
नई दिल्ली। आज बॉलीवुड सुपरस्टार अक्षय कुमार की फिल्म ”केसरी 2” रिलीज की गई है। इस फिल्म में अक्षय कुमार, आर. माधवन और अनन्या पांडे ने मुख्य भूमिका निभाई है। अक्षय कुमार ने इस फिल्म में सर सी. शंकरन नायर की भूमिका निभाई है। सर नायर भारतीय इतिहास के उन गुमनाम नायकों में से एक हैं जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत की ईंट से ईंट बजाकर रख दी थी। तो चलिए बताते हैं कौन थे सर सी शंकरन नायर!
कौन थे सर नायर:
”केसरी 2” में अक्षय कुमार ने मशहूर वकील सर चेत्तूर शंकरन नायर की भूमिका निभाई है। सर नायर का जन्म साल 1857 में केरल के मनकारा गांव के एक कुलीन परिवार में हुआ। नायर ने अपनी शिक्षा अपने गृहनगर के एक अंग्रेजी स्कूल में की। स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद नायर ने साल 1880 मद्रास हाई कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। साल 1897 में नायर इंडियन नेशनल कांग्रेस के अमरावती अधिवेशन में प्रेसिडेंट चुने गए लेकिन बाद में जातिगत भेदभाव से परेशान होकर नायर ने ये प्रेसिडेंसी छोड़ दी।
दे दिया इस्तीफा:
इसके बाद नायर को साल 1908 में मद्रास हाई कोर्ट का परमानेंट जज बनाया गया। साल 1912 में ब्रिटिश हुकूमत ने नायर को नाईटहुड की उपाधि से सम्मानित किया और अब नायर सर नायर हो गए। इतना ही नहीं सी. शंकरन नायर शिक्षा मंत्री और वायसराय की कार्यकारी परिषद में एकमात्र भारतीय प्रतिनिधि थे, जो किसी भी भारतीय के लिए उस वक़्त बहुत बड़ा सम्मान था। अपने करियर के सर्वोच्च शिखर पर होने के बावजूद सर नायर ने देश के लिए ये सब कुछ छोड़ दिया और इस्तीफा देकर जनरल डायर के खिलाफ जंग की शुरुआत करने निकल पड़े।
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जब पंजाब के अमृतसर में स्थित जलियावाला बाग़ में शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे लोगों पर 13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने गोलियां बरसाई थी तो इस क्रूर नरसंहार में हजार से ज्यादा लोग मारे गए। ये खबर जब नायर तक पहुंची तो उन्होंने फ़ौरन अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सीएस नायर के इस्तीफे से ब्रिटिशों को झटका लगा, जिसके कारण पंजाब में मार्शल लॉ हटा दिया गया।
पांच हफ्तों तक चली सुनवाई:
नायर ने डायर के खिलाफ केस फाइल किया। पांच हफ़्तों तक इस केस की सुनवाई लंदन के उच्च न्यायालय में चली। मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश खुद भारतीयता के खिलाफ थे। यह मामला पांच हफ्ते तक चला और अदालत के इतिहास में सबसे लंबा था। चूंकि मामले में सर्वसम्मति से कोई फैसला नहीं हुआ था, इसलिए नायर को दो ऑप्शन दिए गए: ओ’डायर से माफ़ी मांगें या 500 पाउंड दें, और उन्होंने दूसरा ऑप्शन चुना। अक्षय कुमार की फिल्म ”केसरी 2” भी इसी केस पर आधारित है।
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हालांकि यह मामला सीएस नायर के पक्ष में नहीं था लेकिन हत्याकांड को दिखाने की उनकी कोशिशों का असर देखने को मिला। प्रेस सेंसरशिप और मार्शल लॉ के खात्मे से लेकर जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच तक,ने ये साबित किया कि हर बार जंग जीतने के लिए नहीं लड़ी जाती बल्कि युद्ध में बने रहने के लिए भी लड़ना जरुरी होता है और सर नायर ने भी ऐसा ही किया जिसके परिणाम स्वरुप जलियावाला बाग़ हत्याकांड ऑन रिकॉर्ड आ पाया।