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Ramcharitmanas: रामचरितमानस पर विवादित बयान देने वाले स्वामी पर मौन साधना अखिलेश को पड़ा महंगा, भड़के लोगों ने सपा अध्यक्ष को दिखाए काले झंडे

स्वामी प्रसाद मौर्य ने मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में रामचरितमानस को एक बकवास पुस्तक बताया था। उन्होंने इस पर सरकार से प्रतिबंध लगाए जाने की भी मांग की थी। उन्होंने रामचरितमानस पर लिखे श्लोकों को दलितों के विरोध में बताया था और सरकार से इसे हटाने की भी मांग की थी।

नई दिल्ली। रामचरितमानस को लेकर विवादों में घिरे सपा नेता व पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को जब आज अखिलेश यादव ने राजधानी लखनऊ स्थित कार्यालय तलब किया, तो सूबे की राजनीति में घमासान मच गया। वैसे भी स्वामी द्वारा रामचरितमानस पर अभद्र टिप्पणी किए जाने के बाद ही अखिलेश अपनी चुप्पी को लेकर विरोधियों के निशाने पर हैं। ऐसे में अखिलेश द्वारा स्वामी को बुलावा भेजने की खबर सामने आई, तो लगा कि अब उनकी क्लास लगाई जाएगी। अखिलेश यादव उनके द्वारा दिए गए अभद्र टिप्पणी को लेकर उनकी क्लास लगाएंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। खबर है कि दोनों के बीच धर्म सहित राजनीति के मुख्तलिफ मसलों पर वार्ता हुई। जिस पर खुद अखिलेश ने मीडिया से मुखातिब होनमे के दौरान मुहर लगाई।

Akhilesh yadav

हालांकि, मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में अखिलेश यादव ने स्वामी द्वारा रामचरितमानस पर किए गए विवादित बयान पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी नहीं की, बल्कि इसके उलट उन्होंने बीजेपी को ही निशाने पर लिया। दरअसल, हुआ यूं कि लखनऊ प्रवास के दौरान अखिलेश यादव को हिंदूवादी नेताओं के आक्रोश का सामना करना पड़ा। यही नहीं, कई नेताओं ने उन्हें अपने विरोध की नुमाइश करने के लिए काले झंडे तक दिखाए। बता दें कि हिंदू महासभा, अखिल भारतीय सहित अन्य संगठनों ने अखिलेश यादव को काले झंडे दिखाए। उनके विरोध में नारेबाजी की। जिस पर अखिलेश ने मीडिया से रूबरू होने के दौरान खुद पर हमले का आरोप भी लगाया।

अखिलेश ने कहा कि मैं यहां मां पीताबंर के दर्शन करने के लिए आया था, लेकिन बीजेपी के लोगों में पेट दर्द शुरू हो गया, जो कि इन लोगों ने मेरा विरोध करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, इन लोगों ने मुझे पर हमले की भी प्लानिंग कर ली थी। अखिलेश ने आगे कहा कि बीजेपी कभी-भी धर्म का ठेकेदार नहीं हो सकती है। बीजेपी ने हम सभी को शूद्र मानती है। वो दलितों कों शूद्र मानती है। सिर्फ खुद को ही बड़ा मानती है, लेकिन अब इन लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि जनता ने अब इनके भेदों को समझ लिया है। इस बीच अखिलेश ने मुख्तलिफ मुद्दों को लेकर बीजेपी को निशाने पर लिया, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा की गई रामचरितमानस पर टिप्पणी पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी थी।

ध्यान रहे कि बीते दिनों उनकी चुप्पी को लेकर बीजेपी नेता नरेश अग्रवाल ने भी अखिलेश यादव को आड़े हाथों लिया था। नरेश अग्रवाल ने कहा था कि अखिलेश यादव को अब खुलकर अल्लाह को मान लेना चाहिए। बता दें कि उनके इस बयान के बाद सपा ने उनके पुराने बयान का सहारा लेकर उनपर निशाना साधा। ध्यान रहे इससे पहले नरेश समाजवादी पार्टी में थे। सपा में रहने के दौरान उन्होंने भगवाम राम पर अभद्र टिप्पणी कर दी थी, जिसके बाद सूबे में सियासी भूचाल आ गया था। इसके बाद उन्होंने कुछ दिनों बाद बीजेपी का दामन थाम लिया है। इस बीज उन्होंने रामचरितमानस प्रकरण पर अखिलेश को घेरने की कोशिश की तो सपा ने उनके पुराने बयानों से उन्हें आईना दिखा दिया।

बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में रामचरितमानस को एक बकवास पुस्तक बताया था। उन्होंने इस पर सरकार से प्रतिबंध लगाए जाने की भी मांग की थी। उन्होंने रामचरितमानस पर लिखे श्लोकों को दलितों के विरोध में बताया था और सरकार से इसे हटाने की भी मांग की थी। उनके इस बयान के बाद सियासी गलियारों में खूब हो हल्ला हुआ। बाद में उनके खिलाफ प्राथामिकी दर्ज कराई गई और उनके मंदिर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद स्वामी ने उनका विरोध करने वाले लोगों पर एक बार और महला बोला। सपा नेता साधु- संतों को जल्लाद बता दिया। कहा कि इन लोगों को मेरे बयान का विरोध करने का कोई हक नहीं है।

उनके इस बयान को लेकर भी खूब हो-हल्ला हो रहा है। स्वामी अपने बयान पर कायम है। उधर, बीजेपी का भी हमला जारी है। ध्यान रहे कि इससे पहले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने भी रामचरितमानस पर भी विवादित टिप्पणी की थी, जिसके बाद बीजेपी उन पर हमलावर हो गई थी। बीजेपी ने नीतीश से उन्हें पार्टी से बर्खास्त करने की मांग की थी, लेकिन उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई। बहरहाल, जिस तरह से रामचरितमानस पर विवादित बयान देने की वर्तमान में होड़ लगी हुई है, उसे लेकर जारी सियासी बहस आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।