
नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आज भारत की एक और अत्याधुनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। डीआरडीओ ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से स्वदेशी प्रौद्योगिकी क्रूज़ मिसाइल (आईटीसीएम) का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल की खास बात यह है कि इसमें इंडिजेनस टेक्नोलॉजी क्रूज मिसाइल तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह मिसाइल समुद्र से बेहद कम ऊंचाई पर उड़ते हुए दुश्मन के रडार को चकमा दे सकती है।
#WATCH | DRDO conducted a successful flight test of the Indigenous Technology Cruise Missile (ITCM) from the Integrated Test Range (ITR), Chandipur off the coast of Odisha.
During the test, all subsystems performed as per expectation. The missile performance was monitored by… pic.twitter.com/Lq0alQcJ12
— ANI (@ANI) April 18, 2024
रेंज सेंसर, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और टेलिमेट्री के जरिए मिसाइल के पूरे रास्ते की ट्रैकिंग की गई। इस मिसाइल की उड़ान को वायुसेना के सुखोई एसयू-30-एमके-1 फाइटर जेट से भी ट्रैक किया गया। मिसाइल ने टेस्ट के सभी मानकों को पूरा किया। परीक्षण के दौरान निर्भय मिसाइल ने 864 किमी. से लेकर 1111 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार हासिल की। इस मिसाइल में टेरेन हगिंग कैपेबिलिटी भी है। टेरेन हगिंग कैपेबिलिटी उस स्थिति को कहते हैं जिसमें उसपर निशाना लगाकर इसे निष्क्रिय करना बेहद कठिन हो जाता है। इस टेक्नोलाजी के कारण दुश्मन देशों के लिए भारत की ये मिसाइल परेशानी खड़ी करने वाली है। इस मिसाइल की एक खास बात यह है कि इसे समुद्र और जमीन दोनों जगहों से मिसाइल लॉन्चर्स के जरिए दागा जा सकता है।
मिसाइल जमीन से कम से कम 50 मीटर ऊपर और ज्यादा से ज्यादा 4 किलो मीटर ऊपर उड़कर टारगेट को नष्ट कर सकती है। आईटीसी मिसाइल 6 मीटर लंबी और 0.52 मीटर चौड़ी है। इसके पंखों की कुल लंबाई 2.7 मीटर है। ये मिसाइल 300 किलोग्राम तक के हथियारों कैरी कर सकती है। 1500 किलो मीटर के दायरे तक निर्भय मिसाइल किसी भी टारगेट को ध्वस्त करने में सक्षम है। आपको बता दें कि डीआरडीओ भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का अनुसंधान एवं विकास विंग है, जिसका लक्ष्य अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के साथ भारत को सशक्त बनाना और हमारे सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों से लैस करते हुए महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।