
मुंबई। आज अजब संयोग है। ये संयोग एक गीत से जुड़ा है। संयोग उस गीत से जुड़ा है, जिसे सुनकर पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू की आंखें छलक आई थीं। ये गीत है, ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’। 1962 में चीन के हमले में शहीद हुए जवानों की याद में कवि प्रदीप ने ये गीत लिखा था। गीत को अमर करने में सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर की बड़ी भूमिका थी। लता ने जब इस गीत को अपने सुरों में साधा, तो पूरा देश सुनकर रो दिया था। अजब संयोग है कि इस गीत को लिखने वाले कवि प्रदीप की आज जयंती है और आज ही लता मंगेशकर हम सबको छोड़कर चली गई हैं। 26 जनवरी हो या 15 अगस्त। लोगों में देशभक्ति का जोश भरने वाला गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी’ आज भी शहीदों की याद दिलाता है। यह गाना हर किसी को आज भी भावुक कर देता है।
कवि प्रदीप ने एक इंटरव्यू में बताया था कि एक दिन वो मुंबई के माहिम चौपाटी पर टहल रहे थे। उनके मन में इस गीत के पहले शब्द आए। उनके पास कलम और कागज नहीं था। वहीं, एक व्यक्ति से उन्होंने पेन लिया और सड़क पर पड़ी सिगरेट की डिब्बी के एल्युमीनियम फॉइल के उल्टी तरफ गीत के बोल लिखे। कहा जाता है कि लता दीदी ने पहले इस गीत को गाने से इनकार कर दिया था। बाद में कवि प्रदीप ने खुद लता मंगेशकर से मिलकर उन्हें राजी किया।
कवि प्रदीप ने जब लता को ये गीत सुनाया, तो वो रो पड़ीं। बाद में लता दीदी ने आग्रह किया कि जब गाने का अभ्यास करेंगी, तो प्रदीप जी को वहां रहना होगा। कवि प्रदीप ने इस आग्रह को स्वीकार कर लिया। जब लता जी ने ये गाना दिल्ली में गाया और गीत समाप्त होने के बाद नेहरू जी ने उनसे मुलाकात की, तो कहा कि लता, तुमने मुझे रुला दिया। अगर कोई इस गीत को सुनकर प्रेरित नहीं होता, तो मेरे ख्याल से वो हिंदुस्तानी नहीं है।