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Rajendra Kumar Birth Anniversary: रुपहले पर्दे पर राज करने वाले राजेंद्र कुमार को आखिर क्यों बेचना पड़ा था अपना लकी बंगला, 50 रूपये लेकर आए थे मुंबई

Rajendra Kumar Birth Anniversary: 60 के दशक में राजेंद्र कुमार के करियर में वो दौर भी आया जब एक ही समय पर उनकी 5 से 6 फ़िल्में रिलीज होने लगीं और इसीलिए उनको जुबली कुमार के नाम से भी पुकारा जाने लगा। तो चलिए आपको राजेंद्र कुमार के जन्मदिन के अवसर पर बताते हैं उनके जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।

नई दिल्ली। अपनी सदाबहार फिल्मों के लिए जाने जानें वाले बेहतरीन अभिनेता राजेंद्र कुमार आज भले इस दुनिया में न हो लेकिन हिंदी सिनेमा में उनका योगदान हमेशा याद किया जाता रहेगा। राजेंद्र ने अपने चार दशक के फ़िल्मी करियर में कई सफल फ़िल्में दी और यही कारण है कि वो आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। 60 के दशक में राजेंद्र कुमार के करियर में वो दौर भी आया जब एक ही समय पर उनकी 5 से 6 फ़िल्में रिलीज होने लगीं और इसीलिए उनको जुबली कुमार के नाम से भी पुकारा जाने लगा। तो चलिए आपको राजेंद्र कुमार के जन्मदिन के अवसर पर बताते हैं उनके जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।

20 जुलाई 1929 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सियालकोट में जन्में राजेंद्र कुमार को बचपन से ही फिल्मों का शौक था। आगे चलकर राजेंद्र ने अपने शौक को ही अपना पेशा बना लिया। राजेंद्र कुमार ने साल 1950 में आई फिल्म ‘जोगन’ से अपने सिनेमाई करियर की शुरुआत की। इस फिल्म में राजेंद्र के साथ दिलीप कुमार और नरगिस जैसे सितारे भी थे। पहली ही फिल्म में राजेंद्र को उनकी अदायगी के लिए खूब सराहा गया। लेकिन राजेंद्र कुमार से जुबली कुमार बनने तक का सफर इतना आसान भी नहीं था। इसके लिए अभिनेता ने कई ठोकरें भी खाईं।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राजेंद्र कुमार ने जब अपने बड़े-बड़े सपनों के साथ सियालकोट से मुंबई का रुख किया था तब उनकी जेब महज 50 रूपये थे। ये पैसे अभिनेता ने अपने पिता की घड़ी बेचकर इकठ्ठा किए थे। मुंबई में राजेंद्र को गीतकार राजेंद्र कृष्ण का साथ मिला और उस वक्त राजेंद्र ने 150 रुपये के वेतन पर निर्देशक एचएस रवैल के साथ बतौर सहायक काम किया था। राजेंद्र की पहली फिल्म साल 1950 में आई ‘जोगन’ थी लेकिन उन्हें इंडस्ट्री में अपना असली मक़ाम पाने में सात साल का लंबा समय लगा।

साल 1957 में आई फिल्म ‘मदर इंडिया’ ने राजेंद्र कुमार की किस्मत रातों-रात बदल कर रख दी। इस फिल्म में नरगिस मुख्य भूमिका में थी। राजेंद्र कुमार का किरदार छोटा था लेकिन उन्होंने अपने किरदार में पूरी जान डाल दी थी और दर्शकों की तारीफ बटोरने में सफल भी रहे थे। इसके बाद साल 1963 में आई फिल्म ‘महबूब’ से राजेंद्र कुमार छा गए और राजेंद्र से ‘द सुपरस्टार राजेंद्र कुमार’ बन गए। इसके बाद अभिनेता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते चले गए। राजेंद्र कुमार साल 1964, 1965 और 1966 यानी तीन वर्ष तक लगातार फिल्मफेयर अवॉर्ड के बेस्ट एक्टर के लिए नॉमिनेट हुए। साल 1969 में राजेंद्र कुमार को पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

हालांकि, 70 का दशक आते-आते राजेंद्र कुमार का चार्म फीका पड़ने लगा। उनकी जगह इंडस्ट्री में सुपरस्टार राजेश खन्ना ने ले ली। राजेंद्र की जिंदगी में वो दौर भी आया जब फ़िल्में न मिलने के कारण उन्हें आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा। तंगी इतनी बढ़ गई कि राजेंद्र को अपना लकी बंगला तक राजेश खन्ना को बेचना पड़ गया था। राजेंद्र कुमार ने 12 जुलाई 1999 को आखिरी सांस ली। राजेंद्र आज भले इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अपने बेहतरीन काम के जरिए वो सदैव अमर रहेंगे।