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अद्वैत लोक का साकार होता स्वप्न

शिवराज सिंह का विश्‍वास कि यह एकात्म धाम विश्व को दिशा देगा और शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा। वास्‍तविकता में अपने कार्य और स्‍वरूप को प्राप्‍त करने के लिए तैयार हो उठा है। अतीत में जाएं और देखें कि कैसे पहले प्रदेश की 23 हजार ग्राम पंचायतों में एकात्म यात्रा निकलती हैं और तय किया जाता है कि वहां की पवित्र मिट्टी से एकात्म धाम आकार लेगा। उसके बाद आप देखते हैा कि पुण्य पर्वत मांधाता पर आज एक नए लोक का निर्माण होना शुरू हो जाता है।

यह सुखद संयोग ही है कि बुद्ध की जयंती पर अद्वैत दर्शन के प्रणेता शंकर के दर्शन का अभिनव प्राग्तिकरण ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर की पुण्य भूमि पर हुआ है। अद्वैत लोक के स्वप्न साकार हो उठा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के विषय में जूना पीठाधीश्वर के पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरि कहते हैं कि शिवराज सिंह के कार्य आनी वाली कई पीढ़ियों तक याद किए जाएंगे। सामूहिक स्वरों में सभी ने शिवराज सिंह के इन प्रयासों को आशीषित कर उन्हे आधुनिक युग का विक्रमादित्य और हर्षवर्धन बताया। साथ ही परिव्राजन अभियान में सक्रिय सहयोग देने का आश्वासन भी दिया और यह सच भी है कि ओंकारेश्वर में आकार ले रहा एकात्म धाम सिर्फ भव्य मठ मंदिर नहीं है। यह भारतीय चेतना का जयघोष है। स्वामी चिदानंद सरस्वती परमार्थ निकेतन आश्रम ऋषिकेश के शब्दों में एकात्म धाम भारत को भारत की आंख से देखने का एक प्रयास है।

Swami Avdheshanand Giri And Shivraj

वस्‍तुत: देखा जाए तो एकात्म धाम लगभग पांच वर्ष पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के देखे स्‍वप्‍न का प्रकटीकरण है। वे एक स्वप्न देखते हैं कि जिस स्थान पर शंकर को गुरु मिले उस स्थान को विश्व के आध्यात्मिक जगत में स्थापित किया जाना चाहिए। शिवराज सिंह इस स्वप्न को लेकर संत चरण से आशीर्वाद लेने जाते हैं और जागती आंखों का यह सपना आकार लेने लगता है। मुख्यमंत्री शिवराज जब कहते हैं कि सनातन की रक्षा और सांस्कृतिक रूप से भारत को एक करने वाले कोई महापुरुष हैं, तो वह शंकराचार्य हैं। उनके कारण देश का आज यह स्वरूप है। शंकराचार्य न हुए होते तो ना भारत, भारत के रूप में रहता और न ही हम होते। तब उनके इन विचारों से अतीत की वह परिस्‍थ‍ितियां स्‍वत: ही स्‍मृतियों से निसृत होने लगती हैं जो यह बताने के लिए पर्याप्‍त हैं कि कैसे आद्यगुरु शंकराचार्य ने भारत की एकता, संस्‍कृति और सनातन धर्म का जय घोष किया। इसलिए ही शंकराचार्य भारतीय चेतना एवम संस्कृति जागरण के नायक हैं।

Adi Shankarcharya

शिवराज सिंह का विश्‍वास कि यह एकात्म धाम विश्व को दिशा देगा और शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा। वास्‍तविकता में अपने कार्य और स्‍वरूप को प्राप्‍त करने के लिए तैयार हो उठा है। अतीत में जाएं और देखें कि कैसे पहले प्रदेश की 23 हजार ग्राम पंचायतों में एकात्म यात्रा निकलती हैं और तय किया जाता है कि वहां की पवित्र मिट्टी से एकात्म धाम आकार लेगा। उसके बाद आप देखते हैा कि पुण्य पर्वत मांधाता पर आज एक नए लोक का निर्माण होना शुरू हो जाता है।

वास्‍तव में इस धाम ने शंकर के दर्शन को प्रकट किया गया है। यहां एक अनुसंधान केंद्र बन रहा है। 108 फीट ऊंची शंकर की प्रतिमा लग रही है। यही नहीं प्रकृति से एक तादम्य बनाने के लिए अद्वैत वन भी यहां साक्षात स्‍वरूप में आकार ले चुका है। कहना होगा कि आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने देश के प्रमुख संत, विद्वान विचारक, मनीषी, लेखक एवम पत्रकारों के साथ टीम शंकर के समस्त सहयोगियों को एक साथ विमर्श कर यहां यह भी बदला दिया है कि ज्ञान ही किसी विचार के प्रवाह का आधार हो सकता है।

Shivraj singh

इस अवसर पर प्रमुख रूप से पूज्य आनंदमूर्ति गुरु मां ऋषि चैतन्य ट्रस्ट सोनीपत, कमलेश पटेल दाज़ी प्रमुख रामचंद्र मिशन हैदराबाद, चिन्मय पांड्या जी गायत्री परिवार हरिद्वार एवम प्रसिद्ध रचनाकार मनोज मुंतशिर की उपस्‍थ‍िति ज्ञान यज्ञ में यह संकेत देने के लिए प्रयाप्‍त है कि विमर्श से निकली ज्ञान की रश्‍मियां ही अंतत: भारत को पुन: उसके विश्‍व शिखर पर पहुंचाएंगी ।