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Owaisi On Third Front: अगर ओवैसी ने कर दिया ये खेल, तो विपक्षी गठबंधन की पीएम मोदी को हटाने की कोशिश हो सकती है फेल

एक तरफ 2 दर्जन से ज्यादा विपक्षी दलों ने I.N.D.I.A नाम से लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन बनाया है। वहीं, अब एक और विपक्षी गठबंधन के सामने आने के आसार दिख रहे हैं। अगर ऐसा हुआ, तो मोदी विरोधी विपक्ष के वोट बंटने के पूरे आसार हैं। दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी ने अब तीसरा मोर्चा का राग अलापा है।

हैदराबाद। एक तरफ 2 दर्जन से ज्यादा विपक्षी दलों ने I.N.D.I.A नाम से लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन बनाया है। वहीं, अब एक और विपक्षी गठबंधन के सामने आने के आसार दिख रहे हैं। इस गठबंधन को बनाने का सुझाव ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन यानी एआईएमआईएम के चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने दिया है। ओवैसी ने तेलंगाना के सीएम और बीआरएस सुप्रीमो के. चंद्रशेखर राव से कहा है कि वो तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश करें। असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि अब भी कई राजनीतिक दल ऐसे हैं, जो तीसरा मोर्चा में आना चाहेंगे। एआईएमआईएम चीफ ने कहा कि अगर चंद्रशेखर राव तीसरा मोर्चा बनाने के लिए कदम उठाते हैं, तो इस दिशा में बड़ा काम हो सकता है।

kcr and owaisi

न्यूज एजेंसी पीटीआई से ओवैसी ने कहा कि मैं चंद्रशेखर राव से तीसरा मोर्चा बनाने के लिए कदम उठाने की बात कहता रहा हूं। ओवैसी की इस सलाह पर चंद्रशेखर राव की तरफ से अभी कुछ कहा नहीं गया है, लेकिन अगर तीसरा मोर्चा बना, तो पीएम नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव में हराकर सत्ता से उतारने में जुटे इंडिया गठबंधन के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है। इसकी वजह ये है कि तेलंगाना जैसे राज्य में भी लोकसभा की अहम सीटें हैं। तेलंगाना से लोकसभा के 17 सांसद चुने जाते हैं। इसके अलावा अन्य राज्यों के कुछ दल अगर इस तीसरा मोर्चा में आए, तो वहां भी विपक्षी दलों के गठबंधन को वोट बंटवारे का सामना करना पड़ सकता है।

nitish kumar and kcr

 

ओवैसी की बात हालांकि चंद्रशेखर राव मानकर तीसरा मोर्चा बना भी सकते हैं। जब विपक्षी दलों के गठबंधन की बात शुरू हुई थी, तब इसके लिए कोशिश कर रहे बिहार के सीएम और जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने सबसे पहले चंद्रशेखर राव से ही बात की थी। राव इसके बाद पटना भी गए थे, लेकिन विपक्षी दलों के गठबंधन में कांग्रेस के होने की वजह से चंद्रशेखर राव उनके साथ शामिल नहीं हुए। तेलंगाना में चंद्रशेखर राव और कांग्रेस के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। वहीं, ओवैसी और कांग्रेस में भी पटरी नहीं बैठती है।