UP Election 2022: अखिलेश ने दिया अपने चाचा शिवपाल को गच्चा, सीट देने के मामले में दिखाया ठेंगा
UP Election 2022: बता दें कि साल 2017 में शिवपाल सिंह ने अलग चुनाव लड़ा था। उससे पहले ही अखिलेश के साथ मनमुटाव के बाद शिवपाल को सपा से निकाल दिया गया था और उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली थी।
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) की तारीखों की घोषणा होने के बाद से सूबे में सियासी पारा तेज हो गया है। सत्तारूढ़ भाजपा को हराने के लिए इन दिनों समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव क्षेत्रीय दलों से गठबंधन कर रहे है। इसी क्रम में बीते दिनों अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी लोहिया पार्टी के साथ गठजोड़ किया था। लेकिन अब इस गठबंधन को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। अंदरखाने की खबर है कि चाचा शिवपाल सिंह यादव को सीट देने के मामले में अखिलेश यादव ने ठेंगा दिखा दिया है। सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव अपने चाचा के लिए सिर्फ जसवंतनगर की सीट छोड़ने पर राजी हैं। शिवपाल जसवंतनगर से ही चुनाव लड़ते और जीतते रहे हैं। बड़ी मुश्किल के बाद चाचा शिवपाल को अखिलेश ने अपने साथ जोड़ा था।
हालांकि, दोनों ने ही प्रसपा का सपा में विलय को टाल दिया था। अब चाचा को अखिलेश अगर गच्चा देते हैं, तो दोनों के बीच रिश्ते और बिगड़ सकते हैं। बता दें कि साल 2017 में शिवपाल सिंह ने अलग चुनाव लड़ा था। उससे पहले ही अखिलेश के साथ मनमुटाव के बाद शिवपाल को सपा से निकाल दिया गया था और उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली थी। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी शिवपाल ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारे थे। अखिलेश और शिवपाल के बीच मनमुटाव की बड़ी वजह रामगोपाल यादव को बताया जाता है। रामगोपाल यादव, शिवपाल के चचेरे भाई हैं और राज्यसभा सांसद हैं।
रामगोपाल के कहने पर ही अखिलेश यादव ने सपा की कमान अपने हाथ ले ली थी। बीते दिनों शिवपाल से अखिलेश की मुलाकात हुई थी। अखिलेश अपने चाचा के घर गए थे। तब अखिलेश ने फोटो ट्वीट करते हुए हैशटैग के साथ बाइस में बाइसिकिल का नारा भी लिखा था, लेकिन शिवपाल ने अपने ट्वीट में इस नारे को लिखने से गुरेज किया था। तभी से लग रहा था कि गठबंधन भले हो जाए, लेकिन चाचा और भतीजे के बीच दूरियां अभी खत्म नहीं हुई हैं। अब अगर शिवपाल को महज जसवंतनगर की ही सीट मिलती है, तो सपा के साथ उनका गठबंधन भी चुनाव से पहले ही खत्म हो सकता है।