
नई दिल्ली। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बहुत ही चौंकाने वाला दावा किया है जो कि बहुत ही चिंताजनक भी है। आईसीएमआर का कहना है निमोनिया, टाइफाइड, रक्त संक्रमण और मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई) जैसी कुछ बीमारियों के इलाज में एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं हो रहा है। आईसीएमआर का कहना है कि इन बीमारियों का इलाज करना अब कठिन होता जा रहा है क्योंकि इनको पैदा करने वाले बैक्टीरिया पर अब आम एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर हो रही हैं।
यह रिपोर्ट देश के कई अस्पतालों और मेडिकल क्लीनिकों से लिए गए आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है। इसमें 1 जनवरी, 2023 से 31 दिसंबर, 2023 के बीच ओपीडी रोगियों, वॉर्ड में भर्ती और आईसीयू की रिपोर्ट को शामिल किया गया है। रिपोर्ट में ई. कोली, क्लेबसिएला निमोनिया, स्यूडोमोनास एरुगिनोसा और स्टैफिलोकोकस ऑरियस जैसे बैक्टीरिया के खिलाफ एंटीबायोटिक दवाओं का परीक्षण किया गया। ये ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया, जो शरीर के किसी भी हिस्से में संक्रमण का कारण बन सकते हैं, रक्त, मूत्र, श्वसन पथ संक्रमण सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों के नमूनों में पाए गए।
आईसीएमआर ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया है, जिसमें एंटीबायोटिक के उपयोग पर सख्त नियंत्रण का आग्रह किया गया है। बुखार, जुकाम जैसी आम बीमारियों के इलाज में एंटीबायोटिक के बढ़ते चलन की वजह से यह घातक परिणाम सामने आए हैं। इसके अतिरिक्त आईसीएमआर ने कृषि फसलों में एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग पर भी प्रकाश डाला। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंसान और पशु दोनों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक एंटीबायोटिक दवाओं की प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए मजबूत उपायों की आवश्यकता है। आपको बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के पिछले सर्वेक्षण में पाया गया था कि भारत में निर्धारित लगभग आधे एंटीबायोटिक्स रोगाणुरोधी प्रतिरोध का कारण बन रहे हैं।