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The Kashmir Files: ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर क्या है विवेक अग्निहोत्री और अनुपम खेर की राय? जानें हर सीन के बाद क्यों रोते थे दोनों दिग्गज?

The Kashmir Files: कश्मीर, कहने को जन्नत! इतिहास देखें तो गर्व से भरा हुआ। वेदों में सबसे पवित्र मानी जाने वाली नदी, सरस्वती कभी यहां बहा करती थी! ऋषि कश्यप को ध्यान के लिए जो सबसे उपयुक्त जगह लगा करता था, वह कश्मीर ही था। यहां तक कि आदिगुरु शंकराचार्य, जिन्हें ये जगह इतनी मनोरम लगती थी कि वे केरल से चलकर यहां पहुंच जाते थे। लेकिन इसके अलावा कश्मीर पर एक कलंक भी है, कश्मीरी पंडितों के नरसंहार का।

नई दिल्ली। कश्मीर, कहने को जन्नत! इतिहास देखें तो गर्व से भरा हुआ। वेदों में सबसे पवित्र मानी जाने वाली नदी, सरस्वती कभी यहां बहा करती थी! ऋषि कश्यप को ध्यान के लिए जो सबसे उपयुक्त जगह लगा करता था, वह कश्मीर ही था। यहां तक कि आदिगुरु शंकराचार्य, जिन्हें ये जगह इतनी मनोरम लगती थी कि वे केरल से चलकर यहां पहुंच जाते थे। कश्मीर, यानी वो जगह जहां कभी हिंदुओं की 100 फीसदी आबादी निवास करती थी, कश्मीरी पंडितों के ज्ञान से समृद्ध और उनके बच्चों से गुलजार कश्मीर की घाटी, वो कश्मीर जहां विष्णु शर्मा ने बैठकर ‘पंचतंत्र’ लिखा,वह पंचतंत्र जिसे ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा कश्मीर के तमाम आयामों में एक आयाम यह भी कि 19 जनवरी 1990 को वहां हजारों, न जाने कितने वर्षों से वास करने लाखों कश्मीरी पंडितों को उनके अपने घर से बेघर किया गया। उनकी औरतों के साथ बलात्कार किया गया, उनका नरसंहार किया गया। इतिहास में इस घटना को 32 साल बीत गए लेकिन न कभी इसकी जोरोंशोर से चर्चा हुई, न ही कभी इसे सामने लाने का उचित प्रयास किया गया। आज 32 साल बाद कश्मीरी पंडितों के उस दुख-दर्द पर एक फिल्म बनी है, जो काफी सुर्खियां बटोर रही है। सुर्खियों और विवादों का चोली-दामन का साथ रहा है, इस फिल्म के साथ भी विवाद है। हालांकि, लोग जिस तरह से इस फिल्म को प्यार दे रहे हैं और कश्मीरी पंडितों पर उस समय बीती कहानी को देखकर भावुक हो रहे हैं, वह बताता है कि लोगों के आंसू झूठे नहीं हैं। खैर, लोगों की प्रतिक्रियाएं तो हमारे सामने हैं लेकिन, खुद इस फिल्म को बनाने वाले क्या सोचते हैं? इस फिल्म से जुड़े कलाकारों का क्या कहना है? आज की इस कहानी में इसी को फोकस किया गया है..

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इस विषय पर 8-9 फिल्में बड़े प्रोडक्शन हाऊस ने बनाई लेकिन किसी ने कश्मीरी पंडितों का जिक्र तक नहीं किया- विवेक रंजन अग्निहोत्री

दरअसल, ‘न्यूज 18 इंडिया’ नामक जाने माने चैनल पर ‘द कश्मीर फाइल्स’ की टीम पहुंची हुई थी। इसमें डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री थे, दिग्गज अभिनेता और खुद कश्मीरी पंडित अनुपम खेर के अलावा फिल्म में शानदार अभिनय करने वाली अभिनेत्री पल्लवी पहुंची थी। अमन चोपड़ा ने जब कहा कि आपकी फिल्म ने तो कमाल कर दिया है, टिकटें नहीं मिल पा रही। इसपर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने कहना शुरू किया कि, “कमाल ये नहीं है,बल्कि कमाल वो है जो 32 साल पहले हुआ। कमाल ये है कि 32 साल तक कश्मीरी हिंदू समुदाय से किसी ने बात नहीं की, इसलिए उनका दर्द और उनकी पीड़ा छुप कर रह गई। एक फिल्म की कितनी ताकत होती है कि अनुमान लगाइए की 8-9 फिल्में इस विषय पर बड़े प्रोडक्शन हाऊस ने बनाईं लेकिन किसी ने जिक्र तक नहीं किया कि कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं के साथ कुछ हुआ था।


ये फिल्म जब हमने अमेरिका में दिखाई तो हमारे लिए ‘कैपिटल हिल’ में कांग्रेगैशनल रिसेप्शन( सामूहिक स्वागत) रखा गया, जिसमें बड़े-बड़े डेमोक्रेट्स जो आज तक कश्मीर की बात नहीं मानते थें और कहते थें कि कश्मीर भारत का अखंड पार्ट नहीं है। उनलोगों ने वहां आके ‘कैपिटल हिल’ में इस बात को अक्नॉलेज किया पहली बार कि कश्मीर में जेनोसाइड हुआ। देखिए वहां कि रोड एलेन एक डेमोक्रेट, लिबरल, प्रोग्रेसिव स्टेट है, उस स्टेट ने प्रॉक्लेमेशन (घोषणा) दिया है कि पांच लाख कश्मीरी हिंदुओं का जेनोसाइड हुआ है और इसके पीछे इस्लामिक गैंग्स का हाथ है। तो ये जो कमाल हुआ है उसे हमने खत्म किया है। हमने लोगों को सत्य दिखाया है, जो दिखाना चाहिए था 32 साल तक।”

सेक्युलरिज्म का गंदा कीड़ा हमारी आत्मा तक घुसा हुआ है- अनुपम खेर


दरअसल, पत्रकार अमन चोपड़ा ने जब विवेक से सवाल किया कि फिल्म निर्माण के 4 सालों के दौरान आपके दिमाग में कभी ये आया कि ये फिल्म तो पूरी तरह ब्लैक एंड व्हाईट है? कहने का मतलब कि आपने इस फिल्म में बैलेंस करने की नहीं सोची तो इससे पहले कि विवेक जवाब देतें, अनुपम खेर ने कहना शुरू किया कि, “ क्यों बैलेंस करें? दैट मिंस ये जो सेक्युलरिज्म का गंदा कीड़ा हमारे अंदर जो घुसा हुआ है, वो हमारी आत्मा तक पहुंच गया है कि हमको लगता है कि बैलेंस करना चाहिए, सोच समझकर बोलना चाहिए। अरे! इतने सारे लोगों को मार दिया, इतने सारे लोगों को घरों से भगा दिया, तब बैलेंस नहीं था? उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि तब क्यों नहीं बैलेंस हुआ? किस चीज का बैलेंस हुआ..बहुत अच्छी बात विवेक ने बोली कि 3g चला गया, 4g चला गया..किसी ने ये पूछा कि पंडित कहां चले गए?


इसके अलावा भी बहुत सारी बातें टीम ने की। अनुपम ने वो किस्सा भी शेयर किया कैसे वे और फिल्म के डायरेक्टर विवेक एक-एक सीन शूट करने के बाद रोने लगते थें। रोने के पीछे की वजह बताते हुए अनुपम खेर ने कहा चूंकि फिल्म के माध्यम से हम बहुत सारे लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे थें, और जिस तरीके से उनके साथ बर्बता हुई थी वो काफी कष्टदायक था।