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रामलला घर वापस आए तो Sushmita Sen को याद आया संविधान, मलयाली Christian ऐक्टर्स भी हुए भेड़ चाल में शामिल

Sushmita Sen Constitution post: पोस्ट में धर्मनिरपेक्षता (Preamble of the Constitution)  की बात की गई है। अब धर्मनिरपेक्ष देश में किसी एक समुदाय या जाति की एकता, प्यार, धार्मिक आस्था को देखकर कुछ लोग नाखुश हैं। धर्मनिरपेक्ष का मतलब ये कतई नहीं है कि कोई भी समुदाय अपने धर्म को सेलिब्रेट नहीं कर सकता है

नई दिल्ली। 22 जनवरी को देशभर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा(Pran Pratishtha Ceremony) का समारोह धूमधाम से मनाया गया। देश के हर कोने से राम-नाम की गूंज सुनाई दी। लोगों ने भी घर बैठे रामलला का स्वागत किया और घी के दिए जलाए लेकिन इस मौके पर कुछ लोग नाखुश लगे और बिना कुछ लिखे ही उन्होंने ये साबित कर किया है कि वो रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा(Pran Pratishtha Ceremony)  और एक समुदाय की इतनी एकजुटता से खुश नहीं है। हम बॉलीवुड और मलयालम के कुछ स्टार्स की बात कर रहे हैं, जिन्हें रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha Ceremony)  के बाद संविधान(Sushmita Sen Constitution post) याद आ गया है।

 

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रामलला की भव्यता देख कर चिढ़े कथित सेकुलर लोग

हम सुष्मिता सेन (Sushmita Sen Constitution post) की बात कर रहे हैं, उन्होंने एक पोस्ट शेयर किया है लेकिन उसपर कुछ लिखा नहीं है। सुष्मिता (Sushmita Sen Constitution post) के अलावा साउथ के मलयाली एक्टर्स ने भी पोस्ट को शेयर किया है। इस लिस्ट में एक्टर पार्वती थिरुवोथु, रीमा कलिंगल, दिव्या प्रभा, राजेश माधवन, कानी कुसरुति, निर्देशक जियो बेबी शामिल हैं। तो चलिए अब समझते हैं कि पोस्ट में ऐसा क्या है, जो बिना कुछ कहे ही काफी कुछ रह रहा है।

 

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सुष्मिता और बाकी सब ने जो पोस्ट शेयर किया है, जो संविधान की प्रस्तावना(Preamble of the Constitution) है। उसमें लिखा है- “हम भारत के लोग, भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य बनाने और इसके सभी नागरिकों को सुरक्षित करने का गंभीरता से संकल्प लेते हैं, न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक…विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, विश्वास और पूजा की स्वतंत्रता”।

 

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लोगों को याद आया संविधान

पोस्ट में धर्मनिरपेक्षता (Preamble of the Constitution)  की बात की गई है। अब धर्मनिरपेक्ष देश में किसी एक समुदाय या जाति की एकता, प्यार, धार्मिक आस्था को देखकर कुछ लोग नाखुश हैं। धर्मनिरपेक्ष का मतलब ये कतई नहीं है कि कोई भी समुदाय अपने धर्म को सेलिब्रेट नहीं कर सकता है लेकिन रामलला की भव्यता देखकर कुछ कथित सर्कुलर लोग देश का संविधान याद कर रहे हैं। संविधान को याद करने वाले लोग भी मलयालम के ज्यादातर वो लोग हैं, जो खुद कंवर्टेट क्रिश्चियन या मुसलमान हैं। केरल और साउथ के बाकी राज्यों में हिंदू लोग बहुत कम ही बचे हैं..। जैसे में कुछ लोगों और समुदाय का नाखुश होना बनता है।