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Delhi Ordinance Bill: दिल्ली सर्विस बिल संसद में अमित शाह का विपक्ष को करारा जवाब, I.N.D.I.A गठबंधन पर भी साधा निशाना

Parilament Live: अमित शाह ने लोकसभा में बिल को लेकर कहा कि यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को संदर्भित करता है जिसमें कहा गया है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है। शाह ने आगे कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में बोलते हैं क्योंकि सदन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को विचार और पारित करने के लिए ले रहा है।

नई दिल्ली। दिल्ली सर्विस बिल को लेकर इन दिनों सियासत गरम है। संसद में भी सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच इसे लेकर नोकझोंक जारी है। इसी कड़ी में लोकसभा में अमित शाह ने इस बिल पर अपनी बात रखी है और बताया कि कैसे यह उचित है। अमित शाह ने लोकसभा में बिल को लेकर कहा कि यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को संदर्भित करता है जिसमें कहा गया है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है।

शाह ने आगे कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में बोलते हैं क्योंकि सदन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को विचार और पारित करने के लिए ले रहा है।

साल 2015 में दिल्ली में एक ऐसी पार्टी सत्ता में आई जिसका मकसद सिर्फ लड़ना था, सेवा करना नहीं…समस्या ट्रांसफर पोस्टिंग करने का अधिकार हासिल करना नहीं, बल्कि अपने बंगले बनाने जैसे भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए सतर्कता विभाग पर कब्ज़ा करना है।

यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को संदर्भित करता है जिसमें कहा गया है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है।

वहीं, शाह ने विपक्ष के गठबंधन का जिक्र करके भी जोरदार हमला बोला। बता दें कि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी की प्रशासनिक शक्ति दिल्ली सरकार को सौंप दी थी। दूसरे शब्दों में कहें तो दिल्ली का असली बॉस केजरीवाल सरकार को ठहराकर अधिकारियों के नियुक्ति और तबादला करने का अधिकार दिया था, लेकिन कोर्ट के फैसले के विरुद्ध जाकर केंद्र सरकार अध्यादेश ले आई, जिसके बाद सारी शक्तिया , जो कि कोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार को दी गई थी, उसे   वापस केंद्र सरकार ने अपने हाथों में ले लिया। केंद्र के इस कदम को असंवैधानिक बताया था। वहीं, अब संसद के मानसूत्र में इस अध्यादेश को कानून का बनने की राह में रोड़ अटकाने के मकसद से सीएम केजरीवाल ने विपक्षियों के समर्थन प्राप्त तो कर लिया है, लेकिन अब इसे लेकर आगे की राह कैसी रहती है? इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।