना पड़ सकता है। तो चलिए आपको बताते हैं इस पूरे क़ानूनी दाव-पेंच के बारे में विस्तार से…
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भारतीय कानून के तहत ऐसी कोई डायरेक्ट धारा नहीं है, जो सोशल मीडिया पर किसी भी भ्रामक, अफवाह फैलाने वाली, झूठी या भ्रामक पोस्ट को शेयर करने, फॉरवर्ड करने, साझा करने पर यूजर पर लगती हो। हालांकि ऐसे दूसरे प्रावधान हैं, जो IT एक्ट और IPC के तहत आपराधिक दायित्व तय करते हैं। ऐसे में पूनम पांडे ने जो अपने मौत कि झूठी जानकारी देकर लोगों को गुमराह किया है इसके लिए उनपर आईपीसी की धारा 200 और 203 के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।
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IPC सेक्शन 200 क्या है ?
भारतीय दंड संहिता की धारा 200 के अनुसार, जो कोई किसी ऐसी घोषणा को, यह जानते हुए कि वह किसी वस्तुगत अर्थ के संबंध में मिथ्या है, सच्ची घोषणा के रूप में भ्रष्टतापूर्वक उपयोग में लाता है, या उपयोग में लाने का प्रयत्न करता है, तो उसे झूठा साक्ष्य देने के लिए दण्डित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण- कोई घोषणा, जो केवल किसी अप्ररूपिता के आधार पर अग्राह्य है, धारा 199 और धारा 200 के अर्थ के अंतर्गत घोषणा है ।
सजा – झूठा साक्ष्य देने के लिए उपबंधित।
यह अपराध जमानती, गैर-संज्ञेय है तथा अदालती कार्रवाई झूठा साक्ष्य देने के अपराध अनुसार होगी।
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IPC सेक्शन 203 क्या है ?
IPC की धारा 203 के अनुसार, जानबूझकर अगर कोई व्यक्ति कांड की सच्चाई को जानते हुए भी उसकी सही जानकारी नहीं देता या गुमराह करता है तो उसे दो सालों की जेल या जुर्माना या दोनों से, दंडित किया जाएगा।