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Women’s Day Special: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दस महिला क्रांतिकारी जिन्होंने अंग्रेजों के छुड़ाए थे छक्के

Women’s Day Special: उषा मेहता: गुजरात के सरस में जन्मी उषा मेहता ने 1942 के Quit India Movement में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने क्रांतिकारियों तक जल्दी मेसेज पहुंचाने के लिए एक सीक्रेट रेडिया स्टेशन की शुरूआत की।

1.रानी लक्ष्मीबाई: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सबसे जानी-मानी नायिका रही हैं, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई । उनकी कहानी छोटे और बड़े पर्दे पर कई बार दिखाई जा चुकी है। तात्या टोपे और नाना साहेब के साथ मिलकर रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को धूल चटा दी थी। लेकिन कुछ गद्दारों के कारण युद्द उनके हाथ से निकल गया और आख़िरकार अंग्रेज़ों से लड़ते हुए बलिदान दिया। 1857 की क्रांति में अंग्रेजों को पानी पिलाने वाले रानी लक्ष्मी बाई सिर्फ़ तीस वर्ष की उम्र में वीरगति को प्राप्त हुईं।

2.रानी अवंतीबा: मध्य प्रदेश के रामगढ़ की रानी अवंतीबाई की कहानी भी रानी लक्ष्मीबाई से मिलती जुलती है। अपने पति राजा विक्रमादित्य की मृत्यु के बाद रानी अवंतीबाई ने राज्य का भार सँभाला। उनके दो बेटे थे, जो छोटे थे। इसका फ़ायदा उठाकर अंग्रेज़ों ने उनका राज्य हड़पने की कोशिश की, लेकिन आस-पास के राजाओं के साथ मिलकर रानी अवंतीबाई ने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ जंग छेड़ी । अंग्रेजों को उन्होंने कई बार हराया लेकिन हर बार अंग्रेज़ नई चाल के साथ उनके राज्य पर आक्रमण करते।आख़िर एक दिन ऐसे ही एक युद्द में रानी अवंतीबाई ने अपने प्राणों की आहुति दी।

3.अजीज़न बाई: एक हिंदु परिवार में पैदा हुई अजीज़न बाई बचपन में अपने माता-पिता से बिछड़ गई थी। एक अनजान व्यक्ति ने उसे कानपुर के एक कोठे बेच दिया। बड़ी होकर अजीज़न बाई कानपुर के उस कोठे की सबसे जानी-मानी नर्तकी बनी। अजीज़न लाखों दिलों की धड़कन थी, लेकिन उसका दिल अपने देश के लिए धड़कता था। वह धीरे-धीरे नाना-साहेब और तात्या टोपे को अंग्रेजों की ख़बरें पहुँचाने लगी । तात्या तोपे ने अजीज़न को अपनी सेना में भी शामिल किया। अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध लड़ते हुए वो पकड़ी गई लेकिन फिर भी अंग्रेजों के सामने सर नहीं झुकाया और हंसने-हंसते वीरगति को प्राप्त हुई।

4.भीकाजी कामा: मुंबई के एक रईस पारसी परिवार में जन्मी भीकाजी कामा ने अपने देश के लिए अपने पति को छोड़ दिया। उनके पति एक बिजनेसमैन थे और अंग्रेजों के खिलाफ नहीं जाना चाहते थे , लेकिन भीकाजी कामा ने अपने पति और उनके पैसों की परवाह किए बग़ैर क्रांति की राह चुनी। बीमारी की वजह से उन्हें लंदन शिफ्ट होने पड़ा, लेकिन वहाँ से भी उन्होंने श्यामजी कृष्ण वर्मा और वीर सावरकर के साथ मिलकर विदेशी धरती से भारत के लिए जंग लड़ी।

5.दुर्गा भाभी: भगत सिंह की पत्नी बनकर ट्रेन में उनके साथ बैठकर दुर्गा भाभी ने भगत सिंह को सुरक्षित उनके ठिकाने तक पहुँचाया था। Saunders की हत्या के बाद सुखदेव और भगत सिंह के पीछे लाहौर की पुलिस हाथ धोकर पड़ी थी। ऐसे में उन्होंने एक प्लान बनाया। दुर्गा भाभी भगत सिंह की पत्नी बनी, साथ में अपने तीन साल के बेटे को ले लिया और सुखदेव उनके Assistant बनकर लाहौर में ट्रेन में सवार हुए और कोलकाता पहुँचे।दुर्गा भाभी का असली नाम दुर्गावती देवी था। वह जाने-माने क्रांतिकारी भगवतीचरण वोहरा की पत्नी थी जो भगत सिंह के करीबी मित्र थे और बम बनाने में एक्सपर्ट थे। दुर्गा देवी ने क्रांतिकारियों को अपने गहने और पैसे भी दिए थे।

6.पुष्पलता दास: असम की पुष्पलता दास बचपन से ही क्रांति के रास्ते पर चल पड़ी थी। वह “वानर सेना” की सदस्य थी जो क्रांतिकारियों की सेना थी। बड़ी होकर उन्होंने असम में अंग्रेजों के ख़िलाफ़ क्रांति की कमान संभाली और पुलिस स्टेशन पर भारतीय ध्वज फहराने की योजना बनाई। लेकिन पुष्पलता दास को उससे पहले ही गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। इसके बावजूद उनकी टीम ने उनका काम पूरा किया।

7.कनकलता बरुआ: कनकलता बरुआ भी असम से थी और क्रांतिकारी पुष्पलता दास के टीम की सदस्य थी। उन्होंने सत्रह साल की छोटी उम्र में असम के देखियाजुली पुलिस स्टेशन पर भारत का ध्वज फैलाने की ज़िम्मेदारी ली। इस कोशिश में वो शहीद हुई लेकिन कभी अंग्रेज़ों के सामने नहीं झुकी।

8.सरोजनी नायडू: “Nightingale Of India” के नाम से जानी जाने वाली सरोजनी नायडू ने अपनी प्रखर लेखनी और सधे हुए भाषणों से अंग्रेजों के खिलाफ़ जंग छेड़ी। उन्होंने महिलाओं के अधिकार और शिक्षा को लेकर भी एक लंबी लड़ाई लड़ी।

9.रानी गाइदिल्लु: मणिपुर में जन्मी रानी गाइदिल्लु ने सिर्फ़ तेरह साल की उम्र में अंग्रेजों के विरूद्द सेना बनाई थी। अंग्रेजों द्वारा नागा जनजातियों के धर्मान्तरण के विरूद्द रानी गाइदिल्लु ने अंग्रेजों को चुनौती थी। वह नागा जनजाति के हेराका क्रांति की नेता बनी। हेराका एक धार्मिक और सामाजिक क्रांति थी जो नागा जनजातियों के अपने भगवान को समर्पित थी। आख़िरकार एक युद्द में अग्रजों ने रानी गाइदिल्लु को पकड़ लिया और उन्हें जेल में डाल दिया। देश स्वतंत्र होने के बाद उन्हें जेल से रिहाई मिली।

10.उषा मेहता: गुजरात के सरस में जन्मी उषा मेहता ने 1942 के Quit India Movement में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने क्रांतिकारियों तक जल्दी मेसेज पहुंचाने के लिए एक सीक्रेट रेडिया स्टेशन की शुरूआत की, जिसे “Secret Congress Radio Service” का नाम दिया गया।