नई दिल्ली। बड़े अफसोस की बात है कि आजादी के सात दशकों के बाद भी हम सब एकजुट होकर भ्रष्टाचार नामक बीमारी का स्थायी उपचार नहीं खोज पाए। आखिर खामियां कहां हैं? शासन में या प्रशासन में? सवाल अभी-भी अनुत्तरित हैं। दुर्भाग्य यह है कि आज की तारीख में भ्रष्टाचार राजनीति, खेल और सिनेमा तक में अपनी पैठ बना चुका है। कई बार तो भ्रष्टाचार से जुड़े ये मामले प्रकाश में आ जाते हैं, लेकिन कई बार नेपथ्य के पीछे ही छुपे रह जाते हैं। कारण यह है कि अधिकांश परिस्थितियों में लोग इस मामले का खुलासा करने से खौफ खाते हैं, लेकिन दक्षिण भारतीय सिनेमा जगत से जुड़ी एक जानी मानी हस्ती ने बड़ी दिलेरी दिखाते हुए सीबीएफसी में जड़े जमाए बैठे भ्रष्टाचार के मकड़जाल का पटाक्षेप किया है। आइए, आगे आपको इस पूरे मामले के बारे में तफसील से बताते हैं।
Corruption Case in Mumbai CBFC office….
I a shocking revelation Actor #Vishal exposed the corruption in Mumbai CBFC office, where the office bearer Ms Menga demanded and received 6.5 lakh Rs for #MarkAntony Hindi Version. @VishalKOfficial
CBFC officials took 3 lakh before… pic.twitter.com/UXEXZSafk5
— Ashwani kumar (@BorntobeAshwani) September 28, 2023
दरअसल, साउथ इंडियन एक्टर विशाल ने सीबीएफसी में पैठ जमाए बैठे भ्रष्टाचार का खुलासा किया है। वजह यह है कि वो खुद ठगी का शिकार हो गए। हालांकि, ठगी की रकम महज लाखों तक ही सीमित है, लेकिन फिर कोई एक्टर या एक्ट्रेस किसी ठगी का शिकार ना हो जाए, इसलिए उन्होंने खुद सामने आकर अपने साथ हुए ठगी की दास्तां बयां की हैं, जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी फिल्म मार्क एंटनी को हिंदी वर्जन में सेंसर कराने के लिए उन्हें सीबीएफसी के अधिकारियों को 6.5 लाख रुपए की रिश्वत देनी पड़ी। बता दें कि उनकी यह फिल्म बीते 15 सितंबर को ही रिलीज हो चुकी है, लेकिन इसे हिंदी पट्टी में रिलीज कराने के बाबत उन्हें सीबीएफसी की मंजूरी लेना जरूरी था, जिसे लेकर उन्हें अधिकारियों को लाखों की रकम देनी पड़ी।
उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर वीडियो जारी कर अपने साथ हुई ठगी के बारे में खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि, ‘मैं एक चौंकाने वाला रहस्योद्घाटन करता हूं। मुंबई सीबीएफसी कार्यालय में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है, जहां पदाधिकारी सुश्री मेंगा ने मार्क एंटोनी हिंदी संस्करण के लिए 6.5 लाख रुपये की मांग की। सीबीएफसी अधिकारियों ने फिल्म की स्क्रीनिंग से पहले 3 लाख और सर्टिफिकेट के लिए 3.5 लाख रुपये लिए। यह लेन-देन खाते द्वारा किया गया। एक्टर ने दावा किया कि वे उन फिल्मों के लिए 4 लाख रुपये लेते हैं, जो 15 दिन से पहले सबमिट होती हैं।
#Corruption being shown on silver screen is fine. But not in real life. Cant digest. Especially in govt offices. And even worse happening in #CBFC Mumbai office. Had to pay 6.5 lacs for my film #MarkAntonyHindi version. 2 transactions. 3 Lakhs for screening and 3.5 Lakhs for… pic.twitter.com/3pc2RzKF6l
— Vishal (@VishalKOfficial) September 28, 2023
वहीं, उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि भ्रष्टाचार को सिल्वर स्क्रीन पर दिखाया जाना ठीक है। लेकिन असल जिंदगी में नहीं। हजम नहीं हो रहा। खासकर सरकारी दफ्तरों में और CBFC मुंबई कार्यालय में तो और भी बुरा हो रहा है। मेरी फिल्म मार्क एंटोनी हिंदी संस्करण के लिए 6.5 लाख का भुगतान करना पड़ा। स्क्रीनिंग के लिए 3 लाख और सर्टिफिकेट के लिए 3.5 लाख। मुझे अपने करियर में कभी भी इस स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा।’ आज फिल्म रिलीज होने के बाद से संबंधित मध्यस्थ #मेनगा को भुगतान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ था। लिहाजा मैं इसे महाराष्ट्र के माननीय मुख्यमंत्री और मेरे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के ध्यान में ला रहा हूं। ऐसा करना मेरे लिए नहीं बल्कि भविष्य के निर्माताओं के लिए है। मेरी मेहनत की कमाई भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई??? आशा है कि हमेशा की तरह सत्य की जीत होगी। बहरहाल, अब इस पूरे मामले में आगे चलकर क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।