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1770: बॉलीवुड के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी साउथ की ये फ़िल्म, पोस्टर देख कर ही लोग हुए दीवाने, रिलीज के बाद क्या होगा

1770: बॉलीवुड के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी साउथ की ये फ़िल्म, पोस्टर देख कर ही लोग हुए दीवाने, रिलीज के बाद क्या होगा यहां हम आपको बताएंगे की आखिर इस फिल्म का इतना अधिक क्रेज़ क्यों हैं ? इसके अलावा क्यों लोग इसे आने वाले समय की एक बड़ी हिट के रूप में देख रहे हैं।

नई दिल्ली। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक फिल्म की खूब चर्चा हो रही है जिसका नाम 1770 है। फिल्म के अनाउंसमेंट के बाद से ही दर्शकों में फिल्म को लेकर क्रेज़ बढ़ गया है। हालांकि फिल्म अभी अपने शुरूआती स्टेज में है लेकिन फिर भी जिस तरह से दर्शकों का रेस्पोंस मिल रहा है आने वाले समय में इस फिल्म का क्रेज़ तेज़ होने वाला है। जब से इस फिल्म के पोस्टर को रिलीज़ किया गया है तब से सोशल मीडिया पर यह सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी है। लोग लगातार इसके पोस्टर और इसके विषय की तारीफ कर रहे हैं। लोग इसे आने वाले समय की एक बड़ी हिट के रूप में देखते हैं। ऐसा सम्भव भी है क्योंकि इस फिल्म के साथ कुछ ऐसे लोग जुड़े हैं जिनके नाम पर फिल्म आंकड़ों के कई ऊंचे हिस्से को चुटकियों में पार कर जाती है। यहां हम आपको बताएंगे की आखिर इस फिल्म का इतना अधिक क्रेज़ क्यों हैं ? इसके अलावा क्यों लोग इसे आने वाले समय की एक बड़ी हिट के रूप में देख रहे हैं।

 

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आपको बता दें इस फिल्म का विषय सबसे महत्वपूर्ण है। जिसके कारण यह फिल्म चर्चा में बनी है। आपको बता दें 1770 फिल्म की कहानी बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखी गयी किताब आनंदमठ पर आधारित है। बंकिम चंद्र चटर्जी ने वन्दे मातरम राष्ट्रीय गीत की रचना की, ऐसा तो हम सब जानते ही हैं। उनका यह राष्ट्रीय गीत उनकी किताब आनंदमठ से ही लिया गया है। 1770 के पोस्टर में लिखा हुआ है – वन्दे मातरम के 150 वर्ष पूरा होने का जश्न मना रहे हैं। ये सब देखने के बाद लोगों के बीच इस फिल्म की चर्चा ज्यादा है। इसके अलावा शायद इस फिल्म में सन्यासी क्रान्ति को भी प्रदर्शित किया जाएगा। क्योंकि हम देखते हैं की इस फिल्म के पोस्टर में सन्यासियों को भी दिखाया गया है।

बंकिम चंद्र चटर्जी का उपन्यास आनंदमठ 1882 में प्रकाशित हुआ था। 1770 में भीषण अकाल पड़ा था। यह कहानी उस पर आधारित है। इसके अलावा सन्यासी क्रान्ति के बारे में भी इस उपन्यास में बताया गया है। आपको बतादें जब 18 वीं सदी में देश में अंग्रेज़ों का राज था तब देश के कई हिस्सों में सन्यासियों और फकीरों ने भीषण आंदोलन किये थे। बंगाल में ज्यादातर आंदोलन हुए थे। इस आंदोलन के दौर में ये सन्यासी कई सरकारी लोगों के घर को लूट लेते थे। इसके अलावा कई सन्यासी दफ्तर को भी इन सन्यासियों ने निशाना बनाया। ये सन्यासी गरीबों की मदद भी करते थे। इसके बाद इन्हीं सन्यासियों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी थी। बंकिम चंद्र चटर्जी का उपन्यास इसी पर आधारित है जिसने उस समय देशवासियों को प्रभावित किया था। इससे पहले हेमेन गुप्ता ने आनंदमठ फिल्म बनाई थी जिसमें सन्यासी विद्रोह को मुख्यतः दिखाया गया था। इसी फिल्म से लता मंगेशकर का गाया हुआ गीत वन्दे मातरम आज भी हिट है।

इस फिल्म में ख़ास बात एक और है की इस फिल्म को राजमौली के पिता विजयेंद्र प्रसाद लिख रहे हैं। जिन्होंने कई हिट फिल्में लिखीं हैं। इसके अलावा इस फिल्म को डायरेक्ट आश्विन गंगाराजू कर रहे हैं। जिन्होंने बाहुबली जैसी बड़ी फिल्मों में राजामौली को असिस्ट किया है।