
संभल। यूपी के संभल में शाही जामा मस्जिद को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष में विवाद तो चल ही रहा है। वहीं, संभल की चंदौसी तहसील के जनेटा गांव में भी एक पुरानी दरगाह विवाद के घेरे में है। कुछ ग्रामीणों ने दावा किया है कि दरगाह सरकारी जमीन पर है। ग्रामीणों के मुताबिक डॉ. सैयद शाहिद मियां ने अवैध रूप से कब्जा कर खुद को मुतवल्ली घोषित कर रखा है। यहां हर साल मेला लगाकर अवैध उगाही का भी इन ग्रामीणों ने आरोप लगाया है। चंदौसी के तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि मुतवल्ली से वक्फ संबंधी दस्तावेज मांगे गए थे। वो उन्होंने दिए हैं। जिनको देखने के बाद पहली नजर में वक्फ नहीं लग रहा। इसकी जांच हो रही है।
चंदौसी तहसील के जनेटा गांव में बनी दरगाह को आस्ताना आलिया कादरिया नौशियाह दरगाह कहा जाता है। गुरुवार को तहसीलदार ने जनेटा गांव जाकर दरगाह के बारे में की गई शिकायत पर जानकारी भी ली थी। तहसीलदार ने दरगाह का मुआयना किया था और मुतवल्ली से जमीन के दस्तावेज दिखाने को कहा था। इसके बाद शनिवार को दरगाह के मुतवल्ली डॉ. सैयद शाहिद मियां ने तहसीलदार को दस्तावेज दिए। जनेटा की इस दरगाह के विवाद का मसला पुराना है। हर साल यहां 4 दिन मेला लगता है। इस बार मेले के बारे में भी विवाद हुआ। जिसके बाद प्रशासन ने धारा 63 के तहत मेला लगाने की भी मंजूरी नहीं दी थी।
इस तरह जनेटा गांव के दरगाह के विवाद के साथ ही संभल जिले में 2 विवादित स्थल हो गए हैं। संभल की शाही जामा मस्जिद पर हिंदू पक्ष पहले ही कोर्ट जा चुका है। हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगल बादशाह बाबर के जमाने में कल्कि भगवान का प्राचीन मंदिर तोड़कर उसपर शाही जामा मस्जिद बनवाई गई थी। इस मामले में संभल के स्थानीय कोर्ट ने कमिश्नर सर्वे भी कराया था। कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शाही जामा मस्जिद में कई जगह हिंदू मंदिर के प्रतीक चिन्ह देखने को मिलते हैं। अब जनेटा गांव में मुतवल्ली की तरफ से दिए गए दस्तावेजों की जांच के बाद प्रशासन तय करेगा कि दरगाह सरकारी जमीन पर बना है या नहीं।