newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

RD Burman Birth Anniversary: आर डी बर्मन की जन्मतिथि के दिन जानते हैं, क्यों पंचम को दिल से लगा लिया एस डी बर्मन ने

RD Burman Birth Anniversary: आर डी बर्मन की जन्मतिथि के दिन जानते हैं, क्यों पंचम को दिल से लगा लिया एस डी बर्मन ने, जब वो गाना गाता था तो बहुत स्वीट बच्चा लगता था, मन करता था उसे उठाकर गोदी में बैठा लूँ

नई दिल्ली। एस डी बर्मन और उनकी धर्मपत्नी मीरा बर्मन के घर, कोलकाता में, आज की तारीख 27 जून, को काफी मन्नतों के बाद एक पुत्र का जन्म हुआ जो बाद में संगीत की दुनिया का ऐसा सितारा बना, जो आज भी सुरों के आसमान में चमक रहा है, नाम है राहुल देव बर्मन। जिन्हें लोग आर डी बर्मन के नाम से भी जानते है और जो लोग उन्हें अज़ीज़, गुरु, और अपनी मोहब्बत मानते हैं, वो उन्हें पंचम दा कहकर बुलाते हैं। पंचम दा ने अपने संगीत के ज़रिये सभी के दिलों में जगह बनायी और आज भी अक्सर लोग जब पुराने गानों की तरफ जाते हैं तो उसमें से अधिकतर गाने, पंचम दा के होते हैं। पंचम दा ने अपनी कला के माध्यम से एक ऐसा दौर कायम किया जो प्रत्येक कलाकार के लिये उदाहरण है। संगीत की दुनिया में, पंचम दा ने, हमेशा कुछ हटकर, कुछ नया प्रयोग करके रचनात्मकता की ऐसी मिसाल रखी जिससे पता चलता है, अगर आपको सालों तक लोगों के दिल में ज़िंदा रहना है तो आपको भी नये-नये प्रयोग करते रहने होंगे । पंचम दा ने ज्यादातर काम, आशा भोसले व किशोर कुमार के लिये किया, वहीं उन्होंने कुछ ऐसे लोगों के साथ भी काम किया जो पंचम दा के साथ काम करने के बाद प्रसिद्ध हो गये।

पंचम नाम क्यों पड़ा

आपने वो मुहावरा तो सुना ही होगा की कुछ लोग आसमान से उतर कर आते हैं, पंचम दा उनमें से ही थे जिनकी रगों में संगीत समाया हुआ था पर प्रश्न ये है कि लोग उन्हें आखिर पंचम दा कहकर क्यों बुलाते थे आपको बता दें बकौल अभिनेता अन्नू कपूर, “नाम को लेकर दो कहानियां हैं पहली कहानी यह है कि जब बचपन में आर डी बर्मन रोते थे तो वो सरगम के सुरों के हिसाब से पांचवें सुर (सा,रे,गा,मा,पा) “पा” पर रोते थे और दूसरी कहानी है एक बार जब अशोक कुमार, एस डी बर्मन के घर आये तो आर डी लगातार प प प चिल्ला रहे थे जिसके बाद उनका नाम पंचम पड़ गया।

कैसे पंचम के कारण, लता मंगेशकर और एस डी बर्मन के रिश्ते में आया सुधार

आपको बता दें पंचम दा की जिंदगी में लता मंगेशकर का काफी योगदान रहा है। 1959 में गुरुदत्त ने, पंचम को अपनी फिल्म राज़ के लिए साइन किया लेकिन फिल्म कम्पोज़ होने के पहले ही बंद हो गयी। इसके बाद पंचम को दो सालों तक काम नहीं मिला पर एक बार जब महमूद, अपनी फिल्म के लिए एस डी बर्मन को साइन करने के लिये गये तो उन्होंने मना कर दिया और वो फिल्म “छोटे नवाब” आर डी बर्मन को मिल गयी। फिल्म “छोटे नवाब” में आर डी बर्मन फिल्म में मौजूद क्लासिकल गाने को लता मंगेशकर से गंवाना चाहते थे लेकिन समस्या ये थी कि, लता दी और एस डी बर्मन के बीच कुछ सालों से कुछ अच्छा नहीं चल रहा था । फिर भी आर डी ने उसके लिए लता मंगेशकर को अप्रोच किया और लता मंगेशकर धुन के प्रति इतनी आकर्षित हुई की उन्होंने तुरंत हाँ कर दी। फिल्म का गीत था “घर आजा घिर आये बदरा सांवरिया”। गाना राग “मालगुंजी” पर आधारित बंदिश है। इस गाने को एस डी बर्मन ने भी सुना और उन्हें वो गाना बहुत पसंद आया और उसके बाद लता मंगेशकर और एस डी बर्मन के बीच सालों का झगड़ा समाप्त हो गया।

देखो वो आर डी बर्मन के पिता चले जा रहे हैं

देखो वो आर डी बर्मन के पिता चले जा रहे हैं, ये लाइन मैंने यहाँ इसलिए लिखी क्योंकि इससे जुड़ा एक खूबसूरत सा किस्सा है। किस्सा यह है कि, हम सब जानते हैं आर डी बर्मन, अपनी माता -पिता के एकलौती संतान थे, लेकिन फिर भी एस डी बर्मन और मीरा बर्मन ने उन्हें सामान्य बच्चों की तरह पाला और जब बचपन में पंचम ने एस डी बर्मन से अपनी पॉकेटमनी बढ़ाने को कहा तो एस डी बर्मन ने साफ़ इंकार कर दिया। लेकिन जब एक सुबह, एस डी बर्मन  मॉर्निंग वाक पर जा रहे थे तब किसी ने कहा कि, “देखो वो आर डी बर्मन के पिता चले जा रहे हैं” तब दादा यानी एस डी बर्मन घर आये और पंचम को गले लगा लिया।

गुलजार, पंचम दा के बारे में क्या कहते हैं

गुलज़ार, ने पंचम दा के साथ बहुत काम किया है और वो कहते हैं कि उन्होंने म्यूजिक में जो भी सीखा है जाना है वो पंचम की बदौलत जाना है। गुलज़ार बताते कि वो अक्सर गाने को फिल्माते वक़्त पंचम से 4 से 5 बार सुनते हैं जिससे वो आसानी से, सही तरीके से गाने को फिल्मा सकें।

आज क्यों लिखे जाते हैं डबल मीनिंग गाने

एक इंटरव्यू के दौरान पंचम दा बताते हैं पहले जमाने में वर्ल्ड ओरिएयंटल गाने हुआ करते थे, जहाँ लोग लिरिक पर ज्यादा ध्यान देते थे लेकिन आजकल लोग शॉट डिवीजन और फिल्मांकन करने की शैली पर ज्यादा ध्यान देते हैं “इस कारण से डबल मीनिंग वाले गाने ज्यादा लिखे जाते हैं” और चालू टाइप के गाने ज्यादा चलते हैं पर ठहराव वाला गाना नहीं चलता है,जिसे ज्यादा चलना चाहिए।

आशा भोसले क्या कहती हैं अपने पति पंचम के बारे में

आशा भोसले बताती हैं कि जब से पंचम के साथ मैंने काम शुरू किया, तब से मैंने पाया कि मैं कितना नया-नया पन अपनी आवाज़ में कर सकती हूँ। वो बताती हैं कि नयेपन के प्रयोग के कारण ही फिल्म उन्होंने तीसरी मंजिल में अलग अलग प्रकार के गाने गाये। पंचम ने, कठिन से कठिन और अत्यधिक हाई नोट के गाने आशा भोसले से गंवाए, जो शायद पंचम के कारण ही संभव हो सका।

महमूद पंचम दा के बारे में क्या कहते हैं

पंचम दा के म्यूजिक को लेकर महमूद साहब कहते हैं कि “जब वो गाना गाता था तो बहुत स्वीट बच्चा लगता था, मन करता था उसे उठाकर गोदी में बैठा लूँ। इसके अलावा वो ये भी बताते हैं कि पंचम, हर छोटे से आर्टिस्ट का सुझाव ले लेता था क्योंकि उसके पास, रचनात्मकता को परखने की आँख थी।

किस्से खूब हैं और आर डी बर्मन के किस्से अगर बताने की शुरुआत करेंगे तो पन्ने कम पड़ जायेंगे इसलिये आज पंचम दा की जन्मतिथि पर उनके बारे में कुछ किस्से हमने शेयर किये। आगे और भी किस्से पंचम दा से जुड़े आप पढते रहेंगे। उपरोक्त गानों को पंचम दा ने ही कंपोज़ किया। है