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Raveena Tandon and Rasha Thadani: बेटी राशा के साथ रवीना टंडन ने किए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन, जानें क्यों खास है इस मंदिर का इतिहास

Raveena Tandon and Rasha Thadani: सोमनाथ मंदिर (Raveena Tandon reached Somnath)  गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह पर बना है, जिसका इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि द्वारका के डूब जाने के बाद भगवान कृष्ण ने इसी मंदिर में अपने प्राण छोड़े थे और पांडवों ने भी इसी मंदिर में आकर तपस्या की थी।

नई दिल्ली। 90 के दशक की अदाकारा रवीना टंडन(Raveena Tandon reached Somnath) इन दिनों अपनी ओटीटी फिल्मों से ज्यादा अपनी धार्मिक यात्रा को लेकर सुर्खियां बटोर रही हैं। एक्ट्रेस ने अपनी बेटी राशा थडानी (Rasha Thadani) के साथ मिलकर 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन का संकल्प किया है और अब वो गुजरात के सोमनाथ मंदिर(Raveena Tandon reached Somnath) में पहुंची है। उन्होंने पूजा करते हुए कुछ फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर की है, जिसमें वो भोले बाबा की भक्ति में लीन दिख रही हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोमनाथ का इतिहास क्या है और क्यों श्रद्धालु यहां दौड़े चले आते हैं।


श्री कृष्ण ने त्यागे थे यहीं प्राण

सोमनाथ मंदिर(Raveena Tandon reached Somnath)  गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह पर बना है, जिसका इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि द्वारका के डूब जाने के बाद भगवान कृष्ण ने इसी मंदिर में अपने प्राण छोड़े थे और पांडवों ने भी इसी मंदिर में आकर तपस्या की थी। इसके अलावा दक्ष की 27 पुत्रियों की शादी भी इसी मंदिर में हुई थी। एक कथा के अनुसार दक्ष ने अपनी 27 पुत्रियों का विवाह चंद्रमा से किया था लेकिन चंद्रमा सिर्फ रोहिणी पर जान छिड़कते थे और बाकी रानियों को कम ही समय देते हैं।


ऐसे में नाराज रानियों ने अपने पिता से मदद मांगी और दक्ष ने गुस्से में आकर चंद्रमा को धीरे-धीरे खत्म होने का श्राप दे दिया। माना जाता है कि इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्र ने भगवान शिव की तपस्या की और एक शिवलिंग की स्थापना की। तपस्या से खुश होकर स्वयं महादेव ने चंद्रमा को श्राप मुक्त किया। इसकी वजह से चंद्रमा 15 दिन बढ़ते हैं और 15 दिन घटते हैं।


मुगलों ने मंदिर को पहुंचाया था नुकसान

माना जाता है कि उसी शिवलिंग को सोमनाथ में स्थापित किया गया और वहां मंदिर बनाया गया। ये मंदिर कलयुग की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस मंदिर पर मोहम्मद गजनवी ने 17 बार, अलाउद्दीन खिलजी, औरंगजेब ने कई बार मंदिर को लूटने की कोशिश की थी और मंदिर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी।