newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Amar Jawan Jyoti: राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ में विलीन हुई इंडिया गेट की अमर जवान ज्योति

Amar Jawan Jyoti: उन्होंने आगे कहा, किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसने एनडब्ल्यूएम के डिजाइन चयन और निर्माण को आगे बढ़ाया है, मेरा मानना है कि इंडिया गेट प्रथम विश्व युद्ध के शहीद नायकों का स्मारक है। अमर जवान ज्योति को 1972 में जोड़ा गया, क्योंकि हमारे पास दूसरा स्मारक नहीं था।

नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)| राष्ट्रीय राजधानी के इंडिया गेट पर अनन्त (24 घंटे जलने वाले) अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की मशाल के साथ विलीन कर दिया गया है।

प्रतिष्ठित इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का शुक्रवार को परेड के बाद एक सैन्य समारोह में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (नेशनल वॉर मेमोरियल) में जलने वाली ज्योति के साथ विलय कर दिया गया।

अमर जवान ज्योति की लपटों वाली मशाल को ले जाया गया और एक पूर्ण सैन्य परंपरा के साथ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ मिला दिया गया।

तीनों सेनाओं के जवानों ने ज्वाला लेकर इंडिया गेट से वहां से कुछ मीटर दूर युद्ध स्मारक तक मार्च किया।

चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) के एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण ने समारोह की अध्यक्षता की। अधिकारी ने पहले अमर जवान ज्योति और फिर युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया। तीन उप प्रमुखों ने पूर्ण सैन्य परंपरा में उनका स्वागत किया।

अमर जवान ज्योति को सबसे पहले 1972 में इंडिया गेट आर्च के नीचे 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में शुरू किया गया था। तभी से यह ज्वाला अनन्त रूप से जल रही थी।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के अस्तित्व में आने के बाद दो साल पहले अमर जवान ज्योति के अस्तित्व पर सवाल उठाया गया था। यह एसलिए, क्योंकि सवाल उठाए जा रहे थे कि अब जब देश के शहीदों के लिए नेशनल वॉर मेमोरियल बन गया है, तो फिर अमर जवान ज्योति पर क्यों अलग से ज्योति जलाई जाती रहे।

तीनों सेनाओं के प्रमुख और आने वाले प्रतिनिधि अमर जवान ज्योति पर जाकर अपना सिर झुकाते थे और शहीदों का सम्मान करते रहे हैं। गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे सभी महत्वपूर्ण दिनों में भी, तीनों सेनाओं के प्रमुख अमर जवान ज्योति पर उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक उन सभी सैनिकों और गुमनाम नायकों की याद में बनाया गया है, जिन्होंने आजादी के बाद से देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

यह इंडिया गेट परिसर के पास ही 40 एकड़ में फैला हुआ है। यह 1962 में भारत-चीन युद्ध, भारत-पाक के बीच हुए 1947, 1965, 1971 और 1999 कारगिल युद्धों दौरान अपने प्राणों की आहूति देने वाले सैनिकों को समर्पित है। इसके साथ ही यह श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के संचालन के दौरान और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के दौरान शहीद हुए सैनिकों को भी समर्पित है।

लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ (सेवानिवृत्त) ने कहा, यह मुझे बहुत संतुष्टि देता है कि इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की शाश्वत लौ को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (एनडब्ल्यूएम) में मिला दिया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा, किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसने एनडब्ल्यूएम के डिजाइन चयन और निर्माण को आगे बढ़ाया है, मेरा मानना है कि इंडिया गेट प्रथम विश्व युद्ध के शहीद नायकों का स्मारक है। अमर जवान ज्योति को 1972 में जोड़ा गया, क्योंकि हमारे पास दूसरा स्मारक नहीं था। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक स्वतंत्रता के बाद शहीद हुए वीरों को श्रद्धांजलि देता है। सभी श्रद्धांजलि समारोह पहले ही राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में स्थानांतरित हो चुके हैं।

इसके विपरीत एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर ने कहा कि इंडिया गेट पर शाश्वत ज्वाला भारत की रूह का हिस्सा है। आप, मैं और हमारी पीढ़ी वहां हमारे बहादुर जवानों को सलाम करते हुए बड़े हुए हैं। जबकि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक महान है, अमर जवान ज्योति की यादें अमिट हैं।