
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के करीब आते ही राज्य में हत्या की घटनाओं में इजाफा देखने को मिल रहा है। हालत ये है कि बिहार में बीते एक हफ्ते में 17 लोगों की हत्या की घटना हो चुकी है। ताजा मामला बिहार के सीतामढ़ी का है। सीतामढ़ी में बाइक सवार तीन बदमाशों ने कारोबारी पुटू खान की भीड़भाड़ वाले मेहसौल चौक इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी। सीतामढ़ी में कारोबारी की हत्या से पहले बिहार की राजधानी पटना में बिहार बीजेपी किसान मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र केवट की बदमाशों ने गोली मारकर जान ले ली। वहीं, इन दोनों घटनाओं से पहले पटना में ही बदमाशों ने बिक्रम झा की हत्या हुई थी।

इससे पहले 10 जुलाई को गुरुवार के दिन पटना में बालू कारोबारी रमाकांत यादव की कुछ बदमाशों ने घर के बाहर ही हत्या कर दी और फरार हो गए। रमाकांत यादव के भाई उमाकांत यादव की भी बदमाशों ने 15 साल पहले गोली मारकर हत्या की थी। ऐसा ही मामला पटना में मशहूर कारोबारी गोपाल खेमका का भी रहा। गोपाल खेमका की हत्या भी बीते दिनों घर के सामने कार में की गई। गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका की भी 6 साल पहले हत्या हुई थी। गोपाल खेमका की हत्या से बिहार की नीतीश कुमार सरकार विपक्ष के निशाने पर आई और उसके बाद से हो रहे ताबड़तोड़ वारदात के कारण विपक्ष लगातार सीएम को घेर रहा है।

बिहार में इन सबके अलावा एक टीचर और एक इंजीनियर की भी हत्या हो चुकी है। जबकि, नालंदा जिले में डबल मर्डर हुआ था। वहीं, बिहार के पूर्णिया जिले में डायन होने का आरोप लगाकर एक परिवार के पांच लोगों को जिंदा जलाकर मारने की घटना भी हुई। हालांकि, बिहार में अपराध होते रहते हैं, लेकिन पिछले एक हफ्ते में हत्या की इतनी घटनाएं हुईं, जैसी शायद पहले देखने को नहीं मिलीं। सवाल ये है कि क्या ये हत्याएं सामान्य तौर पर हो रही हैं या बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले माहौल को खराब कर लोगों में डर पैदा करने के लिए बदमाश ऐसी घटनाएं कर रहे हैं?