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Bihar: बिहार में फिर दशरथ मांझी वाला कारनामा, 80 साल के बुजुर्ग ने पहाड़ को चीरकर मंदिर के लिए बनाई 3.5 KM लंबी सीढ़ियाँ

80-Year-Old Man Carves 3.5 km Stairway Through Mountain to Bihar Temple: इस पवित्र कार्य में स्थानीय भक्त भी  श्याम सुंदर चौहान का सहयोग कर रहे हैं। भक्तगण जो सिद्धेश्वर नाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए इस मार्ग का इस्तेमाल करते हैं, वे चौहान के कार्य से प्रेरित होकर सहायता प्रदान करते हैं। उनकी मेहनत और भक्ति ने न केवल क्षेत्र के लोगों को प्रेरित किया, बल्कि मंदिर तक पहुंचने को भी आसान बना दिया।

नई दिल्ली। गया जिले के बेलागंज के भलवा जंगल निवासी 80 वर्षीय श्याम सुंदर चौहान ने अपनी अथक मेहनत से पहाड़ को काटकर ऐतिहासिक सिद्धेश्वर नाथ मंदिर तक पहुंचने का रास्ता बना दिया है। दशरथ मांझी और गणोरी पासवान जैसे महान लोगों की तरह, चौहान ने अपने जीवन के 25 साल इस कठिन कार्य में समर्पित कर दिए। इससे पहले बिहार में ही कुछ ऐसा ही कारनामा दसरथ मांझी ने किया था।  श्याम सुंदर चौहान ने तीन और आधे किलोमीटर की ऊंचाई वाले पहाड़ पर एक सीढ़ीनुमा रास्ता बनाया है। उन्होंने एक तरफ का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है और अब वह सीढ़ियों की मरम्मत और उन्हें चौड़ा करने में जुटे हैं। इस मार्ग को और सुगम बनाने के लिए वह हर सोमवार सुबह 8 बजे भलवा गांव से चार किलोमीटर पैदल चलकर पहाड़ पर पहुंचते हैं और शाम 4 बजे तक काम करते हैं।

समाज का भी मिल रहा है सहयोग

इस पवित्र कार्य में स्थानीय भक्त भी  श्याम सुंदर चौहान का सहयोग कर रहे हैं। भक्तगण जो सिद्धेश्वर नाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए इस मार्ग का इस्तेमाल करते हैं, वे चौहान के कार्य से प्रेरित होकर सहायता प्रदान करते हैं। उनकी मेहनत और भक्ति ने न केवल क्षेत्र के लोगों को प्रेरित किया, बल्कि मंदिर तक पहुंचने को भी आसान बना दिया।

बिहार के ही दशरथ मांझी ने सालों पहले किया था ऐसा कारनामा

बिहार के ही दशरथ मांझी एक गरीब मजदूर थे जिन्हें माउंटेन मैन के नाम से भी जाना जाता है। अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से उन्होंने एक इतिहास रच दिया था। दशरथ ने केवल एक हथौड़ा और छेनी का इस्तेमाल करते हुए 360 फुट लंबी, 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊँची पहाड़ी को काटकर सड़क बनाई थी। यह कार्य उन्होंने अकेले ही किया और इसमें उन्हें 22 साल का समय लगा। उनकी बनाई सड़क ने अतरी और वजीरगंज ब्लाक के बीच की दूरी को 55 किलोमीटर से घटाकर 15 किलोमीटर कर दिया, जिससे गांव के लोगों का जीवन आसान हो गया। ये सब दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी की याद में किया था। इसके ऊपर बॉलीवुड फिल्म ‘मांझी दी माउंटेन मैन’ भी बनी थी।

मुश्किलों का सामना लेकिन हौसले बुलंद

श्याम सुंदर चौहान ने अपने जीवन में इस कार्य के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया है। उन्होंने बताया कि एक बार जब वे पत्थर बिछा रहे थे, तो चट्टान से गिर गए और बेहोश हो गए। होश में आने के बाद उन्होंने खुद को संभाला और वापस नीचे उतर आए। इसके बावजूद उनका हौसला कम नहीं हुआ। श्याम सुंदर चौहान कहते हैं, “हम भोले बाबा की कृपा से ही इतनी मेहनत कर पाते हैं। हमें समाज से पूरा समर्थन मिल रहा है। लोग हमारी मेहनत देखकर खुद आगे बढ़कर मदद करते हैं।” चाहे सर्दी हो, गर्मी हो या बारिश, चौहान हर सोमवार अपनी सेवा जारी रखते हैं। यह रास्ता अब श्रद्धालुओं के लिए बहुत सुगम हो गया है, लेकिन वह इसे और बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।