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Loudspeakers Row: राज ठाकरे के ऐलान का दिखने लगा असर… महाराष्ट्र में 72 फीसद मस्जिदों ने लाउडस्पीकर की आवाज की धीमी, तो कइयों ने हटाए भी…

वहीं, ठाकरे के इस ऐलान के बाद से पूरे देश में लाउडस्पीकर को लेकर बहस छिड़ चुकी है। कुछ लोग उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं, तो वहीं कुछ विरोध भी कर रहे हैं। सभी के अपने-अपने तर्क हैं। लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह हैकि मुंबई के कुछ मुस्लिम संगठनों ने पुलिस को पत्र लिखकर मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति देने की मांग की है। फिलहाल, इस पूरे मसले पर जमकर राजनीति होती भी देखी जा रही है।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में 72 फीसद मस्जिदों ने सुबह की अजान पढ़ने के लिए अब लाउडस्पीकर की आवाज को कम करने का फैसला कर लिया है। इसके अलावा कई मस्जिदों से तो लाउडस्पीकर हटा भी लिए गए हैं। मस्जिद संचालकों ने खुद सामने आकर लाउडस्पीकर को हटाने का फैसला किया है। उन्होंने भी इस बात को स्वीकार करने से कोई गुरेज नहीं किया कि इससे हमारे समाज में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि महाराष्ट्र में मस्जिद संचालकों ने यह कदम ऐसे वक्त में उठाया है, जब महाराष्ट्र नवनिर्माण पार्टी के प्रमुख राज ठाकरे ने आगामी 3 मई तक सभी मस्जिद संलाचकों से लाउडस्पीकर हटाने के लिए साफ कह दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर आगामी 3 मई तक लाउडस्पीकर नहीं हटाए गए, तो मस्जिद के सामने ही लाउडस्पीकर से हनुमान चालीसा पढ़ा जाएगा। ठाकरे ने यह भी कहा था कि कुछ लोग लाउडस्पीकर को धार्मिक मुद्दा करार देते हैं, लेकिन अब यह धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक मुद्दा बन चुका है। लिहाजा इस पर विमर्श करने की आवश्यकता है। अगर नहीं किया गया तो हालात दुरूह हो सकते हैं।

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वहीं, ठाकरे के इस ऐलान के बाद से पूरे देश में लाउडस्पीकर को लेकर बहस छिड़ चुकी है। कुछ लोग उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं, तो वहीं कुछ विरोध भी कर रहे हैं। सभी के अपने-अपने तर्क हैं। लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह हैकि मुंबई के कुछ मुस्लिम संगठनों ने पुलिस को पत्र लिखकर मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति देने की मांग की है। फिलहाल, इस पूरे मसले पर जमकर राजनीति होती भी देखी जा रही है।

Masjid Loudspeaker

लाउडस्पीकर की बहस की आंच देश के कई सूबों तक पहुंच चुकी है। ऐसी स्थिति में आगामी दिनों में यह बहस क्या कुछ रुख् अख्तियार करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात है कि यह कोई पहली मर्तबा नहीं है कि लाउडस्पीकर को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में बहस का सिलसिला जारी है, बल्कि इससे पहले भी इस पूरे मसले पर बहस देखी जा चुकी है।