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Uunchai Review: चार यारों की दोस्ती पर बनी फिल्म “ऊंचाई” कर जाती है “आंख में घर”, और सिखाती है जीवन और दोस्ती की अहम सीख

Uunchai Review: अगर आप के भी एक, दो, तीन या चार दोस्त हैं तो आप ये फिल्म जरूर देखें| ये उम्रदराज़ लोगों की नहीं बल्कि आपकी और आपके भविष्य की कहानी है।

नई दिल्ली। ऊंचाई (Uunchai) फिल्म सिनेमाघर में रिलीज़ हो गई है और आज हम यहां उसी फिल्म की समीक्षा (Uunchai Movie Review) करने वाले हैं। यहां ऊंचाई फिल्म के रिव्यू (Uunchai Review) में हम आपको हमेशा की तरह बताएंगे कि क्या आपको ये फिल्म देखनी चाहिए। क्या इस फिल्म में कुछ खास है। कहीं इसे देखने के बाद आपके समय की बर्बादी तो नहीं होगी। इन सभी मुद्दों को हम बिंदुवार उंचाई फिल्म के इस रिव्यू में बताने की कोशिश करेंगे। उंचाई फिल्म का निर्देशन सूरज बड़जात्या (Sooraj Barjatya) ने किया है जिनका कद फिल्म इंडस्ट्री में काफी ऊंचा है। अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan),  अनुपम खेर (Anupam Kher), बोमन ईरानी (Boman Irani), नीना गुप्ता (Neena Gupta), सारिका (Sarika), डैनी डेंजोंगपा (Danny Denzongpa) और परिणीति चोपड़ा (Parineeti Chopra) ने इस फिल्म में किरदारों की भूमिका निभाई है। फिल्म का छायांकन मनोज कुमार ने किया है जो कि ओड़िसा बेस्ड सिनेमाटोग्राफर है जिन्होंने इससे पहले कई फिल्म की सिनेमेटोग्राफी की है। फिल्म में म्यूजिक स्कोर अमित त्रिवेदी (Amit Trivedi) और जॉर्ज जोसफ का है। फिल्म का निर्माण राजश्री प्रोडक्शन (Rajshri Production), महावीर जैन फिल्म्स एवं अन्य ने किया है। 11 नवंबर को रिलीज़ फिल्म की कुल लम्बाई करीब 2 घंटे 50 मिनट की है इसलिए जब फिल्म देखने जाइएगा इत्मीनान रखिएगा। इस फिल्म के बारे में जानकारी हो गई, थोड़ा इस फिल्म के बारे में भी बात करते हैं और बताते हैं कैसी है सूरज बड़जात्या द्वारा निर्देशित और अमिताभ बच्चन, अनुपम खेर और अन्य सितारों द्वारा अभिनयकृत फिल्म – ऊंचाई (Uunchai)।

किरदारों की भूमिका

अमिताभ बच्चन ने इस फिल्म में अमित श्रीवास्तव का किरदार निभाया है जो लेखक हैं और उनकी कई किताब बेस्टसेलर में आ चुकी हैं। अनुमप खेर ने ओम शर्मा का किरदार निभाया है जिनकी दिल्ली में पुरानी किताबों को बेचने की दुकान है और वो पुराने ख्यालों वाले, मध्यम वर्ग के सामान्य इंसान हैं। बोमन ईरानी ने जावेद सिद्दीकी का किरदार निभाया है, जिनकी अपनी एक दुकान है। डैनी ने भूपेन का किरदार निभाया है जो उच्च वर्ग की सरकारी नौकरी में हैं। परिणीति, श्रद्धा गुप्ता के रूप में एक ट्रेवल गाइड बनी हैं। शबीना सिद्दीकी के किरदार में नीना गुप्ता, जावेद सिद्दीक़ी की पत्नी हैं। सारिका ने माला त्रिवेदी का किरदार निभाया है। इसके अलावा शीन दस् और अभिषेक सिंह पठानिआ ने अपनी-अपनी भूमिका निभाई है।

क्या है कहानी

कहानी दिल्ली से शुरू होती है जहां आपको सबसे पहले अमिताभ बच्चन की आवाज़ में एक संवाद सुनाई देता है (जिसे मैंने आखिरी में आपके लिए लिखा है)। अमित, ओम, जावेद और भूपेन ये चार बहुत अच्छे दोस्त हैं और बहुत पुराने, दोस्त हैं। चारों अपनी जिंदगी में व्यस्त हैं लेकिन अपने दोस्तों को समय देने के लिए हमेशा हाज़िर हैं। चारों में करीबी प्यार है, और चारों का अलग व्यवहार है। चारों को जोड़ने वाली कड़ी है “दोस्ती”। चारों चाहे कितना भी गुस्सा हों लेकिन भूपेन के जन्मदिन पर साथ मौजूद होते हैं और उस जन्मदिन की पार्टी में अमित, ओम और जावेद, भूपेन के लिए कविता पढ़ते हैं।

उस कविता में भी दोस्त और दोस्ती की बातें होती हैं। भूपेन क्योंकि पहाड़ों के रहने वाले हैं इसलिए उन्हें वहां से ज्यादा लगाव है और वो अपने चारों दोस्तों के साथ “एवेरेस्ट बेस कैंप” जाना चाहते हैं। अब सोचिए जब 20 साल की उम्र वाला लड़का पहाड़ों पर जाने से पहले 10 बार सोचता है ऐसे में 70 साल से अधिक उम्र पार कर चुके लोगों के लिए, समुद्र से 10 हज़ार फिट ऊपर, पहाड़ों पर जाना कितना कठिन और मुश्किल होगा, आप समझ सकते हैं। वो कठिनाई और मुश्किलें, फिल्म की कहानी में देखने को मिलती है। लेकिन भूपेन उन सभी बाधाओं को पार कर अपने दोस्तों के साथ एवेरेस्ट बेस कैंप जाना चाहता है। जन्मदिन पार्टी के बाद चारों दोस्त अपने घर चले जाते हैं और अगले दिन सुबह पता चलता है कि कार्डियक अटैक के कारण भूपेन की मृत्यु हो गई है।

अब तीन दोस्त में से एक दोस्त, इस जिंदगी से जा चुका है। तीनों को ये एहसास है कि वो तीनों भी एक न एक दिन चले जाएंगे और तीनों जो चाहते हैं, जो उनकी इच्छाएं हैं, वो यहीं रह जाएंगी। जैसे भूपेन की इच्छा यहीं, अधूरी रह गई है।

लेकिन अगर दोस्त हों तो किस दोस्त की इच्छा अधूरी रह सकती है। अगर दोस्त हैं, तो उन्हें चाहे अपनी जान की बाजी लगानी पड़े वो दोस्त की इच्छा पूरी करने में कसर नहीं छोड़ते हैं। ऐसे ही अमित, ओम और जावेद भी, भूपेन की ईच्छा पूरी करना चाहते हैं। वो तय करते हैं कि वो भूपेन का अस्थि विसर्जन एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचकर ही करेंगे जहां भूपेन की आत्मा बसती है। तमाम मुश्किलों और परेशानियों के बाद तीन दोस्त एवरेस्ट बेस कैंप जाने की राह बनाते हैं| लेकिन उम्र की इस दहलीज़ पर मुश्किलें हैं बड़ी, रास्ते हैं कठिन और परीक्षाएं हैं कई। क्या इन परीक्षाओं को पार कर के भूपेन की ईच्छा पूरी हो पाएगी ? क्या तीनों उम्र की इस दहलीज़ में एवेरेस्ट बेस कैंप पहुंच पाएंगे ? इसी पर आधारित है एवेरेस्ट बेस कैंप की ऊंचान पर आधारित फिल्म “ऊंचाई की कहानी” ।

कैसी है कहानी

कहानी अच्छी है। जिसमें आपको खूबसूरत दृश्य देखने को मिलते हैं। जिंदगी से जुड़ी कई सारी बातें जानने को मिलती हैं। जिंदगी में कुछ करने का जज्बा सीखने को मिलता है और सबसे जरूरी बात दोस्ती का महत्व क्या है वो जानने को मिलता है। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी, संवाद, निर्देशन, पटकथा और एक्टिंग सबकुछ अच्छी है, लेकिन फिल्म की लम्बाई कुछ बड़ी है। लम्बाई बड़ी होने से, ऐसा नहीं है कि फिल्म आपको उबाएगी और आपका फिल्म से मन हट जाएगा| बस ध्यान रखिएगा कहानी लम्बी है, इसलिए इत्मीनान रखिएगा। चलिए बिंदुवार फिल्म के बारे में बताते हैं जिससे आप खुद तय करें कि फिल्म कैसी है –

  • फिल्म शुरुआत में पहाड़ों के दृश्य और किरदारों की रूपरेखा दिखाकर आपको कहानी के मूड में ले लेती है और कुछ ही समय में अपने विषय पर आ जाती है।
  • कहानी के शुरूआती मिनटों में जब आप फिल्म देखना शुरू करते हैं, आप स्क्रीन और उस कहानी के हो जाते हैं आपको कुछ याद ही नहीं रहता है। आप फिल्म में खो जाते हैं। किसी फिल्मकार के लिए सबसे बड़ा हासिल यही है कि उसके दर्शक फिल्म देखने के दौरान शुरुआत में फिल्म में खो जाएं।
  • अगर आप सोच रहे हैं कि ये तो कुछ उम्रदराज लोगों की कहानी है तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। ये दोस्ती की कहानी है। अगर आपके भी दो, तीन या चार दोस्त होंगे तो आप इस फिल्म में उन्हें महसूस कर पाएंगे। क्योंकि फिल्म में आपके वर्तमान के साथ आपका भविष्य भी देखने को मिलता है।
  • शुरुआत में डैनी यानी भूषण की संवाद-वितरण शैली गजब है। इसके अलावा अन्य सभी कलाकारों ने बेहतरीन एक्टिंग की है जिसमें कोई शक नहीं है।
  • फिल्म में अच्छे गाने हैं। शुरुआत वाला पार्टी सांग और डांस दोनों बढ़िया हैं। वही आपका ध्यान भी आकर्षित कर लेते हैं। जब आप फिल्म में खो जाते हैं। गाने का म्यूजिक ऐसा है कि आप खुद नाच उठते हैं।
  • ये दोस्ती की कहानी है जिसमें आत्मीयता दिखती है।
  • शुरुआत में जैसे ही आप फिल्म में खोते हैं उसके कुछ ही देर में कहानी में एक संकट आ जाता है और फिर उसी पर कहानी नेतृत्व करती है।
  • फिल्म में कई जगह पर हल्के-हल्के कुछ ऐसे मोमेंट हैं जो आपको दिल से, फिल्म में जोड़ते हैं। जैसे एक जगह पर जब डैनी की मृत्यु हो जाती है तो उनके कमरे में एक “दीया” जल रहा होता है और बिस्तर खाली होता है। उस समय जैसे अमित, जावेद और ओम को खाली बिस्तर खल रहा होता है वैसे आपको भी वो कमी महसूस होती है।
  • फिल्म में एक मोमेंट है जहां चारों दोस्त, माफ़ करिएगा अब तो तीन ही रहे, तीन दोस्त ट्रिप पर हैं एक दोस्त गाड़ी चला रहा और दूसरा दोस्त अपने हाथ से अपने दोस्त को खाना खिला रहा ये मोमेंट देखकर सभी को इसे जीने का दिल कर जाएगा।
  • इस फिल्म में जब भी किरदारों का दिल टूटेगा तो आप भी थोड़ा सिकुड़ जाएंगे और जब भी किरदार मजबूत होंगे तो आप मजबूत हो जायेंगे और ये सब बातें आपको अपने दोस्तों की याद दिलाती हैं।
  • फिल्म में “ये जीवन है इस जीवन का” ये गाना कई बार बजता है जो महसूस कराता है, जितना सार्थक ये गाना है उतना ही दोस्तों के साथ ट्रिप पर जाना।
  • फिल्म में, दोस्ती के इस सफर पर, हमारी आपकी जिंदगी की तरह, सब के दिल टूटते हैं फिर चाहे वो जावेद हो, ओम हो या फिर अमित। लेकिन इन दिलों को जोड़ने वाले, ये ही दोस्त होते हैं – अमित, ओम और जावेद। जैसे आपके और हमारे दोस्त होते हैं।
  • कहानी में आपको ट्विस्ट भी देखने को मिलता है।
  • अगर आप दोस्तों के साथ यात्रा पर जाना चाहते हैं और नहीं जा पा रहे हैं तो इस फिल्म को अपने दोस्तों के साथ देखकर आप यात्रा पर जरूर पहुंच जायेंगे।
  • फिल्म में पहाड़ों पर तूफ़ान का एक दृश्य है, जहां मरने और जीने पर बात आ जाती है वो मोमेंट आपको थ्रिल देता है। वो छोटा मोमेंट है थोड़ा और देर का होता तो और अच्छा रहता।
  • फिल्म को देखने के बाद पता चलता है कि आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाने वाले दोस्त ही होते हैं।

हमेशा की तरह जाते जाते फिल्म के कुछ संवाद आपके लिए –

“शास्त्रों में लिखा है हमारे पर्वत, हमारे वेदों के प्रतीक हैं और ये तो हिमालय है।”

“कहते हैं इन पहाड़ों पर जीवन बसता है तो हम आ गए हैं इस एवेरेस्ट ट्रैक पर।”

“हर सवाल का जवाब एवेरेस्ट पर मिलता है।”

“टू बी आइडियल वीमेन, इस बारे में लिखना और उन्हें समझना दो अलग बाते हैं।”

“मौत की ऐसी की तैसी।”

फिल्म तीन सीख भी देकर जाती है पहली – आपको एक दूसरे के बगैर भी जीना आना चाहिए| दूसरी – दुनिया समय के अनुसार बदल रही है इसलिए आपको भी बदलना चाहिए। तीसरी – जैसा अमित फिल्म में कहते हैं, कि “भले ही हम हिमालय के दर्शन न कर सकें, पर हम ये न भूलें कि हमारे अंदर भी हिमालय की वो शक्ति है जिससे हम जीवन की हर उंचाई पार कर सकते हैं|”                                                            इसलिए फिल्म को मेरी तरफ से- चार सितारा |