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Tripura: अष्टलक्ष्मी संत विचार सम्मेलन का त्रिपुरा में होगा आयोजन, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विचारों के आदान-प्रदान पर जोर

Tripura:  इस मौके पर अध्यक्ष हरिभक्त परायण न्यायमूर्ति डॉ. मदन महाराज गोसावी ने बताया कि, सम्मेलन में पूर्वोत्तर राज्यों के संत साहित्य के विद्वान हिस्सा ले रहे हैं। इसके अलावा कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्री मुख्य अतिथि के रूप में सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। सम्मेलन का स्वरूप संत विचारों पर संगोष्ठी, विदेशी बुद्धिजीवियों द्वारा अध्यात्म पर संगोष्ठी और उत्तर पूर्वी राज्यों की लोक कलाओं का प्रेजेंटेशन होगा।

नई दिल्ली। त्रिपुरा में अष्टलक्ष्मी संत विचार सम्मेलन (Ashtalakshmi Sant Vichar Sammelan) 09 और 10 दिसंबर 2022 को आयोजित  जा रहा है और यह कार्यक्रम वसुधैव कुटुम्बकम का प्रतीक बनेगा। दरअसल त्रिपुरा के उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा (Deputy Chief Minister Jishnu Dev Verma) ने दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि यह बैठक नार्थ ईस्ट के राज्यों में आध्यात्मिकता का कम्युनिकेशन करेगी। बता यें कि यह सम्मेलन त्रिपुरा सरकार के पर्यटन विभाग, अमरवानी इवेंट फाउंडेशन और इंडस मून प्राइवेट लिमिटेड के मदद से आयोजित किया जाएगा। यह सम्मेलन कोल्हापुर के प्रथम विश्व साहित्य सम्मेलन का भव्य प्रतिरूप है और इस कार्यक्रम के जरिए से नार्थ ईस्ट की अष्टलक्ष्मी जागर आयोजित की जाएगी। सर्वे भवन्तु सुखिना सुर्वे संतु निरामय संदेश इस कार्यक्रम के माध्यम से दिया जाएगा।

इस मौके पर अध्यक्ष हरिभक्त परायण न्यायमूर्ति डॉ. मदन महाराज गोसावी ने बताया कि, सम्मेलन में पूर्वोत्तर राज्यों के संत साहित्य के विद्वान हिस्सा ले रहे हैं। इसके अलावा कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्री मुख्य अतिथि के रूप में सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। सम्मेलन का स्वरूप संत विचारों पर संगोष्ठी, विदेशी बुद्धिजीवियों द्वारा अध्यात्म पर संगोष्ठी और उत्तर पूर्वी राज्यों की लोक कलाओं का प्रेजेंटेशन होगा। इस सम्मेलन की अध्यक्षता त्रिपुरा के चित्त महाराज करेंगे। प्रो. डॉ. प्रकाश खंडगे ने अपने स्वागत भाषण में कोल्हापुर में होने वाले प्रथम सार्वभौम संत साहित्य सम्मेलन की पृष्ठभूमि और अगरतला में होने वाले सम्मेलन की रूपरेखा के बारे में बताया और उपस्थित पत्रकारों का आभार व्यक्त किया। डॉ. मदन महाराज गोसावी ने सुझाव दिया कि इंडिया में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच बनाने के लिए मीडिया को पूर्ण सहयोग करना चाहिए कि कोरोना महामारी के भयानक संकट के बाद मानव जीवन में विश्वास बढ़ाने के लिए संतों का चिंतन जरूरी है।

इस सम्मेलन में डॉ. अगरतला, सौरीश देवबर्मन, कल्याण आश्रम के संदीपजी कवीश्वर, मणिपुर जनजातीय विश्वविद्यालय की प्रो. सुखदेबा शर्मा, बेंगलुरु से गंगाधर कृष्णन, मुंबई से डॉ. श्रीराम नरेनस्वामी, अहमदाबाद के रामी निरंजन देसाई, दिल्ली के प्रफुल्ल केतकर आदि जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों के व्याख्यान आयोजित किए गए हैं। अष्टलक्ष्मी संत विचार सम्मेलन पहला विश्व संत साहित्य सम्मेलन था। यह अप्रैल में कोल्हापुर, महाराष्ट्र में आयोजित किया गया था। इस बैठक में त्रिपुरा के उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा उपस्थित थे। इस बैठक से प्राप्त अभूतपूर्व उत्साह और विभिन्न बुद्धिजीवियों द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को ध्यान में रखते हुए श्री जिष्णु देव वर्मा के मन में भी उत्तर पूर्व क्षेत्र में इस तरह की बैठक आयोजित करने का विचार आया और उनकी पहल पर अब यह बैठक हो रही है। दिसंबर में अगरतला में आयोजित किया गया।

उत्तर पूर्वी राज्यों में भी संतों की महान परंपरा : वर्मा

त्रिपुरा के उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा ने कहा कि, हम त्रिपुरा में अष्टलक्ष्मी संत विचार सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं, ताकि देश के अन्य हिस्सों को भी इस संत के साहित्य के बारे में पता चले। आगे उन्होंने कहा कि, आजादी से पहले भारत पर कई आक्रमणों के बावजूद हमारे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराएं और विरासत बची हुई है। साथ ही, इस बैठक का उद्देश्य भारत के अन्य हिस्सों के लोगों को यह बताना है कि उत्तर पूर्वी राज्यों में कई मंदिर और पूजा स्थल हैं।

सफल रहेगा त्रिपुरा में सम्मेलन : डॉ. गोसावी

इस बैठक के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. मदन महाराज गोसावी ने कहा, “हमारे देश में विभिन्न संतों और धर्मगुरुओं ने संकट के समय एक-दूसरे की मदद करने का संदेश दिया है, लोगों ने जाति-धर्म को भुलाकर एक-दूसरे की मदद की है। कोरोना महामारी संतों के विचार लोगों के जीवन को समृद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि कोल्हापुर में अप्रैल में होने वाले इस संत सम्मेलन की तरह आगामी संत सम्मेलन भी उतना ही सफल होगा।”

कार्यक्रम का संक्षिप्त कार्यक्रम इस प्रकार है:

दिनांक 9 दिसंबर 2022
उद्घाटन सत्र-मुख्य अतिथि-
उप मुख्यमंत्री (त्रिपुरा सरकार)  जिष्णु देव वर्मा
अध्यक्ष -चित्त महाराज, महंत, शांति काली मंदिर
कार्यकारी अध्यक्ष – डॉ. मदन गोसावी, सदस्य, एनसीएलटी।
सत्र I – भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में आध्यात्मिक परंपराएं और प्रथाएं।
सत्र II- भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की पारंपरिक जड़ों का पता लगाना – यौगिक, तांत्रिक और चिकित्सा परंपराओं का इतिहास।
उत्तर पूर्व क्षेत्रीय सांस्कृतिक समिति
NEZCC द्वारा आमंत्रित मंडलों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम)।

दिनांक 10 दिसंबर 2022
सत्र 3 – पूर्वोत्तर भारत – तीर्थाटन और पर्यटन के अवसर
सत्र 4 – पड़ोसी देशों के छात्र अपनी सनातन जड़ों का दृश्य प्रस्तुत करेंगे ।
सत्र 5 – उत्तर पूर्व भारत की मान्यताओं और परंपराओं को चुनौती।
समापन समारोह में राज्य और राष्ट्रीय स्तर के गणमान्य लोग शामिल हुए।
उत्तर पूर्व क्षेत्रीय सांस्कृतिक समिति
(NEZCC) बोर्डों द्वारा आमंत्रित सांस्कृतिक कार्यक्रम।