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Rajouri Encounter: राजौरी के कालाकोट में आतंकियों की फायरिंग से सेना के 2 अफसर और 2 जवान शहीद, दहशतगर्दों से फौज ले रही मोर्चा

हाल के दिनों ये दूसरा मौका है, जब सेना के अफसर और जवान आतंकियों से मोर्चा लेते हुए शहीद हुए। सितंबर में अनंतनाग में लंबे समय मुठभेड़ चली थी। उस मुठभेड़ में 9वीं राष्ट्रीय रायफल्स के कमांडिंग अफसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौनक और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डिप्टी एसपी हुमायूं भट शहीद हो गए थे।

राजौरी। जम्मू-कश्मीर के राजौरी में सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ बीते 24 घंटे से जारी है। इस मुठभेड़ में अब तक सेना के दो अफसर और दो जवान शहीद हुए हैं। पूरे इलाके को सेना और अर्धसैनिक बलों ने घेर रखा है। कालाकोट के जंगल में आतंकी छिपे हुए हैं। वे लगातार फायरिंग कर रहे हैं। आतंकियों और सेना के बीच राजौरी में ये मुठभेड़ बुधवार सुबह 9 बजे से शुरू हुई थी। मुठभेड़ रात भर चलती रही। आतंकियों का खात्मा करने के लिए सेना के पैरा कमांडोज को भी मौके पर तैनात किया गया है। जम्मू के आईजी आनंद जैन ने मीडिया को कल बताया था कि राजौरी के कालाकोट इलाके में आतंकियों के होने की खबर मिली थी। धर्मसाल थाना इलाके के सोलकी गांव के पास आतंकी छिपे हुए हैं। मंगलवार को ये जानकारी मिलने के बाद आतंकियों की घेराबंदी की गई। उनसे जब सरेंडर के लिए कहा गया, तो फायरिंग करने लगे। आनंद जैन के मुताबिक जंगल में दो से तीन आतंकियों के छिपे होने की खबर मिली थी। ये आतंकी एक स्थानीय शख्स के घर भी पहुचे थे और वहां भोजन भी किया था।

हाल के दिनों ये दूसरा मौका है, जब सेना के अफसर और जवान आतंकियों से मोर्चा लेते हुए शहीद हुए हैं। इससे पहले इसी साल सितंबर में अनंतनाग में लंबे समय मुठभेड़ चली थी। उस मुठभेड़ में आतंकियों की गोलीबारी में 9वीं राष्ट्रीय रायफल्स के कमांडिंग अफसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौनक और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डिप्टी एसपी हुमायूं भट शहीद हो गए थे। अब कालाकोट आतंकी हमले में भी सेना के अफसरों और जवानों की शहादत से साफ है कि पाकिस्तान परस्त आतंकियों ने अपनी रणनीति बदली है और सेना व अर्धसैनिक बलों को अधिकतम नुकसान पहुंचाने की कोशिश वे कर रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि जल्दी ही राजौरी के कालाकोट में जंगल में छिपे आतंकियों को मार गिराया जाएगा।

Jammu-Kashmir Encounter
अनंतनाग में हुई मुठभेड़ में भी सेना और पुलिस के अफसर शहीद हुए थे।

खास बात ये है कि अनंतनाग और अब राजौरी के कालाकोट में आतंकियों ने घने जंगल में छिपकर सेना पर हमला किया। सीधी खड़ी पहाड़ी और घने जंगल की वजह से आतंकियों को मार गिराने में सेना को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अनंतनाग में भी आखिरकार आतंकियों को मारने के लिए ड्रोन का सहारा लेना पड़ा था। ड्रोन से बम गिराकर आतंकियों को ठिकाने लगाने में सेना सफल रही थी। फिर भी वहां हुए इस ऑपरेशन खत्म होने में कई दिन लग गए थे।