नई दिल्ली। शेखर कपूर इंडस्ट्री के फाइनेस्ट फिल्म डायरेक्टर्स में से एक हैं जिन्होंने मासूम, मिस्टर इंडिया और बैंडिट क़्वीन जैसी फ़िल्में बनाई हैं। शेखर कपूर ने साल 1983 आई फिल्म ”मासूम” से अपना डायरेक्शन डेब्यू किया था। फिल्म में नसीरउद्दीन शाह और शबाना आजमी जैसे सितारे थे जबकि उर्मिला मातोंडकर और जुगल हंसराज फिल्म में चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर थे। मासूम साल 1980 में आई एरिक सहगल की नॉवेल Man, Woman and Child का अडॉप्शन थी। ये फिल्म काफी सफल रही थी और कई कैटेगरीज में फिल्मफेयर अवार्ड भी अपने नाम किये थे। शेखर कपूर कई सालों से अपनी इस सुपरहिट डायरेक्शनल डेब्यू फिल्म का सीक्वल बनाना चाहते हैं लेकिन बात नहीं बन पा रही और इसके पीछे का कारण भी अब खुद शेखर कपूर ने रिवील किया है। तो चलिए जानते हैं विस्तार से…
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शेखर कपूर ने अपनी बेटी कावेरी कपूर के साथ एक थ्रोबैक फोटो इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए लिखा- ”Anxiety.. कावेरी की पीढ़ी के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है.. क्या यह सच है, या क्या उनकी पीढ़ी अधिक ईमानदार है और बोलने को तैयार है.. क्या मेरी पीढ़ी सामाजिक मानदंडों के जाल में फंस गई थी? हमारी अंतर्निहित चिंताओं से इनकार में? या क्या हमने सोशल मीडिया का बोझ नहीं उठाया.. सोशल मीडिया अपेक्षाओं से मेल नहीं खाने वाली सामग्री की निरंतर चुनौती पेश करता है? या हो सकता है कि सोशल मीडिया में हमें कावेरी की पीढ़ी के साथ जो कुछ हो रहा है, उसके लिए कोई और ही दोषी मिल गया हो…”
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Anxiety और इस जेनरेशन की समस्याओं के बारे में लिखते हुए शेखर आगे कहते हैं- ‘शायद ..दुनिया और भी बड़ी हो गई है.. अवसर और भी बड़े हो गए हैं.. आप जो बनना चाहते हैं, या हो सकते हैं, आप जो भी हैं उसकी संभावनाएं.. बस इतनी विशाल हो गई हैं.. और भी अधिक व्यापक हो गई हैं शायद मेरी पीढ़ी लगातार सीमाएं नहीं तोड़ना चाहती थी.. क्योंकि हमने वास्तव में सोचा था कि हम ऐसा नहीं कर सकते! हालांकि मैं उन कुछ लोगों में से एक हूं जिन्होंने विद्रोह किया और ऐसा किया। सही काम करने के बाद.. एक चार्टर्ड अकाउंटेंट बन गया, और फिर खुद की तलाश में निकल गया.. अंततः फिल्में बनाने तक पहुंच गया.. क्या एक व्यापक विस्तृत दुनिया, एक विशाल क्षमता.. कहीं अधिक बड़े अवसर वास्तव में अधिक Anxiety पैदा करते हैं? अधिक तनाव? युवा कंधों पर बड़ा बोझ पैदा करते हैं… मेरे समय में अमेरिकी पॉप स्टार टेलर स्विफ्ट को वास्तव में विशाल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बदलते देखना संभव नहीं था..
अब यह है.. तो मैं इसे आप सभी ‘अगली पीढ़ी’ के लिए खोल रहा हूं.. आपकी चिंता का मूल कारण क्या है? मुझे इसे समझने की ज़रूरत है क्योंकि मैं इसकी स्क्रिप्ट को अंतिम रूप दे रहा हूं। मासूम- अगली पीढ़ी’
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शेखर कपूर के ऐसा लिखते ही नेटिजन्स समेत सबको समझ आ गया कि शेखर संभवतः मासूम की अगली क़िस्त की तैयारी कर रहे हैं जिसका फोकस आज की जेनेरशन, उनकी समस्याएं और Anxiety जैसे इश्यूज पर होने वाला है। लेकिन लगता है शेखर अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट के क्लाइमेक्स में उलझ गए हैं। खैर हम आशा करते हैं कि जल्द ही शेखर अपनी इस उलझन को सुलझा कर ”मासूम…नेक्स्ट जेनरेशन” की स्क्रिप्ट पूरी कर पाएं।