नई दिल्ली। हरियाणा सिविल सर्विसेज के टॉपर अश्वनी गुप्ता कार चलाते हुए दिखाई दिए जिसको लेकर अब नया विवाद शुरू हो गया है। अब आज सोच रहे होंगे की कार चलाने में विवाद क्यों, तो हम आपको बता दें कि अश्वनी गुप्ता ने दृष्टि बाधित कोटे से हरियाणा सिविल सर्विसेज में टॉप किया था। अब सवाल यह उठता है कि अगर वो दृष्टि बाधित हैं तो कार कैसे चला सकते हैं, इसी बात को लेकर उनकी नियुक्ति पर सवाल उठ रहे हैं। इस संबंध में हरियाणा के हिसार निवासी रीतू ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इतना ही नहीं उनका हिमाचल प्रदेश से बना हुआ ड्राइविंग लाइसेंस भी याचिकाकर्ता ने कोर्ट में पेश किया है।
न्यूज 18 की खबर के अनुसार याचिकाकर्ता का आरोप है कि अश्वनी गुप्ता ने हरियाणा सिविल सर्विस के चयन की प्रक्रिया में गलत जानकारी उपलब्ध कराई और गलत तरीके से कोटा हासिल करके चयनित हुए। वहीं हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है। हरियाणा सरकार ने आश्वासन दिया है कि इस पूरे मामले की निष्पक्षता के साथ जांच कराई जाएगी। याचिकाकर्ता का कहना है कि अश्वनी गुप्ता मूलत: हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के रहने वाले हैं। ऐसे में इस बात की जांच भी आवश्यक है कि क्या उन्होंने क्या बतौर हरियाणा सिविल सर्विसेज में आवेदन करते समय खुद को हरियाणा का स्थाई निवासी बताया था।
क्या कहता है नियम?
परिवहन विभाग के अनुसार एक आंख से दृष्टि बाधित लोगों का भी हल्की गाड़ियों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस बन सकता है, हालांकि इसके लिए उन लोगों को मोनो कूलर विज़न नाम का एक टेस्ट कराना अनिवार्य होता है। इस टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर ही परिवहन विभाग यह फैसला करता है कि संबंधित आवेदनकर्ता को ड्राइविंग लाइसेंस दिया जाए या नहीं। इस रिपोर्ट के बाद अगर परिवहन विभाग लाइसेंस के लिए उपयुक्त मानता तो आवेदनकर्ता को पहले लर्निंग लाइसेंस का टेस्ट देना होता है और फिर ड्राइविंग टेस्ट देना होता है और इसमें पास होने पर ही लाइसेंस इश्यू होता है।