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Satish Kaushik: “सतीश कौशिक”- न कोई नाम और न किसी से पहचान, फिर भी लगन, मेहनत और जूनून से बनाया नाम

Satish Kaushik: ऐसी शख्सियत जो सभी के दिलों में बसती है। जिसने कभी कुछ बुरा न कहा और जिसने अपने अंदाज़ से सभी को हमेशा हंसाया। उस हस्तीं ने अपने इस मुकाम तक पहुंचने में काफी कठिनाइयों और आंसुओं के घुट को पिया है तो चलिए जानते हैं सतीश कौशिक का सफर कैसा रहा ? कैसे एक बिन लुक के आदमी ने इंडस्ट्री में अपना इतना बड़ा नाम बनाया कि आज बड़े से बड़े सितारे बेहद आदर से इस लीजेंड का नाम लेते हैं।

नई दिल्ली। सतीश कौशिक साहब का आज निधन हो गया। महज़ 66 की उम्र को गुजारकर सतीश जी हमारे दिलों को तोड़कर चले गए। अचानक आई उनके देहांत के खबर ने सभी को हिलाकर रख दिया और बहुत से लोगों की सुबह को, मायूसी में बदल दिया। आज कौशिक साहब को कौन नहीं जानता है। अपने एक्टिंग और अपनी बातों से सबका दिल जीतने वाले सतीश जी हमारी फिल्म इंडस्ट्री के सरताज हैं। उन्होंने गोविंदा, अनुपम खेर, अन्नू कपूर और अनिल कपूर जैसे तमाम कलाकारों के साथ काम किया है। इंडस्ट्री के सभी लोगों ने हमेशा सतीश जिसे कुछ न कुछ सीखा है और सतीश साहब ने कभी भी इस बात गर्व नहीं किया। ऐसी शख्सियत जो सभी के दिलों में बसती है। जिसने कभी कुछ बुरा न कहा और जिसने अपने अंदाज़ से सभी को हमेशा हंसाया। उस हस्तीं ने अपने इस मुकाम तक पहुंचने में काफी कठिनाइयों और आंसुओं के घूट को पिया है| तो चलिए जानते हैं सतीश कौशिक का सफर कैसा रहा ? कैसे एक बिन लुक के आदमी ने इंडस्ट्री में अपना इतना बड़ा नाम बनाया कि आज बड़े से बड़े सितारे बेहद आदर से इस लीजेंड का नाम लेते हैं।

सतीश कौशिक एक मजेदार और खाने के बहुत शौकीन मिज़ाज के इंसान हैं। उन्होंने खुद ही एक इंटरव्यू में बताया है कि “वो खाने के बेहद शौक़ीन हैं और जब उन्हें खाना नहीं मिलता है तो उनका दिल नहीं लगता है, वो कतई भूखे नहीं रह सकते थे और वो अपने दोस्तों के शुक्रगुजार रहे कि उनके दोस्तों ने कभी उन्हें भूखा रहने नहीं दिया।” जब वो मुंबई में अपने एक्टिंग के सफर की शुरुआत करने आए तो उन्होंने एक टक्सटाईल मिल में बनारसीलाल अरोड़ा के यहां काम करना शुरू कर दिया जिससे उन्हें कभी तंगी में मुंबई जैसे बड़े शहर में जिंदगी न गुजारनी पड़े।

सतीश कौशिक के पिता दिल्ली के करोल बाग़ में रहते थे और पापा हरिसन कम्पनी में ताला बेचने का काम करते थे। सतीश के परिवार में किसी को साहित्य से कोई लगाव नहीं था लेकिन सतीश को फिल्म देखकर कलाकार बनने की चाह उठी और उन्होंने सोचा कि जो महमूद साहब और जॉनी वॉकर जैसे लोग करते हैं ये करना तो उनके बाएं हाथ काम है और तभी से उन्हें फिल्मों का शौक हो गया। सतीश कौशिक ने जब अपने पिता को बताया कि वो एक्टर बनना चाहते हैं तो पिता ने साफ़ इंकार करते हुए कहा,”ये हमारा काम नहीं है और तुम्हारी शक्ल भी नहीं है कि तुम एक्टर बन सको”

सतीश कौशिक ने दिल्ली के एनएसडी से ड्रामा की पढ़ाई की है। जहां पर उनका ज्यादातर खर्चा दोस्तों से ही चलता था। सतीश कौशिक का जिक्र करते हुए अभिनेता राजा बुंदेला भावुक होते हुए कहते हैं, “तुम में बहुत महान गुण हैं, जितने दुःख और गम सहते हुए भी तुम अपना काम करते रहे जिसकी वजह से तुम यहां तक पहुंचे हो, मुझे मालूम है जो तुम्हारे साथ बीता, वो अगर किसी और के साथ बीता होता तो वो कभी का टूट गया होता।”

सतीश कौशिक को बतौर कॉमेडियन की तरह जाना जाता था लेकिन ऐसे समय में भी उन्होंने फ़िरोज़ खान के साथ बेहद सीरियस नाटक में काम किया। उनके उस काम को लोगों ने सराहा। सतीश ने उस किरदार के बारे में बात करते हुए कहा, “मैं उस किरदार को इसलिए निभा सका, क्योंकि वो किरदार मेरे दिल के बेहद करीब है। मेरे पिता सेल्समैन थे। मैंने उनकी थकान देखी है। मैंने उनका वो वजन देखा है जब वो दो बक्शों को उठाकर 6 बच्चों की तरक्की के लिए राजस्थान के टूर से आते थे। मैंने उनकी थकान, उनके वजन को देखा है और तभी मैंने उनसे कहा था बाबूजी आप चिंता मत करना मैं आपका नाम रोशन करूंगा।”

सतीश कौशिक को अनिल कपूर अपना फैमिल मेंबर मानते थे वहीं गोविंदा, सतीश कौशिक के बारे में कहते हैं, “सतीश कौशिक एक ऐसे कमाल के एक्टर हैं जो कब कुछ करेंगे पता ही नहीं चल पाता है। इन एक्टर के साथ काम करके ऐसा लगता है कि मुझे भी एबीसीडी से शुरू करना होगा। हमेशा सतीश जी से सीखने को मिला और ये डर लगा रहता था कि कहीं सतीश भैया उनका रोल और किरदार खा न जाएं।”