नई दिल्ली। देश में चारो ओर दीपावली की धूम मची हुई है। सभी ने जोरों-शोरों से दिवाली की तैयारियां शुरू कर दी है। दिवाली से ठीक एक दिन पहले नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को नरक चौदस, काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां काली, यमदेव और भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी-देवताओं के नाम से दीया जलाने से व्यक्ति का भय दूर होता है। साथ ही इस दीये में नकारात्मक और काली शक्तियां भी जल कर नष्ट हो जाती हैं। दिवाली की तरह ही नरक चौदस पर भी सभी मंदिरों में दीप जलाने की परंपरा है। नरक चौदस की रात में तंत्र साधना करने वाले लोग और अघोरी मां काली की पूजा करके सिद्धियां प्राप्त करते हैं। कहा जाता है कि इस समय माता काली अपने सबसे शक्तिशाली रूप में होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं देश में कुछ ऐसे मंदिर हैं जहां पर शाम ढ़लते ही आम लोगों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इस दौरान मंदिर में केवल अघोरी ही प्रवेश कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं कौन से हैं वो मंदिर…
वेताल मंदिर (ओडिसा)
8वीं सदी में निर्मित ये मंदिर भुवनेश्वर में स्थित है, जहां मां चामुण्डा की मूर्ति स्थापित है। चामुंडा माता को मां काली का ही एक रूप माना जाता है।
बैजनाथ मंदिर ( हिमाचल प्रदेश)
हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों में बने इस मंदिर में महादेव का प्रसिद्द वैधनाथ लिंग स्थापित है। ये शिव मंदिर तांत्रिक विद्याओं में लिप्त होने और यहां के स्वास्थ्यवर्धक पानी की वजह से पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
कालीघाट (कोलकाता)
कहा जाता है कि कोलकाता के इस स्थान पर देवी सती की उंगलियां गिरी थी। नरक चौदस की रात में यहां सिर्फ तांत्रिकों को ही एंट्री मिलती हैं।
ज्वालामुखी मंदिर (हिमाचल प्रदेश)
चारो ओर पहाड़ियों से घिरे इस सुंदर से मंदिर में एक कुंड स्थापित है, जो अपने अनोखेपन के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इसकी सबसे खास बात ये है कि देखने में ऐसा लगता है कि इस कुंड का पानी उबल रहा है लेकिन छूने में ये एकदम ठंडा लगता है। नरक चौदस की रात में यहां केवल अघोरियों को ही प्रवेश मिलता है।
श्री काल भैरव मंदिर (मध्य प्रदेश)
मध्य प्रदेश के इस मंदिर में श्री भैरवनाश की श्याममुखी मूर्ति स्थापित है। अपनी तांत्रिक क्रियाओं के लिए ये मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है। नरक चौदस की रात में यहां पर अघोरियों का बड़ा सा जमावड़ा देखने को मिलता है।